Chhattisgarh


मलेरिया से बचाने 2.66 लाख लोगों की हो रही जांच

सुकमा, 06 दिसम्बर । जिले को मलेरिया मुक्त करने स्वास्थ्य विभाग व्यापक अभियान चला रहा है।  बीते छः सफल आयोजन के बाद अब मलेरिया मुक्त बस्तर का सातवाँ चरण शुरू किया गया है। 21 दिसम्बर तक चलने वाले इस अभियान में विभाग के 782 दलों के द्वारा 2.66 लाख लोगों के खून की जांच हो रही है। इस अभियान को सफल बनाने के लिए महिला तथा पुरूष कार्यकर्ता , सीएचओ के साथ मोहल्ले की मितानिन और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संयुक्त रूप से घर-घर भ्रमण कर मलेरिया के लक्षण वाले मरीजों की पहचान करेंगे।  

इस सम्बंध में मलेरिया कार्यक्रम की जिला सलाहकार राजेश्वरी ने बताया: “मलेरिया रोकथाम के लिये जिले में सभी तैयारी पहले ही की जा चुकी है। इस अभियान का उद्देश्य मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों से मलेरिया परजीवी नष्ट करना है। सुकमा जिले के आश्रम, छात्रावास और बटालियन के कैम्प में भी मलेरिया की जांच स्वास्थ्य अमला द्वारा की जाएगी। प्रत्येक परिवार के सदस्यों की जाँच के दौरान  किसी व्यक्ति में मलेरिया के लक्षण या रोगी मिलते है तो उन्हें सर्वे दल के सामने ही दवा की ख़ुराक खिलायी जाएगी। जांच के दौरान गम्भीर प्रकरण पाए जाने पर मरीज को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या जिला अस्पताल में रिफर किया जाएगा।”

उन्होंने आगे बताया: “स्वास्थ्य कर्मचारियों के द्वारा सर्वे के दौरान मलेरिया से बचाव के लिये लोगों को मच्छरदानी का उपयोग व आसपास सफाई रखने के लिये उन्हें प्रेरित किया जाएगा। 1 दिसंबर से प्रारंभ हुए इस अभियान में  411 गांवों के लोग लाभान्वित होंगे।”

सात चरणों की क्रमवार जानकारी

चरणवार

कब से कब तक

पॉजिटिविटी दर

प्रथम चरण

14 जनवरी से 15 फरवरी 2020

5.8%

द्वितीय चरण

14 जून से 30 जुलाई 2020

3.4%

तृतीय चरण

15 दिसंबर से 30 जनवरी 2021

1.7%

चतुर्थ चरण

15 जून से 31 जुलाई 2021

0.4%

पांचवा चरण

22 नवम्बर से 30 दिसंबर 2021

0.5%

छटवां चरण

17 मई से 16 जून 2022

0.1%

सातवाँ चरण

1 दिसंबर से 21 दिसंबर 2022 से प्रारंभ

मलेरिया के कारण

मलेरिया मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है। खून के जरिए शरीर में घुसते ही विषाणु यकृत (लीवर) तक पहुंच जाता है। लीवर में मलेरिया का विषाणु परिपक्व हो जाता है और बच्चे पैदा करने लगता है। विषाणुओं की संख्या बढऩे के साथ ही शरीर बीमार होने लगता है। शुरुआत में रोगी को शरीर में दर्द के साथ बुखार, सिरदर्द, उल्टी या गले में सूखे कफ की शिकायत होती है। ऐसा होने पर अगर खून की जांच कराई जाए तो मलेरिया का पता आसानी से चल जाता है। लापरवाही की जाए या समय से इलाज न किया जाए तो रोगी की हालत गंभीर  भी हो सकती है ।

ऐसे करें बचाव 

अपने आसपास कहीं पर भी पानी इकट्ठा न होने दें। घर की छत पर पड़े टायर या फिर गमलों को पूरी तरह से ढक दें। घर के फर्श और आसपास को फिनाइल जैसे कीटाणुनाशक से साफ करते रहे। रात को सोते समय मच्छर मारने वाली क्वाइल या फिर मच्छरदानी लगाकर सोएं। ठंड के मौसम में हाथ और पैर ढकने वाले कपड़े पहनें।

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