भोपाल में पहली बार शुरू हुआ ‘एंपैथी सर्किल’: किसी ने ‘गे’ होने पर सुनाई दर्द भरी आप बीती, तो किसी ने इंटर- रिलिजन मैरिज का सुनाया दर्द

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भोपाल40 मिनट पहले

मैं राहुल (परिवर्तित नाम) आज तक या बात किसी से खुल कर कह नहीं पाया । मैं 9वी क्लास में पढ़ता था, तब मैंने अपने होमोसेक्सुअल यानी ‘गे’ होने की बात अपने दोस्त को बताई। समझना तो दूर मेरे दोस्त ने मुझे ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया । उसने मुझे ब्लैकमेल किया कि अगर मैं उसके साथ फिजिकल रिलेशन नहीं बनाऊंगा, तो वह मेरे गे होने की बात सबको बता देगा। उसने मुझे 5 साल तक परेशान किया। मैं अंदर से टूट चुका था। मैं यह बात किसी से कह नहीं सकता था। बस चुपचाप अपने डायरी में लिखता रहता था। एक दिन मेरी छोटी बहन ने वह डायरी देख ली। उसने मुझसे पूछा भैया आप ‘गे’ हैं। उसको मैंने सारी बात बताई। मेरी बहन ने मेरा पूरा साथ दिया। लेकिन आज भी मैं उस ट्रॉमा से बाहर नहीं आ पाया हूं।

यह किस्सा है राजधानी में मेंटल हेल्थ डे पर शुरू हुए पहले एंपैथी सर्किल की। ऐसी एक ही नहीं बल्कि कई पार्टिसिपेट ने अपने डार्क सीक्रेट से लेकर अपनी फीलिंग्स साझा की। इन्ही में से नाम न उजागर करने की शर्त में एक पार्टिसिपेंट ने बताया की कैसे इंटर रिलिजन मैरिज ने उन्हें धीरे – धीरे डिप्रेशन में घेर लिया। वहमेंटल हेल्थ के कारण इतनी बीमार हो गईं की 2 सालों तक उन्होंने बेड- रेस्ट के लिए कह दिया गया। ऐसे लाखों किस्से हैं जो मेंटल हेल्थ से जुड़े हैं लेकिन समय पर इलाज न होने की वजह से कई बार पेशेंट्स अपनी जान खुद ले लेते हैं। इस साल वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ द्वारा ‘Make Mental Health and Well-Being for All a Global Priority’ थीम रखी गई है।

तो आखिर जान लेतें हैं आखिर मनसिक बीमारी यानि मेंटल हेल्थ का डाटा क्या कहता है :-

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के डेटा के मुताबिक, कोरोना की वजह से भारत की 20% आबादी को मानसिक बीमारियां हो सकती हैं। इनमें से 5.6 करोड़ लोग डिप्रेशन और 3.8 करोड़ लोग एंग्जाइटी डिसऑर्डर के शिकार हैं। मेंटल हेल्थ खराब होने के कारण जहां बच्चों और युवाओं के व्यवहार में बदलाव आते हैं, वहीं बूढ़े लोग डिप्रेशन की चपेट में आ जाते हैं। WHO का अनुमान है कि खराब मेंटल हेल्थ के कारण भारत को 2012 से 2030 के बीच में 1.03 ट्रिलियन (1 लाख करोड़) डॉलर का आर्थिक नुकसान होगा।
  • नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की तरफ से साल 2020 के लिए जारी की गई रिपोर्ट भी परेशान करने वाली है। आंकड़े देखें तो आत्महत्या के मामलों में 2019 के मुकाबले 2020 में 10% इजाफा हुआ। आत्महत्या करने वाले इन लोगों में सबसे ज्यादा 24.6% दिहाड़ी पर काम करने वाले थे। कोरोना लॉकडाउन का सबसे बुरा प्रभाव इन्हीं लोगों की आजीविका पर पड़ा था।
  • 2019 में द लैंसेट साइकेट्री जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 19.7 करोड़ यानी हर 7 में से एक व्यक्ति किसी न किसी मानसिक विकार की चपेट में है। इन समस्याओं में डिप्रेशन, एंग्जाइटी, बायपोलर डिसऑर्डर, सिजोफ्रेनिया, आचरण विकार, औटिज्म आदि शामिल हैं।
  • 2021 में हुई एक रिसर्च में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM) इंदौर के रिसर्चर्स ने कहा था कि आम जनता मेंटल हेल्थ से जुड़ी परेशानियों को नहीं समझ पाती है और महामारी के समय ये “खामोश” समस्याएं चुप-चाप नजरंदाज की जा रही हैं।
  • रिसर्चर्स के मुताबिक, कोरोना में बढ़ रही चिंता ने लोगों की मेंटल हेल्थ पर बुरा असर डाला है। इन समस्याओं से जूझ रहे लोगों में आत्महत्या करने के ख्याल बढ़ते जा रहे हैं। इस चिंता के कारण पारिवारिक रिश्ते भी बिगड़े हैं, जिसके चलते घरेलू हिंसा और शराब की लत लगने के मामले बढ़े हैं।

साल 2022 में पहली बार सरकार द्वारा मेंटल हेल्थ की समस्या के समाधान को लेकर बजट पेश किया गया था :-

वित्तमंत्री सीतारमण ने, टेली मेंटल हेल्थ सेंटर्स बनाने की बात कही थी। जिसका नोडल सेंटर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस बेंगलुरु को बनाने की प्लानिंग थी। जानकारी के मुताबिक, कुछ दिनों में सरकार देश भर में टोल फ्री नंबर के माध्यम से टेली मेंटल हेल्थ प्रोग्राम शुरू करेगी। अब जान लेते हैं सरकार द्वारा शुरू किए जाने वाले टेली मेंटल हेल्थ के बारे में :-

  • ‘टेली मेंटल हेल्थ’ का मतलब दूरसंचार और विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लोगों को मानसिक बीमारियां होने पर स्वास्थ्य सुविधा देना है। इसे टेली साइकियाट्री या टेली साइकोलॉजी भी कहा जाता है।
  • कोरोना महामारी के दौरान हुए कई शोधों में वैज्ञानिकों ने पाया है कि मानसिक रोगियों को टेली मेंटल सुविधाओं से काफी मदद मिलती है। लॉकडाउन के समय इसकी जरूरत और बढ़ गई है।
  • टेली मेंटल हेल्थ सर्विस के दो सबसे बड़े फायदे हैं इसकी पहुंच और लागत। दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले लोग भी आसानी से मानसिक स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ ले सकेंगे। जो लोग मानसिक स्वास्थ्य पर ज्यादा खर्च नहीं कर सकते, वे भी कम पैसों में डॉक्टर से संपर्क कर सकेंगे।
  • देश में आज भी लोग मेंटल हेल्थ से जुड़ी बातें खुलकर नहीं कर पाते हैं। टेली मेंटल हेल्थ प्रोग्राम के जरिए लोग घर बैठे ही अपनी परेशानी डॉक्टर से साझा कर सकेंगे, जिससे उनकी ये झिझक दूर होगी।

अब बात भोपाल में पहली शुरू हुए ‘एंपैथी सर्किल’ की :-

राजधानी में एंपैथी सर्किल की शुरुआत मेंटल हेल्थ स्टार्टअप ऑरेंज आउल द्वारा की गई है। इस सर्किल का मकसद है एक ऐसी कम्युनिटी डेवलप करना जो एक दूसरे को सुन सके, समझ सके। अगर आप भी इस कम्युनिटी से जुड़ना चाहते हैं तो सोशल मीडिया में ऑरेंज आउल से जुड़ सकते हैं।

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