CM हाउस से मिले आश्वासन के बाद खत्म हुई हड़ताल: मेडिकल कॉलेजों में ब्यूरोक्रेट्स की नियुक्ति के प्रस्ताव का विरोध कर रहे थे डॉक्टर

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भोपाल26 मिनट पहले

भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज सहित प्रदेश के सभी 13 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में ब्यूरोक्रेट्स को प्रशासक बनाने के प्रस्ताव का मेडिकल टीचर्स और डॉक्टर सहित तमाम कर्मचारी विरोध कर रहे हैं। मंगलवार को सुबह से ही डॉक्टरों ने हमीदिया अस्पताल में सिर्फ इमरजेंसी सर्विस को छोड़कर बाकी काम बंद कर दिया। इसके बाद अस्पतालों में हालात बिगड़ने लगे। हालांकि दोपहर 12:30 बजे होने वाली कैबिनेट की मीटिंग मंत्रियों के गुजरात चुनाव में व्यस्त होने के चलते रद्द हो गई। कैबिनेट कैंसिल होने के बाद डॉक्टरों को चिकित्सा शिक्षा विभाग के अफसरों ने सूचना दी कि मेडिकल कॉलेजों में प्रशासकों की नियुक्ति वाला प्रस्ताव कैबिनेट में नहीं आएगा। डॉक्टरों की मानें तो उन्हें सीएम हाउस से भी यह आश्वासन दिया गया है कि ये प्रस्ताव अब कैबिनेट में नहीं आएगा। इसके बाद यह हड़ताल खत्म कर दी गई।

रोज होते थे 25 ऑपरेशन, हड़ताल के चलते टले

हमीदिया अस्पताल में करीब 18 ऑपरेशन थिएटर हैं। इनमें रोजाना करीब 20 से 25 ऑपरेशन होते हैं। मेडिकल टीचर्स की हड़ताल के चलते करीब 20 ऑपरेशन टालने पड़े। डॉक्टरों की मानें तो दोपहर एक बजे तक एक भी इलेक्टिव सर्जरी नहीं हुई। सिर्फ इमरजेंसी के ऑपरेशन ही किए गए।

यहां अधिकारियों का कोई काम नहीं
प्रोग्रेसिव मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन ऑफ मध्यप्रदेश के सचिव डॉक्टर राकेश मालवीय ने इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए कहा- हम यह हड़ताल मेडिकल कॉलेजों को बचाने के लिए कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि सरकार कैबिनेट मीटिंग के जरिए जो प्रस्ताव लाना चाहती है, उसे खारिज करे। मेडिकल कॉलेजों में डिप्टी कलेक्टर और एसडीएम का कोई काम नहीं है। उनका काम रेवेन्यू का है। नगर निगम में है, वल्लभ भवन में है। यहां सिर्फ डॉक्टरों का काम है।

नर्सिंग और स्टूडेंट एसोसिएशन ने भी दिया साथ
इस हड़ताल में सिर्फ टीचर्स के साथ नर्सिंग और स्टूडेंट्स एसोसिएशन भी इस हड़ताल में नजर आए। स्टेट नर्सिंग एसोसिएशन के सचिव ने कहा कि मेडिकल कॉलेजों को पहले स्वशासित बनाया गया था, लेकिन अब इसमें सरकार और प्रशासन इसमें दखल दे रही है। उन्होंने कहा कि जिस फील्ड में जो विशेषज्ञ है, उसकी नियुक्ति ही की जानी चाहिए। इसीलिए स्टेट नर्सिंग एसोसिएशन मेडिकल टीचर्स के साथ खड़ी है।

वहीं सरकार के इस प्रस्ताव से छात्र भी काफी नाराज थे। उनका कहना है कि अगर प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति छात्रों के लिए भी सही नहीं होगी। एक ऐसा अधिकारी जिसे मेडिकल की कोई समझ नहीं है वो हमारे हित के बारे में नहीं सोच सकता। इसलिए सिर्फ मेडिकल बैकग्राउंड के प्रोफेसर और अधिकारियों को ही कॉलेज प्रशासन में शामिल किया जाना चाहिए।

हड़ताल में जारी थी जनरल सेवाएं
हालांकि मंगलवार को हुई इस हड़ताल के दौरान ओपीडी, इमरजेंसी जैसी जनरल सेवाएं बंद नहीं की गई थी। हालांकि कई बड़े ऑपरेशन हड़ताल की वजह से कैंसिल कर दिए गए थे। इधर सरकार ने भी कैबिनेट मीटिंग फिलहाल कैंसिल हो गई है। लेकिन डॉक्टरों बताया कि कैबिनेट मीटिंग में अगर यह प्रस्ताव दोबारा लाया गया, तो फिर से हड़ताल की जाएगी।

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