भूतड़ी अमावस्या आज: MP में नर्मदा घाटों पर भूत उतारने के लिए जुटेंगे लाखों लोग; जानिए- क्या कहता है धर्म, विज्ञान और मनोविज्ञान

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धर्मेन्द्र चौहान, मध्यप्रदेश16 मिनट पहले

आज भूतड़ी अमावस्या है। इस मौके पर मध्यप्रदेश के देवास, नर्मदापुरम, हरदा, जबलपुर, डिंडौरी समेत अन्य जिलों में नर्मदा घाटों पर स्नान के लिए हजारों लोग पहुंच रहे हैं। इनमें से कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इस मान्यता और भरोसे के साथ आएंगे कि भूतड़ी अमावस्या पर नर्मदा में स्नान करने से कष्ट दूर हो जाएंगे।

ये लोग घाट पर उन ओझा-बाबाओं के पास भी पहुंचेंगे, जो इन्हें बताएंगे कि भूत का साया है, फिर इसे उतारने का दावा करेंगे। वैसे तो आज तक भूत-प्रेत आत्मा के अस्तित्व का प्रमाण नहीं है, लेकिन शास्त्रों में प्रेत का जिक्र जरूर है। दैनिक भास्कर बता रहा है शास्त्र, मेडिकल साइंस और मनोवैज्ञानिक की नजर से हकीकत क्या है…

शास्त्रों के अनुसार 84 लाख में से एक योनि प्रेत की भी

जबलपुर के पंडित जनार्दन शुक्ला कहते हैं कि शास्त्रों के अनुसार 84 लाख योनि में एक प्रेत योनि होती है, जिसकी अकाल मौत होती है या जिसने जीवनभर पाप किए हों, उसे प्रेत योनि मिलती है। इनकी उम्र 60 से 200 साल तक के बीच होती है। वे बताते हैं कि शास्त्रों के अनुसार भूतों का निवास अंधकार में माना गया है। उनका मानव जीवन में दखल नहीं के समान है। फिर भी कभी कोई भूत के रास्ते में आता है, तो वह इंसान हिल जाता है, लेकिन लंबे समय तक ऐसा नहीं होता।

बस, उस व्यक्ति को अनुभव हो जाता है कि वह किसी असामान्य वायु के संपर्क में आया था। यह अनुभव काफी डराने वाला होता है, लेकिन कम लोगों के साथ ऐसा होता है। अमावस्या की रात को सबसे ज्यादा अंधकार वाली रात माना गया है। भूत-प्रेतों के लिए भी एक तिथि अमावस्या तय की गई है।

पंडित शास्त्री मनोविज्ञान से सहमत होते हुए कहते हैं कि भूतबाधा की बीमारी को प्रेत ज्वर कहा जाता है, जिसे दूर किया जा सकता है। यदि कोई भूत-प्रेत की योनि में है, तो उसके वंशज यदि उसके लिए पिंडदान करते हैं अथवा गयाजी जाकर पिंडदान करते हैं, तो उन्हें प्रेत योनि से छुटकारा मिल जाता है।

मेडिकल साइंस में भूतबाधा का मतलब दिमागी गड़बड़ी से होने वाली बीमारी

अब बात करते हैं मेडिकल साइंस की। क्या वह भूत को मानता है, तो सीधा जवाब है नहीं। जिसे आम आदमी भूतबाधा समझता है, मेडिकल साइंस में उसे सिजोफ्रेनिया कहा जाता है। यह वह बीमारी है, जो हर देश में होती है, तभी तो अमेरिका जैसे देश में टीवी पर हॉन्टेड शो खूब देखे जाते हैं।

इंदौर के गोकुलदास हॉस्पिटल और रिसर्च सेंटर की सीनियर कंसल्टेंट और साइकेट्रिस्ट डॉ. स्मिता अग्रवाल बताती हैं कि हर देश में लगभग 1% आबादी में सिजोफ्रेनिया के मरीज पाए जाते हैं। आमतौर पर यह बीमारी 15 से 30 साल की उम्र के दौरान शुरू होती है। यदि समय पर इसकी पहचान कर इलाज करा लिया जाए, तो इससे बचा जा सकता है। वरना हर आदमी फिल्म की भूल-भुलैया की मंजुलिका जैसा लकी नहीं होता, जिसे अक्षय कुमार जैसा डॉक्टर आकर बचा ले।

सिजोफ्रेनिया एक दिमागी गड़बड़ी से पैदा होने वाली बीमारी है। आमतौर पर किसी सर्टिफाइड डॉक्टर से इलाज कराने पर यह ठीक हो सकती है। यह बीमारी अनुवांशिक होती है। डॉक्टरों का कहना है यदि एक महीने से ज्यादा सिजोफ्रेनिया रहता है, तो इसका उपचार करना चाहिए। यदि ऐसा नहीं करते हैं, तो पेशेंट आम जीवन से कट जाता है, कुल मिलाकर वह निष्क्रिय हो जाता है।

सिजोफ्रेनिया का मरीज अजीब सी हरकतें करना शुरू करता है, जो पहले नहीं करता था, जैसे देवी आना या भूतबाधा। अचानक कहने लगता है कि कोई मुझे मारना चाहता है या वो हर पल मेरा पीछा कर रहा है। कभी कहता है- आवाजें सुनाई दे रही हैं। कभी कहता है- कोई मुझे आवाज दे रहा है या बुला रहा है। कभी तो अपने आप गुमसुम हो जाता है। हंसने लगता है। रोने लगता है।

कई बार कुछ पेशेंट रात में बिस्तर से उठकर चलने लगते हैं। दोहरी जिंदगी जीने के कारण पेशेंट अपना ध्यान रखना बंद कर देता है। वह खाना बंद कर देता है। रात-रातभर जागता है। पूरी नींद नहीं लेता है। इस कारण से कमजोर हो जाता है। कई बार ऑफिस का काम छोड़कर बाहर निकल जाता है। इन सारी एक्टिविटी के कारण बेहद कमजोर हो जाता है। उसे अन्य बीमारियां भी घेरने लगती हैं।

यह बीमारी कब ठीक होगी? यह डिपेंड करता है कि बीमारी कितनी पुरानी है। यदि कोई छह महीने से बीमार है, तो सालभर में ठीक होगा। सालभर से बीमार है, तो दो साल साल में और दो साल से ज्यादा बीमार है, तो 5 से 6 साल का वक्त उसे ठीक होने में लगेगा। माना जाता है कि 70 प्रतिशत लोग बिलकुल ठीक हो जाते हैं। 30 प्रतिशत वो होते हैं, जो डॉक्टर की सलाह नहीं मानते हैं या इलाज अधूरा छोड़ देते हैं। इंदौर के गोकुल दास हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की डॉ. स्मिता अग्रवाल बताती हैं कि ये 30 प्रतिशत वो लोग होते हैं, जो किसी के बहकावे में आकर दवाओं को नशीली दवाएं मानकर इलाज छोड़ देते हैं।

भोपाल न्यूरो साइकेट्रिक क्लिनिक एंड डायग्नोसिस सेंटर के डायरेक्टर डॉ. आरएन साहू कहते हैं कि लोग इसे आत्मा का साया जैसी चीज मानने लगते हैं। इस बीमारी की चपेट में वो लोग आते हैं जो जरूरत से ज्यादा इसी विषय से प्रभावित होते हैं और इसी पर सोचने हैं। वे वैसा ही बिहेव करने लगते हैं। डॉ. साहू बताते हैं कि कई बार एक बीमार महिला पुरुष जैसा आचरण करने लगती है। वह पुरुष की तरह भारी आवाज में बात करती है। ‘वह करती हूं’, की जगह ‘करता हूं’ बोलती है। यह देखकर पेशेंट के घर वाले घबरा जाते हैं और कहने लगते हैं कि इसे किसी भूत या जिन्न ने पकड़ लिया है, लेकिन बीमारी की वजह से वह ऐसा बिहेवियर करती है।

डॉ. साहू के मुताबिक अमावस्या, पूर्णिमा, नवरात्रि या कोई धार्मिक माहौल में ऐसे लोगों पर यह अटैक ज्यादा ताकतवर होता है। दरअसल, माहौल धार्मिक होने के कारण वे अपने भूत-प्रेत वाले कैरेक्टर से ज्यादा कनेक्ट महसूस करते हैं। मनोविज्ञान की भाषा में इसे डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर (डीआईडी) कहते हैं। इसमें कोई भी इंसान दो तरह के कैरेक्टर का बिहेवियर करता है।

कुछ केसों में तो एक से ज्यादा 50 कैरेक्टर तक बिहेवियर करता है, तो लोग कहते हैं कि इसके शरीर में एक से ज्यादा भूत हैं। असल में बीमार व्यक्ति एक से ज्यादा लोगों का कैरेक्टर प्ले करता है। कभी वह पुरुष की तरह बात करता है, तो कभी महिला की तरह तो कभी बच्चे की तरह।

…तो ऐसे लोगों को चोट क्यों नहीं लगती

तांत्रिक लोग बीमार व्यक्ति को भूत मानकर पीटते हैं, जलाते हैं, काटते हैं, लेकिन उनको दर्द नहीं होता। इस पर डॉ. साहू कहते हैं कि ऐसे लोग साइकोलॉजिकली अपनी चेतना को खो देते हैं। वे दूसरे कैरेक्टर या तथाकथित दूसरी दुनिया से अपने आप को इतना जोड़ लेते हैं कि उन्हें दर्द नहीं होता।

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आइए, अब दो केस से समझते हैं…

केस 1 : एक्ट्रेस सोहा अली खान की तरह सोचती थी नेहा

इंदौर की 21 साल की नेहा (नाम बदल दिया है) का कॉलेज में यह सेकंड ईयर है। एक लड़का उसे बेपनाह मोहब्बत करता है। वह बार-बार अपनी सहेलियों के सामने डींगे हांकती है कि उसका एक अमीर लड़के से अफेयर है। वह उस लड़के का नाम भी बताती है, लेकिन उसे आज तक किसी ने देखा नहीं है। जब नेहा उस लड़के के प्यार में पागलों की तरह बिहेव करने लगी तो नेहा के पिता ने उसे एक डॉक्टर को दिखाया। पता चला वह सिजोफ्रेनिया का शिकार है। अभी भी उसका इलाज चल रहा है।

डॉक्टर का कहना है कि जब वह स्कूल में थी, तो उसकी कई सहेलियों के बॉयफ्रेंड थे। घर में सख्ती और परिवार पुराने ख्यालों वाला होने के कारण उसका कभी कोई प्रेमी नहीं रहा, लेकिन नेहा चाहती थी कि उसका भी प्रेमी हो और उसकी केयर करे। जब वह कॉलेज में आई तो थोड़ी आजादी मिली। नतीजा वह कल्पनाएं करने लगी और इसी कल्पना को उसने सच समझ लिया। हाल ही में रिलीज हुई अतरंगी रे फिल्म भी इसी बीमारी पर आधारित थी। एक्ट्रेस के साथ भी ऐसा ही होता है, जैसा नेहा के साथ हुआ।

केस 2 : पति में दिखता था क्रूर इंसान

धार की 24 साल की कुसुम (नाम बदल दिया है) की पिछले साल ही शादी हुई थी। शादी के कुछ दिनों बाद से ही वह अजीब सा बिहेवियर करने लगी। जब भी उसका पति बेडरूम में आता, तो वो जोर -जोर से चीखने लगती और अलग आवाज निकालकर पति को मारने दौड़ती। कुसुम के पति ने किसी डॉक्टर को दिखाने की बजाय सीधे तांत्रिक को दिखाया। उसने अजीब सी पूजाएं कीं, घर शुद्ध किया, कई सारे धागे-ताबीज दिए, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। फिर परिवार के एक रिश्तेदार (डॉक्टर) ने कुसुम को किसी मनोचिकित्सक को दिखाने को कहा।

जब मनोचिकित्सक ने केस हिस्ट्री खंगाली तो पता चला कि कुसुम की बहन को उसका पति खूब मारता-पीटता था, जिसके कारण उसने खुदकुशी कर ली थी। कुसुम के लिए पति की इमेज एक क्रूर इंसान जैसी थी, बहन की मौत ने इसे और गहरा कर दिया था। इस कारण वह अपने पति को भी क्रूर इंसान समझती थी, इस कारण अपनी बहन जैसा कैरेक्टर प्ले करती थी।

सबको लगने लगा कि कुसुम में उसकी बहन की आत्मा है। मनोचिकित्सक के इलाज के बाद नेहा को ऐसे दौरे आना बेहद कम हो गए हैं, लेकिन जब वह दवा लेना भूल जाती है या दवा अवाइड करती है तो उस पर उसकी बहन हावी हो जाती है। फिल्म भूल-भुलैया में भी एक्ट्रेस को ऐसा ही लगा है जैसा कुसुम को लगता था।

बॉलीवुड बना चुका है भूत और मनोविज्ञान पर फिल्में…

भूल-भुलैया…

अक्षय कुमार स्टारर कॉमेडी हॉरर मूवी 'भूल भुलैया' 2007 की सुपरहिट फिल्म थी। फिल्म में NRI कपल शाइनी आहूजा और विद्या बालन भूतों के बारे में चेतावनियों पर ध्यान न देते हुए अपने पुश्तैनी घर में रहने का फैसला करते हैं। घर में अजीब घटनाएं होने लगती हैं। इस रहस्य को सुलझाने के लिए उन्हें मनोचिकित्सक (अक्षय कुमार) को बुलाना पड़ता है। फिल्म के अंत में पता चलता है कि विद्या बालन ही घटनाओं के लिए जिम्मेदार हैं। उनकी दिमागी हालत ठीक नहीं है। इस मूवी का इसी साल सीक्वेल भी आ चुका है।

अक्षय कुमार स्टारर कॉमेडी हॉरर मूवी ‘भूल भुलैया’ 2007 की सुपरहिट फिल्म थी। फिल्म में NRI कपल शाइनी आहूजा और विद्या बालन भूतों के बारे में चेतावनियों पर ध्यान न देते हुए अपने पुश्तैनी घर में रहने का फैसला करते हैं। घर में अजीब घटनाएं होने लगती हैं। इस रहस्य को सुलझाने के लिए उन्हें मनोचिकित्सक (अक्षय कुमार) को बुलाना पड़ता है। फिल्म के अंत में पता चलता है कि विद्या बालन ही घटनाओं के लिए जिम्मेदार हैं। उनकी दिमागी हालत ठीक नहीं है। इस मूवी का इसी साल सीक्वेल भी आ चुका है।

भूतबाधा और भूत के नाम पर ठगी की ये खबरें भी पढ़िए…

रायसेन में साधु के वेश में आए आधा दर्जन ठगों को लोगों ने लात-घूंसों और लाठियों से जमकर पीटा। आरोपियों ने एक महिला को प्रेतबाधा दूर करने का झांसा दिया था। महिला को बेसुध कर जेवर लूटकर भाग निकले। भनक लगते ही गांव वालों ने उन्हें पकड़ लिया। पुलिस ने उत्तरप्रदेश के रहने वाले 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें…

वर्ष 2021 में भूतड़ी अमावस्या पर नर्मदा नदी के आंवलीघाट पर भूतों का मेला लगा। यहां भूत-प्रेम की बाधाओं से पीड़ितों को लेकर पहुंचे लोग ढोल-नगाड़ों पर नाचते-गाते पहुंचे। पूजा-पाठ कर नर्मदा स्नान कर वापस चले गए। भूत मेला की व्यवस्था बनाने के लिए खुद कलेक्टर और एसपी भी मौजूद रहे। पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें…

मुरैना में भूत-प्रेत भगाने के नाम पर एक वृद्ध से ठगी करने का मामला सामने आ चुका है। वृद्द ने बताया कि एक व्यक्ति ने उनके घर से भूत-प्रेत भगाने के नाम से 41 हजार रुपए ले लिए और दूसरे लोगों से भी रुपए लिए। वह कुल 45 हजार रुपए लेकर सुबह 4 बजे चंपत हो गया। वृद्ध ने इसकी शिकायत एसपी ऑफिस में की थी। पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें…

खबरें और भी हैं…
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