मरीजों को मिलेगी सुविधा: सेंट्रल इंडिया का दूसरा न्यूक्लियर मेडिसिन सेंटर भोपाल एम्स में शुरू… हाइपर थाॅयराइड और हड्डियों में फैले कैंसर के मरीजों को मिलेगा फायदा

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भोपालएक घंटा पहले

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  • अंगों की थ्रीडी इमेज लेकर जांच करने वाली हाइब्रिड स्पेक्ट मशीन का इस्तेमाल और रेडियोएक्टिव आयोडीन थेरेपी भी शुरू

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल में न्यूक्लियर मेडिसिन डिपार्टमेंट शुरू हो गया है। अब यहां हड्डियों में फैला कैंसर, पित्त या फिर किडनी की पथरी का दर्द, इन सभी मर्ज का इलाज मिल सकेगा। इस डिपार्टमेंट के शुरू होने से उन लोगों को भी राहत मिलेगी, जिन्हें हाइपर थायराइड है।

इसके लिए विभाग ने रेडियोएक्टिव आयोडीन थेरेपी शुरू की है। डॉक्टरों का कहना है कि अभी इसके इलाज के लिए प्रदेश के मरीजों को दूसरे राज्यों में जाकर इलाज कराना पड़ता था, लेकिन अब एम्स में 13 मरीजों का इलाज चल रहा है। यह सेंट्रल इंडिया का दूसरा सेंटर है।

जहां पर न्यूक्लियर मेडिसिन डिपार्टमेंट ने काम करना शुरू कर दिया है। अभी यह सुविधा केवल रायपुर एम्स में है। डिपार्टमेंट की डाॅ. सुरुचि जैन और डॉ. दीपा सिंह का कहना है कि प्रदेश की सबसे आधुनिक हाइब्रिड स्पेक्ट सीटी मशीन से जांच भी शुरू हो गई है। इससे शरीर के हर अंग की बारीकी से जांच की जा सकती है।

दरअसल, मरीज के आंतरिक अंगों की थ्रीडी इमेज मिलने से हरेक अंग की सटीक जानकारी मिलेगी। जैसे कहां ब्लॉकेज है, अंग कितने प्रतिशत काम कर रहा है के बारे में पता चलेगा। इनकी प्राइवेट में जांच कराने पर 12 सेे 20 हजार तक का खर्च आता है, जबकि एम्स में 500 से लेकर अधिकतम 4 हजार रुपए का खर्च आएगा।

न्यूक्लियर मेडिसिन में शुरू हो रही बोन पेन पेलियशन थेरेपी

न्यूक्लियर डिपार्टमेंट में अब जल्दी ही बोन पेन पेलियशन थेरेपी शुरू होगी। इसकी तैयारियां चल रही हंै। इससे हड्डियों में फैले कैंसर और उससे होने वाले दर्द से मरीजों को राहत मिलेगी। अभी कीमो थेरेपी के साइड इफेक्ट व दर्द के कारण मरीज को परेशान नहीं होना पड़ेगा। अभी यहां रेडियोएक्टिव आयोडीन थेरेपी और पूरी शरीर की स्कैनिंग हो रही है। खास तौर पर मस्तिष्क में होने वाली हर बीमारी, लंग्स, कार्डियक, रीनल, थायराइड सहित हरेक अंग की स्कैनिंग की जा रही है।

डॉक्टर मरीज को कर सकते हैं रेफर

डॉक्टरों का कहना है कि अभी नया डिपार्टमेंट है। प्रचार कम होने से न्यूक्लियर डिपार्टमेंट के बारे में कम जानकारी है। शहर के डॉक्टर मरीजों को जांच के लिए रेफर कर सकते हैं। तभी इलाज संभव है, लेकिन सीधे तौर पर मरीज को नहीं देखा जाता है।

वार्ड हो रहे तैयार… डॉक्टराें ने बताया कि उनके डिपार्टमेंट में अभी ओपीडी चल रही है। रेडियोएक्टिव दवाओं वाले मरीजों को अलग रखा जाता है, ताकि रेडिएशन न फैले। इसलिए स्पेशल वार्ड बन रहा है। इसके बाद मरीजों को भर्ती भी किया जाएगा। अभी माइल्ड दवाओं से इलाज किया जा रहा है।

एम्स में न्यूक्लियर मेडिसिन डिपार्टमेंट शुरू हो गया है। सेंट्रल इंडिया का यह दूसरा सेंटर है। जल्दी यहां मरीजों के लिए वार्ड की सुविधा भी शुरू हो जाएगी। अभी ओपीडी ही चल रही है। -डॉ. अजय सिंह, डायरेक्टर, एम्स भोपाल

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