Chhattisgarh

मानवता तथा प्राकृतिक न्याय से बड़ा इस संसार में और कुछ नही है, बर्खास्त शिक्षकों को बहाल करे सरकार – विधायक ब्यास

जांजगीर, 08 मार्च । बर्खास्त बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों को सेवा में पुनः बहाल करने के विषय को लेकर जांजगीर चांपा विधायक ब्यास कश्यप ने विधान सभा के बजट सत्र में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने अपने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में कहा कि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांक 02.04.2024 के परिपालन में 2855 बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों को शासकीय सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। इनकी नियुक्ति भारत तथा छत्तीसगढ़ के राजपत्र में प्रकाशित एनसीटीई के गजट विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए व्यापम द्वारा ली गई परीक्षा के आधार पर हुई थी ।

नीति निर्माताओं के द्वारा की गई चूक की वजह से इनकी सेवा समाप्त कर दी गई है। सेवा समाप्ति के पश्चात 2855 शिक्षकों तथा परिवार पर आजीविका का संकट गहरा चुका है तथा इनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुंचा है। उक्त प्रकरण में शासन को सुझाव दिए जाने के सम्बन्ध में मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन की अध्यक्षता में दिनांक 06.1.2025 को अंतर्विभागीय समिति का गठन किया गया है किंतु समिति के निर्देशों की पारदर्शिता तथा निर्णय की समय सीमा का ध्यान नहीं रखा गया है। विलंब से प्राप्त न्याय भी अन्याय के समान है। इसी आशंका से अभ्यर्थी समिति की कार्यवाहियों के प्रति आश्वस्त नहीं हो पा रहे हैं। निर्दोष अभ्यर्थी विभिन्न धरना प्रदर्शनों के माध्यम से शासन का ध्यान आकृष्ट कराने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने मुख्यमंत्री से पूछा कि गठित कमेटी की रिपोर्ट कब तक आ जाएगी, कब तक बर्खास्त शिक्षकों को सेवा में बहाल कर दिया जाएगा? मानवता तथा प्राकृतिक न्याय से बड़ा इस संसार में और कुछ नही है। उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय अपने अपने कानून के अनुसार काम करते हैं। अंतिम शक्ति व्यापक लोकहित में सरकार के पास होती है। अधिकारियों की कमेटी के रिपोर्ट की आवश्यकता नही है। अधिकारियों ने प्रारंभ में ही नियम कानून देख लिया होता तो 2855 परिवारों के साथ इतना बड़ा अन्याय नही होता। अधिकारियों का न कुछ बनना है न बिगड़ना है। माननीय मुख्यमंत्री जी को शुद्ध अंतर्मन से न्याय और अन्याय के आधार पर निर्णय लेकर इनको सेवा में रखने का निर्णय लेने का मार्ग निकालना चाहिए।


ध्यानाकर्षण के जवाब में कहा गया कि बीएड अर्हताधारी अभ्यर्थियों के पक्ष में माननीय सर्वोच्च न्यायालय में अपील किया था तथा वर्तमान में इस संबंध में पुनर्विचार याचिका भी दायर की गई है।

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