जांजगीर : अपने संघर्षो से राज्यपाल पुरस्कार तक का सफर तय किया अनुराग ने…कुटरा के नवाचारी व्याख्याता को मिला राज्यपाल पुरस्कार

जांजगीर चांपा, 5 सितंबर । शिक्षा जगत में. कुछ शिक्षक ऐसे भी हैं जो अपने संघर्षो के कारण जाने जाते हैं इनमें से पुरे समय वें पर्दे के पीछे रहकर काम करना पसंद करते हैं इनमें से अनुराग जी का नाम सम्भवतः सबसे ऊपर होगा! अपने विद्यार्थी जीवन से लेकर शैक्षणिक जीवन तक की अलग पहचान बनाने वाले अनुराग ने अपने विद्यालय के बच्चों कों हमेशा संघर्ष करना ही सिखाया. 2009 में शिक्षा जगत के राजनीति विज्ञान में स्वर्ण पदक लेकर सुर्खियों में आने वाले अनुराग ने अपने विद्यालय के बच्चों के लिए स्वप्न देखा की मुझे उन्हें भी शिक्षा के क्षेत्र में आगे लाना हैं बस उनके इस संकल्प ने बच्चों कों जूझने के लिए संकल्प से पूर्ण कर दिया! वें बच्चे जो अपने को लेखन व पठन पाठन से अपने कों दूर समझते थे वें अब अपने प्रिय शिक्षक के साथ प्राण पण से अध्ययन में जुट गए!
परिणाम भी सामने था बच्चों के प्रदर्शन ने सब आलोचको के मुँह कों बंद कर दिया उनके माता पिता भी अपने बच्चों के प्रदर्शन से प्रभावित दिखे! यह सब अनुराग जी की मेहनत व कर्मठता का प्रतिफल रहा! उनके कार्यों ने स्वयं उनके गुणों का बखान करना शुरू कर दिया जैसे पुष्प की सुगंध चारो ओर स्वतः ही महक उठती है उसी प्रकार अनुराग जी के कार्यों ने उनके विद्यालय के अलावा अन्य विद्यालय के लोगो में जागृति ला दी. 2021 में कोरोना काल में मिस्ड काल गुरूजी योजना ने उनकी पहचान बना दी जिसके कारण संभाग स्तर पर उन्हें संभागायुक्त श्री संजय अलंग जी के हाथों मुख्यमंत्री गौरव अलंकरण सम्मान से सम्मानित भी किया गया! यही से उनकी मेहनत ने और धार देना शुरू किया व अपने विद्यालय में लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए वर्ष 2022 में छतीसगढ़ के महामहिम राज्यपाल के हाथों उनके नाम की घोषणा हुई और आज उनको प्रदेश के महामहिम राज्यपाल के हाथों राज्यपाल सम्मान से सम्मानित किया गया उनके इस सम्मान से शिक्षा जगत में हर्ष व्याप्त हैं!