महाकाल मंदिर में सबसे पहले दिवाली पर्व: भगवान को लगा उबटन ,पुजारीयों ने फुलझड़ी जलाकर भगवान महाकाल के साथ मनाई दिवाली

[ad_1]

एक घंटा पहले

हिन्दू परम्परा का सबसे बड़ा त्योहार दिवाली का पर्व भगवान महाकाल के मंदिर में तड़के होने वाली भस्म आरती के दौरान मनाया गया, मान्यता है की सभी त्योहारों की शुरुआत सबसे पहले महाकाल मंदिर से की जाती है । सोमवार को तड़के हुई भस्म आरती में सबसे पहले पण्डे पुजारियों फुलझड़ी जलाकर इस पर्व की शुरुआत की। रूप चौदस और दिवाली पर्व एक ही दिन होने से सुबह होने वाली भस्म आरती के दौरान भगवान महाकाल को अन्नकूट के साथ पुजारी परिवार की महिलाएं महाकाल को उबटन लगाया।

रोशनी का पर्व दीपावली पर बाबा महाकाल के आंगन में अल सुबह 4 बजे भस्म आरती के दौरान गर्म महाकालेश्वर भगवान को गर्म जल से स्नान करवाकर बाबा महाकाल का विशेष दूध दही घी शहद और फल के रस से बने पंचामृत अभिषेक पूजन किया गया। महाकाल का भांग,चन्दन,सिंदूर और आभूषणों से राजा के रूप में श्रृंगार किया गया। मस्तक पर तिलक और सिर पर शेषनाग का रजत मुकुट धारण कर रजत की मुंडमाला और रजत जड़ी रुद्राक्ष की माला के साथ साथ सुगन्धित पुष्प से बनी फूलों की माला अर्पित की गयी। जिसके बाद गर्भ गृह में बाबा महाकाल के साथ पंडित पुजारी ने फुलझड़ियां जलाकर दीपावली पर्व मनाया।इस अवसर पर मंदिर पर आकर्षक रंग बिरंगी विद्युत रोशनी की गई थी रंगोली और फूलों से साज सज्जा के साथ मंदिर को सजाया गया है। बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल के साथ दीपावली पर्व हर्ष उल्लास के साथ मनाया।

भस्म आरती के दौरान श्रृंगार

भस्म आरती के दौरान श्रृंगार

महाकाल अब गर्म जल से स्नान करेंगे

महाकाल मंदिर के पुजारी महेश गुरु ने बताया की विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में भस्म आरती के दौरान भगवान महाकाल को गर्म जल से स्नान कराया गया। इसे अभ्यंग स्नान कहते हैं। इससे पहले बाबा को चंदन का उबटन लगाया गया। चूंकि कार्तिक मास की चौदस से सर्दियों की शुरुआत मानी जाती है, इसलिए ठंड से बचने के लिए बाबा महाकाल को गर्म जल से स्नान कराने की परंपरा है। भगवान महाकाल को ठंड के दिनों में रोजाना गर्म जल से स्नान कराने की शुरुआत हो गई है।महाशिवरात्रि तक बाबा को गर्म जल से स्नान कराया जाएगा।

महाकाल को लगा उबटन

भस्म आरती के दौरान सबसे पहले महाकाल को पंचामृत स्नान कराने के बाद रूप चतुर्दशी के अवसर पर पुजारी परिवार की महिलाओ ने भगवान को केसर चंदन इत्र का उबटन लगाया। रूप चौदस पर वर्ष में एक बार पुजारी पुरोहित परिवार की महिलाएं शामिल होती है और बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार कर रूप निखारती है। ये मौका साल में एक ही बार महिलाओं को मिलता है जिसमें सभी सुगंधित द्रव्य लेकर महिलाएं बाबा महाकाल के लिए उबटन तैयार करती है और उन्हें लगाती है। जिसके बाद विशेष कर्पूर आरती होती है जो महिलाएं करती है।

दिवाली को अन्न कूट भी

महेश पुजारी ने बताया कि भगवान महाकाल मृत्युलोक के राजा माने जाते हैं। दिवाली पर्व पर महाकाल को अन्न कूट लगता है जिसमें धान,खाजा,शक्कर पारे, गूंजे ,पपड़ी मिठाई सहित भोग की थाली में खासा मूली की सब्जी, बैगन की सब्जी भी भोग के रूप अर्पित की गई ।

अन्न कूट भी लगा

अन्न कूट भी लगा

दीपावली पर देश-विदेश के पुष्पों से महका बाबा महाकाल का आंगन

दीपावली महापर्व पर बाबा महाकाल का आंगन देशी विदेशी पुष्पों से महक उठा। महाकाल मंदिर को देशी और विदेशी पुष्पों से सजाया गया। थाईलैंड, बैंकोक, मलेशिया के अलावा भारत देश के बैंगलोर, कोलकाता, दिल्ली, मुंबई से एंथोरियम, लिलियम, कॉर्निशन, क्रेसंतीमम, ऑर्शिड, सेवंती, डेजी जैसे पुष्पों से बाबा के आँगन को सजाया गया।

फूलों से सजा महाकाल का दरबार

फूलों से सजा महाकाल का दरबार

खबरें और भी हैं…
[ad_2]
Source link

Related Articles

Back to top button