आत्महत्या रोकथाम दिवस आज: 3 साल में काउंसिलिंग और हेल्पलाइन सेंटर की पहल से जान देने की घटनाओं में कमी आई

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- In 3 Years, The Incidents Of Death Came Down Due To The Initiative Of Counseling And Helpline Center
ग्वालियरएक घंटा पहले
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असुरक्षा का भाव, अवसाद व अकेलापन बन रहा सुसाइड का कारण।
24 वर्षीय रीना (परिवर्तित नाम )मायके में इकलौती थी। शादी के बाद ससुराल वाले आए दिन उसे छोटी-छोटी बातों पर ताना मारा करते थे। इस कारण वह तनाव में रहने लगी और लोगों से बातचीत बंद कर दी। जिसकी वजह से उसके दिमाग में आत्महत्या जैसी नकारात्मक बातें आने लगीं ।
रीना की सहेली, जो कि काउंसलर है, उसका बदला हुआ व्यवहार देखकर उसकी मनोस्थिति समझ गई। इसलिए शुरुआत में वह रीना से फोन पर बात कर उसकी मन की बातें जानने की कोशिश करती। रीना नहीं समझती थी कि उसकी दोस्त फोन पर काउंसिलिंग कर रही है। वह इसे अपनी दोस्त का प्रेम समझती थी।
धीरे-धीरे रीना ने सहेली को परेशानियां बताना शुरू किया। इसके बाद आमने-सामने की काउंसिलिंग शुरू की तो रीना के व्यवहार में बदलाव आया। रीना की तरह कई लोग ऐसे हैं जो असुरक्षा की भावना, अवसाद, सामाजिक ताने और अकेलेपन की वजह से आत्महत्या जैसे कदम उठाने की सोचते हैं।
पुलिस विभाग की मानें तो वर्ष 2020 में कुल 441 लोगों ने तनाव और परेशानियों के चलते अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। हर माह लगभग 37 लोगों ने आत्महत्या की। वहीं वर्ष 2021 में 426 लोगों ने परेशानियों के चलते जिंदगी की जंग से हार मान ली। हर माह 35 लोगों ने अपनी जान दी। इसी तरह इस वर्ष 31 अगस्त 2022 तक कुल 241 आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए।
इनमें भी हर माह 30 लोगों ने आत्महत्या की। अच्छी बात यह है कि बढ़ते आत्महत्या के मामलों को देखते हुए पुलिस सहित कई विभागों ने काउंसिलिंग और हेल्पलाइन सेंटर शुरू किए हैं, जिनकी बदौलत इन मामलों में गिरावट दर्ज हुई। बीते दो वर्षों की तुलना में इस वर्ष हर माह 7 और पिछले साल की तुलना में हर माह 5 आत्महत्या के मामलों में कमी आई है।
26 से 40 साल के लोगों में सबसे ज्यादा तनाव, 71 से अधिक उम्र वालों में सबसे कम
कदम जन विकास संस्था की सचिव अनुपम साहू ने बताया कि उनकी संस्था ने शहर के 1542 लोगों के बीच सर्वे किया। इसमें 559 पुरूष और 983 महिलाओं को शामिल किया। इस सर्वे में 10 साल से लेकर 80 साल तक के लोगों को शामिल किया। इसमें पता चला कि 26 से 40 साल के लोग सबसे ज्यादा तनाव में रहते हैं, जबकि 71 से 80 साल के बुजुर्गों में तनाव सबसे कम होता है।
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