ब्यूरोक्रेसी में काम का यह कैसा बंटवारा: मप्र में 13 अपर मुख्य सचिव, 10 के पास 3 से ज्यादा विभाग; तीन के पास सिर्फ एक

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भोपाल9 मिनट पहले
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20 प्रमुख सचिव के पास महत्वपूर्ण विभाग, 5 के पास सिर्फ नाम का काम
मप्र के तीन पूर्व मुख्य सचिवों का कहना है कि जब सरकार का संचालन होता है तो विभागों का कामकाज इस तरह से होना चाहिए कि जनता के काम आए। यह क्या उदाहरण है कि वन विभाग के साथ पशुपालन और उद्यानिकी का काम किसी अफसर के पास हो। ब्यूरोक्रेसी को काम देने की कोई पर्सनल पॉलिसी थोड़े ही है। ‘भास्कर’ ने ब्यूरोक्रेसी में कामकाज के बंटवारे पर जब इनसे बात की तो उन्होंने मौजूदा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े किए।
दो पूर्व मुख्य सचिव ने नाम जाहिर किए बिना कहा कि किसी के पास अतिरिक्त विभाग हैं तो किसी के पास काम ही नाम मात्र का है। ब्यूरोक्रेसी के ताजा फेरबदल के बाद स्थिति यह है कि प्रदेश में कुल 13 अपर मुख्य सचिव (एसीएस) में 10 के पास 3 से ज्यादा विभाग और तीन वीरा राणा, अश्विनी राय और पंकज राग के पास सिर्फ एक विभाग। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति का कोटा 40 प्रतिशत अफसरों का है, लेकिन कुल 364 अफसरों में से 30 ही प्रतिनियुक्ति पर हैं, जबकि 100 अधिकारी होने चाहिए थे। 25 प्रमुख सचिवों (पीएस) में से 20 के पास महत्वपूर्ण विभाग हैं जिनमें वे 2 साल से ज्यादा समय से हैं। रिटायर पूर्व मुख्य सचिव ने कहा कि विभागों का बंटवारा तालमेल के हिसाब से होना चाहिए, लेकिन अभी ऐसा नहीं है। कृषि के साथ उच्च शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ प्रवासी भारतीय, गृह व जेल के साथ धर्मस्व, वन-पशुपालन के साथ उद्यानिकी। खाद्य के साथ परिवहन का क्या तालमेल।
ये भी चौंकाने वाला तथ्य- प्रदेश में कुल 364 आईएएस अफसर; 30 ही केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं, जबकि कोटा 40 प्रतिशत का
अतिरिक्त प्रभार में ही चल रहे हैं कई विभाग
- शैलेंद्र सिंह (एसीएस) – कृषि उत्पादन आयुक्त, उच्च शिक्षा (अतिरिक्त प्रभार) और आवासीय आयुक्त मप्र भवन नईदिल्ली का कार्यभार है।
- मोहम्मद सुलेमान ( एसीएस) – स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा, भोपाल गैस त्रासदी एवं पुनर्वास और प्रवासी भारतीय विभाग।
- विनोद कुमार (एसीएस) – जीएडी, मुख्य सचिव ( समन्वय), विधिक एवं सतर्कता प्रकोष्ठ और संसदीय कार्य विभाग का अतिरिक्त प्रभार।
- राजेश कुमार राजौरा (एसीएस) – गृह एवं संचालक आदिम जाति अनुसंधान का अतिरिक्त प्रभार के साथ धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व।
- जेएन कंसोटिया ( एसीएस) – वन के साथ उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग का अतिरिक्त प्रभार है।
- एसएन मिश्रा (एसीएस) – एनवीडीए उपाध्यक्ष, प्रबंध संचालक नर्मदा बेसिन प्रोजेक्ट एवं जलसंसाधन।
- मलय श्रीवास्तव (एसीएस) – चेयरमैन कर्मचारी चयन मंडल एवं पंचायत एवं ग्रामीण विकास।
- अशोक शाह (एसीएस) – महिला एवं बाल विकास विभाग।
- अशोक वर्णवाल (एसीएस) – कृषि, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण, घुमंतु एवं अर्धघुमंतु विभाग।
मप्र भवन दो आवासीय आयुक्त
मध्यप्रदेश भवन नई दिल्ली में सुविधा के अनुसार दो पद निर्मित हैं। ये आवासीय आयुक्त के हैं। एसीएस शैलेंद्र सिंह और पंकज राग दोनों मप्र में हैं, लेकिन चार्ज मप्र भवन का भी है।
शमी 4 साल से एक ही विभाग में
रश्मि अरुण शमी (पीएस) 27 दिसंबर 2018 से स्कूल शिक्षा विभाग में पदस्थ हैं। ऐसे ही संजय दुबे, नीरज मंडलोई, संजय शुक्ला, दीपाली रस्तोगी, पल्लवी जैन गोविल, शिवशेखर शुक्ला, उमाकांत उमराव, मनीष सिंह और सुखवीर सिंह शामिल हैं।
कम महत्व के विभाग
मनु श्रीवास्तव (पीएस) कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग में हैं। उन्हें तकनीकी शिक्षा विभाग सौंपा गया है। केसी गुप्ता को सहकारिता विभाग, अनिरुद्ध मुखर्जी को लोक परिसंपत्ति प्रबंधन, प्रतीक हजेला को सामाजिक न्याय, संजीव झा आनंदम विभाग और करलिन खोंगवार देशमुख भोपाल गैस त्रासदी विभाग में पीएस हैं।
ब्यूरोक्रेट्स की पदस्थापना में कोई पर्सनल पॉलिसी नहीं बनी है। ये दुखद है कि रेशनल सिस्टम नहीं है। किसी अफसर के पास दो से तीन भारी भरकम विभाग हैं। कुछ अफसर बेहद कमजोर विभाग में पदस्थ हैं। ये जनहित में ठीक नहीं है।
-डॉ. केएस शर्मा, पूर्व मुख्य सचिव
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