बेटी का दर्द…जिसे पता नहीं कि उसकी ‘दुनिया’ उजड़ गई…: होश आते ही पुकारती है-मम्मी…पापा…

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दिव्यराज सिंह राठौर। रतलाम4 मिनट पहले

दिवाली के दूसरे दिन हंसते-खेलते परिवार की खुशियों पर ग्रहण लग गया। जावरा (रतलाम) के उज्जैन बायपास पर हुए रोड एक्सीडेंट में पति-पत्नी, बेटा नहीं रहे। बेटी गंभीर घायल है। हॉस्पिटल में एडमिट है। जब भी होश आता है, एक ही बात पूछती है- मम्मी, पापा, भाई कहां हैं। कैसे हैं। उसे अभी तक तीनों की मौत की खबर नहीं दी गई।

अस्पताल में देखरेख कर रहीं बच्ची की बुआएं ये सोचकर ही सहम जाती हैं कि एक न एक दिन तो उसे बताना ही होगा कि उसके मम्मी-पापा, भाई नहीं रहे, तब क्या होगा? बताएंगे कैसे?

पहले जान लेते हैं मामला क्या है
मोरिया के रहने वाले केशुराम डिंडोर (45) कुछ महीने से परिवार के साथ गौतमपुरा में रह रहे थे। गौतमपुरा में उनकी ससुराल भी थी। मुन्नालाल पेशे से मजदूर थे। बुधवार को गोवर्धन पूजा और पड़वी का त्योहार था। वे, पत्नी नर्मदा (40), बेटे प्रवीण (14) और बेटी शिवानी (13) के साथ बाइक से मंगलवार शाम गांव मोरिया जा रहे थे। रास्ते में छोटी बहन से भी मिले। आधा घंटा रुकने के बाद रवाना हुए।

जावरा में बायपास पर लालाखेड़ा फंटे के पास राजस्थान पासिंग नंबर की कार से बाइक की टक्कर हो गई। केशुराम की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि पत्नी और बेटे ने अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। बेटी शिवानी गंभीर घायल है। रतलाम के जिला अस्पताल में भर्ती है।

केशुराम (45), पत्नी नर्मदा (40), बेटा प्रवीण (14) हादसे में नहीं रहे। तीनों की मौत की जानकारी बेटी शिवानी को नहीं दी गई है।

केशुराम (45), पत्नी नर्मदा (40), बेटा प्रवीण (14) हादसे में नहीं रहे। तीनों की मौत की जानकारी बेटी शिवानी को नहीं दी गई है।

बुआ बोली- उसे कह रखा है कि मम्मी-पापा दूसरे अस्पताल में हैं
बच्ची की दो बुआएं रतलाम जिला अस्पताल में उसकी देखरेख के लिए हैं। दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए केशुराम की छोटी बहन श्यामा बाई फूट-फूट कर रोने लगीं। आगे नहीं बोल सकीं। हादसे के थोड़ी देर पहले ही केशुराम उनसे मिलकर गए थे। श्यामा बाई के करीब ही खड़ीं बड़ी बहन सीता बाई ने उन्हें संभाला।

सीता बाई ने बताया कि मोरिया जाने से पहले भाई छोटी बहन से मिलने उकेड़िया गांव आया था। सभी बहुत खुश थे। आधा घंटा रुका और चला गया। छोटी बहन से भाई जाते-जाते कहकर गया था कि मां घर पर इंतजार कर रही होंगी, इसीलिए जल्दी जा रहे हैं। रास्ते में एक्सीडेंट हो गया। शिवानी की हालत ये है कि वे थोड़ी देर भी होश आने पर मम्मी-पापा को पूछती है। कहती है मेरी मम्मी नहीं आई, मेरे पापा नहीं आए। उसे कहा है कि मम्मी-पापा दूसरे अस्पताल में भर्ती हैं।

मां-बेटी ने लगाई थी एक-दूसरे को मेहंदी
हादसे में गंभीर घायल शिवानी को जीवन के सबसे बड़े सदमे से रुबरू होना अभी बाकी है। अस्पताल में भर्ती शिवानी के हाथों पर रची मेहंदी बताती है कि किस तरह इस परिवार को दीपावली के त्योहार की उमंग थी। मां-बेटी ने दिवाली के दिन एक-दूसरे को मेहंदी लगाई थी। दादी से मिलने गांव जाने की हसरत अधूरी रह गई। शिवानी के सिर, आंख और पैर में गंभीर चोट है।

जब एक घर से निकली तीन अर्थियां…

मां-बाप और छोटे भाई को घर के बड़े बेटे ने मुखाग्नि दी। केशुराम की मां का भी रो-रोकर बुरा हाल है।

मां-बाप और छोटे भाई को घर के बड़े बेटे ने मुखाग्नि दी। केशुराम की मां का भी रो-रोकर बुरा हाल है।

केशुराम की एक बीघा जमीन है। परिवार का गुजर-बसर नहीं होता था, तो वह भवन निर्माण की मजदूरी करते थे। पत्नी भी हाथ बटाती थी। दो बेटे अरुण व प्रवीण और एक बेटी शिवानी थी। मुखाग्नि बड़े बेटे अरुण ने दी। केशुराम के बड़े भाई नागूलाल व छोटा पप्पू अलग रहते हैं। पिता मुन्नालाल का स्वर्गवास हो चुका। मां का रो-रोक बुरा हाल है।

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