मां अंबे की घटस्थापन के आखिरी दिन विशाल भंडारा: देर रात चला गरबा रास, सोमवंशी आर्य क्षत्रिय लोहार समाज का आयोजन, काफी संख्या में पहुंचे लोग

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बुरहानपुर (म.प्र.)38 मिनट पहले

शारदीय नवराात्रि में मां अंबे की घरों में घटस्थापन की जाती है। जिसकी 22 दिन तक अखंड ज्योत व विधि विधान से पूजा,अर्चना की जाती हैं। मंडी बाज़ार स्थित सोमवंशी आर्य क्षत्रिय लोहार समाज के क्षितिज शंखपाल द्वारा भी मां अंबे की घर में घटस्थापन की गई।

उन्होंने बताया कि जिन लोगों की मन्नत पूरी होती हैं उनके द्वारा या कई लोग अपनी.अपनी इच्छानुसार भी घरों में मां अंबे की घटस्थापन करते हैं। जिसकी अधिकतम 22 दिनों तक कडे नियमों का पालन कर पूजा-अर्चना व आराधना और साधना की जाती है।

इन दिनों लगातार हवनए पूजन के साथ हर रोज पारंपरिक वेशभूषा में गरबे खेले जाते हैं। क्षितिज ने बताया कि आखिरी दिन पूरी रात गरबा रास कर मां अंबे की आराधना की गई। जिसके बाद मां अंबे की विदाई कर घटस्थापन को ताप्ती घाट पर विसर्जन किया गया और विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें लगभग 2 हजार समाज व गैर समाज के लोगों ने प्रसादी ग्रहण की।

इस दौरान सोमवंशी आर्य क्षत्रिय लोहार समाज के अध्यक्ष अनिल नवग्रहे, रवीन्द्र शंखपाल, मनोज शंखपाल, विनोद शंखपाल, वीरू शंखपाल, हरीश मोरे, गजानन नवग्रहे, मयूर शंखपाल, नवल शंखपाल, धवल शंखपाल सहित अन्य लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे।

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