इंदौर में लड़कियां कर रहीं बाल दान: रिसर्च में सामने आया ट्रेंड, कैंसर मरीजों से है इसका कनेक्शन…

[ad_1]
इंदौर/देवेंद्र मीणा36 मिनट पहले
सामान्य तौर पर कैंसर के मरीजों को इलाज के साथ सबसे ज्यादा हौसले की जरुरत होती है। कीमोथेरेपी के दौरान बालों के खत्म होने से वे और ज्यादा निराश हो जाते हैं। ऐसे लोगों को बाल देकर उनका हौसला बढ़ाने का जिम्मा इंदौर की कुछ लड़कियों ने उठाया है। यह बात एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में शुरू होने के बाद पहली बार पढ़े गए पहले हिंदी रिसर्च पेपर में सामने आई है।
रिसर्च में यह बात भी सामने आई है कि बीते एक-दो सालों में बाल दान करने का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है। बाल डोनेट करने वाली लड़कियों में भी आत्मविश्वास बढ़ाता है। यह बात और है कि परिवार और समाज की तरफ से अलग-अलग प्रतिक्रियाओं का सामना भी उन्हें करना पड़ता है। हालांकि लड़कियां इसका सामना भी बखूबी कर रही हैं। इंदौर में कैंसर केयर को लेकर तीन दिवसीय कांफ्रेंस नर्सिंग रिसर्च सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा 10 से 12 नवंबर तक आयोजित की गई। इसमें डॉ.ललित सिंह जादौन और आतुरिका भटनागर ने कैंसर केयर पर देश का पहला हिन्दी में रिसर्च पेपर प्रस्तुत किया।

कैंसर केयर को लेकर आयोजित कांफ्रेंस में बाल दान को लेकर हिन्दी में प्रदेश का पहला शोध पत्र प्रस्तुत किया गया।
रिसर्च में ये आया सामने
रिसर्च में बताया गया कि किस तरह लड़कियां बालों का दान कर कैंसर के मरीजों को बीमारी से लड़ने का हौसला दे रही है। रिसर्च में बाल दान करने वाले को मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभाव के बारे में भी जानकारी जुटाई गई। मनोवैज्ञानिक प्रभाव के तहत यह पाया गया कि इससे बाल दाताओं के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
कीमोथैरेपी के बाद शुरू हो जाता है बालों का झड़ना
कैंसर होने पर पीड़ित पहले भावनात्मक रूप से फिर शारीरिक और सामाजिक जीवन प्रभावित होता है कीमोथैरेपी शुरू होने के बाद कई अन्य दुष्प्रभावों में थकान, दर्द और बालों का झड़ना शामिल हैं। इनसे बीमार अपना आत्मविश्वास और लड़ने की इच्छा खो देता है।

हेयर डोनेट करने के बाद की सेल्फी।
ऐसे कर सकते है हेयर डोनेशन
कॉपविथ कैंसर डॉट ओआरजी, चेरियन फॉउंडेशन, हेयर क्रॉउन, डोनेट इन काइंड संस्थाओं से एप्रोच कर कोई भी व्यक्ति अपने बाल दान कर सकता है। बाल दान करने वाले व्यक्ति को संस्था की ओर से बताया जाता है कि बाल कलर किए हुए नहीं होना चाहिए। बालों की एक लंबी छोटी बनाकर उसे ऊपर से कट कर थैली में डालकर संस्था के पते पर भेजना होता है। बालों की लंबाई इसमें महत्वपूर्ण होती है। कम से आठ से दस इंच लंबे बाल होना जरूरी है।
18 से 25 साल की लड़कियां शामिल, जागरूकता का अभाव
बाल डोनेट करने में ज्यादातर 18 से 25 साल की लड़कियां शामिल हैं। इंदौर में यह ट्रेंड बीते एक दो साल में तेजी से बढ़ा है, हालांकि बाल दान करने के प्रति अभी भी जागरूकता का अभाव है। शोध में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान के करीब 750 महिला-पुरुषों को शामिल किया गया था, जिसमें 57 प्रतिशत महिलाओं में बाल दान करने को लेकर जागरुकता का अभाव नजर आया। पुरुषों में ये स्थिति 40 प्रतिशत रही। 10 प्रतिशत महिला-पुरुषों ने शायद में जवाब दिया। वहीं बाल दान करने की प्रक्रिया में रूचि लेने वाले स्त्री-पुरुषों में 83 प्रतिशत महिलाएं और 17 प्रतिशत पुरुष हैं।

इंदौर की प्रिया खंडेलवाल की हेयर डोनेट करने के पहले और बाद की तस्वीर।
दोस्त की दादी का कैंसर से हुआ देहांत, तब पता चला
‘मुझे हेयर डोनेट करने के बारे में मेरी फ्रेंड के जरिए पता चला था। उसने अपनी दादी के लिए बाल डोनेट किए थे। उसकी दादी को कैंसर था और कैंसर की वजह से उनका देहांत हो गया था। जो कर सकते है, उन्हें अपने बाल डोनेट करना चाहिए इससे कैंसर पेशेंट के चेहरे पर स्माइल आएगी। उनका आत्मविश्वास वापस आ सकता है। मेरे बाल बचपन से कम रहे लेकिन इसके बावजूद हेयर डोनेट किए है और अब बहुत कॉन्फीडेंट फिल होता है।’
– प्रिया खंडेलवाल, हेयर डोनेटर

सैलून से मुझे पता चला
‘सबसे पहले मैंने इस बारे में मैंने जिस सैलून पर बाल कटवाने जाती थी वहां सुना था। उन्होंने मुझे बताया था कि वो इस तरह के काम में इनवॉल्व है और उन्होंने स्टार्ट किया है तो वो ये करते थे कि जो भी हेयर उनके पास कलेक्ट होते थे, उन्हें अच्छे से बांधकर उन्हें जो भी संस्था है, उन्हें भेजते थे और फिर वहां पर विग बनती थी। 5-6 साल पहले मैंने बाल डोनेट किए थे। इसके बाद मुझे बहुत अच्छा लगा था, क्योंकि इसमें मैं अपना कुछ योगदान दे पा रही थी और इसमें बहुत ज्यादा कुछ एफर्ट्स भी नहीं लग रहे थे।’
– अतुरिका भटनागर, हेयर डोनेटर

– डॉ.ललित सिंह जादौन, रिसर्चर सिरम नर्सिंग कॉलेज इंदौर।
दोनों में एक सामाजिक संबंध भी स्थापित हो रहा है
‘मध्यप्रदेश पहला प्रदेश बन गया है, जिसने मेडिकल की पढ़ाई का सिलेबस हिन्दी में कन्वर्ट कर दिया है। ये मेडिकल की पहली ऐसी रिसर्च कांफ्रेंस हुई है, जिसमें पहला शोध पत्र हिन्दी में प्रस्तुत किया गया है। सिलेबस चेंज होने के बाद। इसमें हमने ये किया कि कैंसर पेशेंट को दवाईयों और रेडिएशन से ठीक किया जाता था लेकिन भावनात्मक तल पर उनको ठीक करने की ये एक स्टडी थी। जो युवा बाल दान करते है, जिसका ट्रेंड अभी बहुत तेजी से बढ़ता भी जा रहा है। दान करने की प्रक्रिया भी बहुत सरल है। लेकिन इसके कुछ पैरामीटर है। जैसे करीब 10-12 इंच बालों की लंबाई होनी चाहिए। बालों की चोटी गूंथ कर उसे निश्चित एंगल पर कट कर भेजना होता है। इसमें अवेयरनेस आ जाए तो कई कैंसर पेशेंट को जीने की नई राह मिल सकती है।’
– डॉ.ललित सिंह जादौन, रिसर्चर सिरम नर्सिंग कॉलेज इंदौर

बाल दान करने के लिए उनके लंबे होने के साथ-साथ कलर किए हुए नहीं होना चाहिए।
Source link