भगवान महाकाल की शाही सवारी निकली: श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर राजा का स्वागत किया

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उज्जैन4 घंटे पहले
उज्जैन। सोमवार को प्रदोष के संयोग पर राजाधिराज श्री महाकाल शाही सवारी के रूप में नगर भ्रमण पर निकले तो श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर भगवान महाकाल का स्वागत किया। अगहन माह की दूसरी सवारी अंतिम शाही सवारी के रूप में नगर भ्रमण पर निकलती है। यह सवारी भी श्रावण-भादो मास की अंतिम शाही सवारी के मार्ग से होकर निकलती है। इस लिए इस सवारी का मार्ग लंबा होता है। शाम चार बजे प्रांरभ हुई सवारी संध्या 7.30 बजे वापस मंदिर पहुंच गई थी। अब श्रावण-भादो मास में भगवान महाकाल की सवारी निकलेगी।
श्री महाकालेश्वर मंदिर से भगवान महाकाल की कार्तिक-अगहन माह में निकलने वाली सवारियों के क्रम में अगहन माह की दूसरी व अंतिम सवारी शाही सवारी के रूप में सोमवार को सायं 4 बजे नगर भ्रमण पर निकली। सवारी निकलने के पहले सभामंडप में भगवान के मुखौटे का पूजन मंदिर समिति के प्रशासक संदीप सोनी ने किया। इसके बाद सवारी मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंचने पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों के द्वारा पालकी में विराजित भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर को सलामी दी। भगवान महाकाल की शाही सवारी पूर्ण वैभव के साथ परंपरागत मार्ग से श्रद्धालुओं को दर्शन देते हुए आगे रवाना हुई। सवारी में अश्वारोही दल, पुलिस बैण्ड, भगवान श्री महाकालेश्वर का चांदी का ध्वज के साथ, भगवा ध्वज, भजन मंडलियां सम्मिलित थी।
साढ़े तीन घंटे में भ्रमण कर मंदिर पहुंची सवारी
श्री महाकालेश्वर मंदिर से सवारी शाम 4 बजे पूजन के बाद प्रारंभ होकर महाकाल रोड, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाडी, होते हुए रामघाट पहुंची। यहां पर पालकी में विराजित चन्द्रमोलेश्वर का माँ शिप्रा के जल से अभिषेक-पूजन मंदिर के पुजारियों द्वारा किया गया। शिप्रा तट पर पूजन के पश्चात वापसी में सवारी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, मिर्जा नईमबेग मार्ग, तेलीवाडा चौराहा, कंठाल चौराहा, सतीगेट, सराफा, छत्रीचौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी चौराहा होते हुए वापस श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंची। शाही सवारी का मार्ग लंबा होने के बाद भी करीब साढ़े तीन घंटा नगर में भ्रमण कर संध्या 7.30 बजे मंदिर के अंदर दाखिल हुई।
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