मंदसौर से शुरुआत: कैदियों का मन बदलने जेल की हर बैरक में लगेगी एलईडी,सुबह प्रवचन, दोपहर में समाचार और रात को देख सकेंगे फिल्म

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मंदसौरएक घंटा पहले
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सुधारात्मक कानून व्यवस्था के तहत कैदियों की मन:स्थिति सुधारने के लिए अब प्रदेशभर की जेलों के हर बैरक में संतों के प्रवचन होंगे। ये विभिन्न धार्मिक चैनल के माध्यम से कैदियों को सुनने को मिलेंगे। यह व्यवस्था राष्ट्रीय संत उपाध्याय गौतममुनिजी की प्रेरणा से डीजी जेल के निर्देश पर की जा रही है। इसके तहत सितंबर में मंदसौर जेल में 8 एलईडी भेंट की गई। गुरुवार को रतलाम जेल में 12 एलईडी का वितरण किया। अभियान के तहत प्रदेशभर की जेलों में 100 से अधिक एलईडी का वितरण किया जाएगा।
इसके बाद नीमच में 12 एलईडी भेंट की जाएगी। वितरण सूरजबाई लक्ष्मीलाल पारमार्थिक मारू ट्रस्ट के सहयोग से किया जा रहा है। किसी भी अपराध के बाद सजा काटने के लिए कोर्ट फैसले के आधार पर अपराधी को बंदी के रूप में जेल में रहना होता है। निर्धारित दिनचर्या के चलते उसके पास करने को कोई काम नहीं होता। ऐसे में अधिकतर समय पुरानी बातों को ध्यान करने में ही गुजरता है। इसके चलते उसकी मन:स्थिति और अधिक खराब हो जाती है।
देश में फैल रहे अपराध को देखते हुए राष्ट्रीय संत उपाध्याय गौतममुनिजी ने सूरजबाई लक्ष्मीलाल पारमार्थिक मारू ट्रस्ट के सीईओ मनीष मारू को प्रदेशभर की जेलों में एलईडी लगाने को कहा। मारू ने डीजी जेल अरविंदकुमार को संतश्री की इच्छा से अवगत कराया। इस तरह का प्रयोग 2016 में किया जा चुका था। हालांकि उस समय पूरी जेल में एक ही टीवी थी। इससे अधिकतर कैदी लाभ नहीं ले पा रहे थे और योजना फलीभूत नहीं हो रही थी।
इसके चलते डीजी जेल ने भी इस पर सहमति दी। सितंबर में ट्रस्ट ने जेल में संत कमलमुनि कमलेश, विधायक यशपालसिंह सिसौदिया, डीजी जेल कुमार, कलेक्टर गौतमसिंह, एसपी अनुराग सुजानिया की उपस्थिति में एलईडी दी। एक माह बाद गुरुवार को रतलाम जेल में 12 एलईडी दी गई।
जेल में फिलहाल 577 कैदी, इनमें 15 महिलाएं
जेल अधीक्षक पी.के. सिंह ने बताया अपराध करने वाला हर व्यक्ति आपराधिक प्रवृत्ति का नहीं होता। कई बार उससे किसी परिस्थिति में भी अपराध हो जाता है और उसे अपराध बोध भी रहता है। ऐसी स्थिति में जेल के टाइम-टेबल व अकेलेपन के कारण उसकी मानसिकता धीरे-धीरे खराब होने लगती है। ऐसे में यदि वह संतों के प्रवचन को सुने और उसकी मानसिकता में सुधार होता है तो वह अपराध से दूरी बनाने लगता है। वैसे यह सुविधा उन जेलों के लिए ज्यादा कारगर होगी जहां उग्र किस्म के बंदी हैं। मंदसौर जेल में फिलहाल 577 कैदी हैं। इनमें 15 महिला कैदी हैं। पहले व अभी की मिलाकर सभी 16 बैरक में एलईडी लगाई है। इनमें डीटीएच की सहायता से कैदी प्रवचन, समाचार व स्पोर्ट्स चैनल देखते हैं।
जेल में बंदी का दिमाग और अधिक कुंठित हो जाता है
किसी लालच या भय में आकर ही मनुष्य से अपराध होेता है। सजा होने के बाद जेल में उसका दिमाग और अधिक कुंठित हो जाता है। इस दौरान उसकी संगत भी उसे अपराध की ओर घसीटती है। जब वह सजा पूरी कर बाहर आता है तो समाज उसे एकदम स्वीकार नहीं करता। यदि वह जेल में संतों के प्रवचन सुनता है, न्यूज देखकर अपडेट होता है तो उसकी मन:स्थिति में निश्चित ही सुधार होगा।
– डॉ. हिमांशु यजुर्वेदी , साइकोलॉजिस्ट, मेटिवेशनल कोच, काउंसलर मंंदसौर
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