Chhattisgarh

बूँदकुंवर का सपना: रामलला के दर्शन तक की अनकही यात्रा

कोरबा, 05 अक्टूबर 2025।
सड़क के किनारे बूँदकुंवर बैठी, अपनी छोटी झोली संभाले, आस-पास के खेतों को निहार रही थीं। उनहत्तर वर्ष की उम्र में भी उनके चेहरे पर एक चमक थी, जो वर्षों के संघर्ष और कठिनाइयों के बावजूद उनके आत्मविश्वास को दर्शाती थी। पति के निधन के बाद उन्होंने अपने बेटे और बहू के साथ सादगीपूर्ण जीवन जिया, लेकिन उनके मन में एक सपना हमेशा जलता रहा – अयोध्या जाकर भगवान श्रीराम के दर्शन करना।

“काश… एक दिन भगवान रामलला को देख पाऊँ,” वह अक्सर अपने बेटे को कहतीं। लेकिन साधन कम थे, उम्र ज़्यादा थी, और यह सपना दूर-दूर तक अधूरा ही रह गया।

फिर एक दिन गाँव में खबर आई – मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना शुरू हुई है। बूंदकुंवर की आंखों में उम्मीद की नई किरण चमकी। उन्होंने तुरंत आवेदन किया। चयन का पत्र हाथ में आते ही वह खुशी से झूम उठीं।

यात्रा के दिन उन्होंने अपने साथी पल्लवी और गीता के साथ बस पकड़ी। रास्ते में हर दृश्य उनके लिए नया था।
“देखो, पल्लवी बेटा, ये खेत कितने बड़े हैं! कभी नहीं सोचा था कि इतने दूर तक जाऊँगी,” बूँदकुंवर मुस्कुराते हुए कहतीं।

बिलासपुर से ट्रेन में बैठते ही उनका दिल धड़कने लगा। रेल की खिड़की से गुजरते गाँव और शहर उन्हें यादों की गलियों में ले गए। हर स्टेशन पर उनकी आंखें चमक रही थीं, और मुस्कान उनके चेहरे से उतरने का नाम नहीं ले रही थी।

अयोध्या पहुँचते ही बूँदकुंवर अपने कदम खुद रोक नहीं पा रहीं। मंदिर की घंटियों की आवाज, भक्तों की भक्ति, और रामलला का दृश्य – सब कुछ उनकी आत्मा को छू गया। जैसे वर्षों का इंतजार एक ही क्षण में पूरा हो गया।

“भगवान… मैं यहाँ हूँ… मैं आपके दर्शन कर रही हूँ!” उनकी आंखों से आंसू टपक रहे थे। पल्लवी ने उन्हें धीरे से थपथपाया, “दादी, आपने सपना पूरा कर लिया।”

यात्रा के बाद गाँव लौटते हुए बूँदकुंवर की बातें सबके लिए प्रेरणा बन गईं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उनका घर है, महतारी वंदन योजना से हर महीने उनकी जरूरतें पूरी होती हैं, और अब उनके पास एक और अमूल्य अनुभव है – अपने जीवन का सबसे पवित्र सपना पूरा होना।

“मैं चाहती हूँ कि मेरे जैसी सभी महिलाएँ जानें कि उम्र या हालात कोई सीमा नहीं हैं। अगर अवसर मिले और मन में विश्वास हो, तो कोई भी सपना सच हो सकता है,” वह मुस्कुराते हुए कहतीं।

बूँदकुंवर अब गाँव की प्रेरणा बन गई हैं। उनके छोटे-छोटे किस्से, यात्रा की यादें और भगवान रामलला के दर्शन की खुशी अब हर किसी के दिल को छूती हैं। उनके जीवन ने साबित कर दिया कि संघर्ष और उम्मीद मिलकर किसी भी उम्र में चमत्कार कर सकते हैं।

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