भंवरकुआं पर तैनात ट्रैफिक सुपर किड, VIDEO: आठ साल के बच्चे का मैसेज- पॉल्यूशन-एक्सीडेंट को देश के दुश्मनों की तरह खत्म करना होगा

[ad_1]
इंदौर24 मिनट पहले
स्वच्छता में छह बार नंबर वन आ चुके इंदौर में डांसिंग कॉप रंजीत तो को ट्रैफिक संभालते हुए तो आप कई बार देख चुके हैं। मगर आज हम आपको इंदौर के एक ऐसे सबसे छोटे ट्रैफिक सोल्जर से मिलाते हैं, जो ट्रैफिक सांग गाकर लोगों को ट्रैफिक नियमों का पालन करने का संदेश देता है। रोजाना स्कूल से आने के बाद वह पीक टाइम में दो घंटे ट्रैफिक व्यवस्था संभालने में पुलिस की मदद करता है। 8 साल की उम्र में इस नन्हें ट्रैफिक सोल्जर में देश सेवा का जज्बा साफ नजर आता है। इस नन्हें ट्रैफिक सोल्जर को इंदौर पुलिस सम्मानित भी कर चुकी है।
आज आपको मिलवाते है इंदौर के इस नन्हें ट्रैफिक सोल्जर से…
हम बात कर रहे है इंदौर के विष्णुपुरी में रहने वाले 8 साल के आदित्य तिवारी की। 8 साल का आदित्य क्लास थ्री में पढ़ाई करता है। देश सेवा करने का जुनून उस पर इस कदर है कि वह अपने आप को ‘इंडियन ट्रैफिक सोल्जर’ कहता है। इतना ही नहीं उसने अपने के लिए आर्मी की ड्रेस, अपने नाम का बैच भी तैयार किया है। जिसे वह रोज पहनकर ट्रैफिक संभालता है। इस काम में उसके परिवार के लोग भी पूरा सहयोग करते हैं। आदित्य तिवारी को सुपर किड का एक जीता जागता उदाहरण कहा जा सकता है। इंदौर के ट्रैफिक मैनेजमेंट में अपना योगदान देता है।
इंदौर के भंवरकुआं चौराहे पर संभालता है ट्रैफिक व्यवस्था
आदित्य इंदौर के भंवरकुआं चौराहे पर ट्रैफिक संभालता है। वह सुबह 7 बजे स्कूल जाता है दोपहर में 3 बजे घर आने के बाद वह पढ़ाई करता है और शाम को 5 से 7 बजे तक वह भंवरकुआं चौराहे पर मां संगीता तिवारी के साथ पहुंच जाता है और वहां पर सिग्नल रेड होने पर सिटी बजाकर जेबरा क्रासिंग पर चक्कर भी लगाता है। ताकि कोई सिग्नल ना तोड़े। इसके साथ ही वह स्लोगन भी यहां मौजूद लोगों को गाकर सुनाता है। रोजाना शाम को 5 से 7 बजे तक चौराहे पर ड्यूटी करना ही आदित्य की दिनचर्या का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

व्यस्ततम चौराहे पर आदित्य तिवारी संभालता है ट्रैफिक।
अब जानिए आदित्य को ट्रैफिक सोल्जर बनाने की इंस्पिरेशन कैसे मिली…
आदित्य का ट्रैफिक सोल्जर बनने की इंस्पिरेशन अपने ही परिवार से मिली है। आदित्य के पिता अश्विनी तिवारी पेशे से बिजनेसमैन है, बड़ी बहन दिशा समाज सेविका हैं। दिशा नो स्मोकिंग कैंपेन चलाती है और लोगों को बीडी-सिगरेट ना पीने के लिए मोटिवेट करती है। बहन की इस समाज सेवा का जज्बा देखकर ही आदित्य को देश के लिए कुछ करने की इच्छा जागी। आदित्य पिछले पांच महीने से शहर के भंवरकुआं चौराहे पर ट्रैफिक संभाल रहा है। वह अपनी बहन से ही सीख कर देश की सेवा करना चाहता है। आदित्य का कहना है कि वह इंडियन ट्रैफिक सोल्जर है और देश की सेवा कर रहा है पॉल्यूशन और एक्सीडेंट जैसे दुश्मनों से। इसे खत्म करने में सभी हमारा साथ दीजिए।
गायब हुआ तो लोग पूछने लगे कहां चला गया
आदित्य की प्रसिद्धि का आलम यह है कि जब वह अपनी एग्जाम के कारण कुछ दिनों तक चौराहे पर ट्रैफिक संभालने नहीं आया तो लोगों ने पूछना शुरू कर दिया था कि ‘आदित्य कहां गया, वह ट्रैफिक संभालने क्यों नहीं आ रहा है।’ आदित्य का ये सोल्जर रूप देखकर कई लोग उसके साथ सेल्फी भी लेते है।

अपने परिवार के साथ आदित्य तिवारी। परिवार को पूरा सपोर्ट रहता है आदित्य को।
काम के साथ पढ़ाई में भी अव्वल
आदित्य अपने ट्रैफिक सोल्जर के काम को तो बेहतरीन तरीके से अदा करता है। मगर इतना ही वह पढ़ाई के लिए भी समर्पित है। क्लास थ्री में पढ़ने वाला आदित्य पढ़ाई में भी हमेशा से अव्वल रहा है। वह क्लास में भी अच्छी रैंक लेकर आता है। आदित्य के इस काम से परिवार के लोग तो खुश हैं ही वहीं स्कूल वाले भी उसकी हौसला अफजाई करते हैं। आदित्य ने एक शपथ पत्र भी बनवाया है। जिसमें उसने भारत का देश का एक जिम्मेदार होने का नागरिक होने के नाते वाहन चलाने और उससे संबंधित नियमों का पालन करने की बात लिखी है। इस शपथ पत्र सभी स्कूलों में, ट्रैफिक पर खड़े राहगीरों से, बस ड्राइवरों से यह शपथ पत्र भरवाता है।

ऐसे शपथ तैयार कर आदित्य बस ड्राइवरों और दूसरे स्कूलों में भिजवाता है।
पुलिस कमिश्नर कर चुके हैं सम्मानित
पिछले जुलाई महीने में एक ट्रैफिक के प्रोग्राम में पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्र, डीआईजी मनीष कपूरिया, एडिशनल कमिश्नर राजेश हिंगणकर ने आदित्य को स्टेज पर सम्मानित किया था। उसका सम्मान करने के साथ ही ट्रैफिक पुलिस द्वारा उसे एक जैकेट भी दिया है, जिस पर लिखा है यातायात प्रबंधन मित्र। यहीं जैकेट पहनकर आदित्य शाम को ट्रैफिक संभालता है।

आदित्य को पुलिस विभाग भी कर चुका है सम्मानित।
ट्रैफिक नियमों पर सुनाता है गाना
अपने काम के दौरान आदित्य ट्रैफिक सिग्नल रेड पर इस बात का ध्यान रखता है कि ‘कोई ट्रैफिक सिग्नल ना तोड़े।’ वह अपनी प्यारी सी आवाज में सिग्नल पर खड़े लोगों को ट्रैफिक नियमों पर लिखा गाना भी सुनता है। इसके लिए घर वालों ने एक माइक भी दिलवाया है। जिसकी मदद से लोगों तक उसकी आवाज पहुंच सके। ‘सदा सुरक्षित रहना है तो पटी-पटी चलना होगा…सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन हमको करना होगा’ ये ट्रैफिक नियम का गाना आदित्य यहां लोगों को सुनाता है। ये गाना आदित्य ने स्कूल में अपनी म्यूजिक टीचर से सीखा है।
लोगों से मिली राशि से खरीदता है स्माइली, सिटी बस ड्राइवरों को देता है
आदित्य जब चौराहे पर अपना काम करता है और ट्रैफिक सांग गाता है तो कई लोग उसे खुश होकर कुछ राशि भी देते हैं। इस राशि का इस्तेमाल आदित्य लोगों का सम्मान करने के ही करता है। आदित्य ने एक बॉक्स रखा है। जिसमें जितनी राशि जमा होती है तो उससे वह स्माइली खरीदता है और ये स्माइली वह सिटी बस ड्राइवरों और कंडेक्टरों को देता है। उसका सोचना है कि अपनी गाड़ी से सब चलते है मगर ये लोग दूसरों के लिए गाड़ी चलाते हैं। इन पर ज्यादा जिम्मेदारी होती है।

लोगों से मिली राशि को जमा कर इस्माइली खरीदता है आदित्य तिवारी।
पिता बोले आज बच्चे ऑनलाइन गेम के शिकार
आदित्य के पिता भी अपने बेटे के इस काम से काफी खुश हैं। उनका कहना है कि आज के वक्त में इस उम्र के बच्चे ऑनलाइन गेम के शिकार है। वहीं आदित्य ने इस काम को चुना है इसलिए उन्हें काफी नाज है उस पर। आदित्य के पास जब समय होता है तो वह ट्रैफिक व्यवस्था से जुड़े पोस्टर बनाता है और समाज एवं देश सेवा के नए-नए तरीके खोजता हैं। परिवार के सभी लोगों को उस पर नाज है। आदित्य की मां संगीता का कहना है कि बेटा काफी मेहनत कर रहा है। वह सोशल वर्क कर रहा है। पिछले पांच माह से वह चौराहे पर जाकर ट्रैफिक व्यवस्था संभालने में मदद करने का काम शुरू किया। आदित्य पढ़ाई में भी काफी अच्छा है। स्कूल में शिक्षक भी काफी खुश है इससे। परिवार का पूरा सपोर्ट है आदित्य को।

कई पोस्टर तैयार कर चुका है आदित्य।
Source link