श्रीराम की तपस्थली में दीपदान महोत्सव: चित्रकूट में 5 दिन में 40 लाख श्रद्धालु करेंगे दर्शन

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विष्णुकांत त्रिपाठी, चित्रकूट (सतना)15 घंटे पहले
भगवान श्रीराम की तपस्थली चित्रकूट में दिवाली मनाई जा रही है। यहां धनतेरस से शुरू हुआ मेला भाई दूज तक चलेगा। देशभर से आए श्रद्धालु मंदाकिनी नदी में दीपदान करने पहुंचे हैं। वे मंदाकिनी में स्नानकर सुख-समृद्धि की कामना कर रहे हैं।
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर भगवान श्रीराम की तपस्थली चित्रकूट में प्रकाश पर्व दीपावली की धूम है। यहां धनतेरस पर लगने वाला मेला भाई दूज तक चलता है। मेले में शामिल होकर पावन सलिला मंदाकिनी में दीपदान करने देशभर से लाखों श्रद्धालु चित्रकूट पहुंचे हैं। गुलाबी ठंड के बीच मंदाकिनी में आस्था की डुबकी लगाकर श्रद्धालु सुख-समृद्धि की कामना से दीपदान कर रहे हैं। भगवान कामतानाथ के दर्शन कर कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा लगा रहे हैं।
यूं तो चित्रकूट में हर अमावस्या पर श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है, लेकिन दीपावली की अमावस्या का विशेष महत्व होने के कारण यह संख्या कई गुना बढ़ जाती है। प्रति वर्ष यहां 5 दिनों तक चलने वाले मेले में देश भर से करीब 40 लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस बार संख्या बढ़ने का अनुमान है।

चित्रकूट में भगवान कामतानाथ का दिव्य विग्रह। श्रद्धालु यहां भगवान कामतानाथ के दर्शन कर कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा लगा रहे हैं।
एमपी-यूपी के अधिकारी-कर्मचारी तैनात
चित्रकूट में दीपदान मेले पर यूपी और एमपी दोनों राज्यों की ओर से श्रद्धालुओं की सुविधा-सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं। सतना कलेक्टर अनुराग वर्मा-एसपी आशुतोष गुप्ता के साथ ही चित्रकूट उप्र के डीएम अभिषेक आनंद व एसपी अतुल शर्मा ने बैठक कर इंतजामों की रूप रेखा को अंतिम रूप दिया। समन्वय बैठक में हुए निर्णय अनुसार मेला क्षेत्र को अलग-अलग जोन में बांट कर दोनों राज्यों के प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है।

अमावस्या पर बड़ी संख्या में भक्त मंदाकिनी में डुबकी लगाने पहुंचे। देशभर से करीब 40 लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस बार संख्या बढ़ने का अनुमान है।
80 फीसदी हिस्सा एमपी में
चित्रकूट और कामदगिरि परिक्रमा पथ का 80 फीसदी हिस्सा एमपी के सतना जिले में आता है। 20 प्रतिशत क्षेत्र यूपी के अधीन है। दर्शनार्थियों के लिए विश्राम, पानी,चिकित्सा सुविधा और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं। वाहनों को मेला क्षेत्र से पहले ही रोक दिया गया है। पार्किंग का इंतजाम भी मेला क्षेत्र के बाहर ही किया गया है।
दिवारी नृत्य होगा, गधों का मेला लगेगा
चित्रकूट में दीपोत्सव के अवसर पर पारंपरिक लोक आयोजनों की झलक भी दिखाई पड़ती है। दीपदान मेले पर परीवा को यहां पारंपरिक दिवारी नृत्य होगा तो नगर पंचायत चित्रकूट एमपी के सौजन्य से गधों का मेला भी लगेगा। गधों के इस मेले में करोड़ों का कारोबार होता है।

भगवान राम ने वनवास के 11 साल चित्रकूट में बिताए
चित्रकूट में दीपावली पर्व का विशेष महत्व है। मान्यता है कि भगवान श्री राम ने सीता मां और लक्ष्मणजी के साथ वनवास काल के 11 वर्ष चित्रकूट में व्यतीत किए थे। यहीं भरत मिलाप भी हुआ था। ऐसे में प्रभु श्रीराम चित्रकूट के कण-कण में हैं। उनके प्रसाद के रूप में कामदगिरि के चार प्रवेश द्वारों पर कामतानाथ स्वामी विराजमान हैं।
दशानन वध और लंका विजय कर अयोध्या लौटने के पूर्व भगवान श्रीराम ने ऋषि-मुनियों के साथ मंदाकिनी नदी में दीपदान किया था। तब से इस पुरातन पौराणिक परंपरा का यहां आस्था और उत्साह के साथ निर्वहन किया जा रहा है। मान्यता है कि कार्तिक अमावस्या पर यहां दीपदान करने से प्रभु कृपा प्राप्त होती है। सभी विषाद मिट जाते हैं।

बुंदेलखंड क्षेत्र के हजारों श्रद्धालु चित्रकूट में भगवान कामतानाथ के दर्शन और मंदाकनी में दीपदान करने बाद ही अपने घर में दीपावली मनाते हैं। नरक चौदस यानी छोटी दीपावली पर हजारों भक्तों ने मंदिर में दर्शन किए।
तुलसीदास जी ने यहां कई रचनाएं लिखीं
चित्रकूट में गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्रीरामचरितमानस, हनुमान चालीसा, गीतावली और तुलसी दोहावली समेत अन्य कई महाकाव्यों की रचना की। यहां गुप्त गोदावरी, राम घाट, जानकी कुंड, माता अनुसुइया-अत्री आश्रम, स्फटिक शिला, कामदगिरि पहाड़ी, हनुमान धारा, भरत कूप, विराज कुंड सहित अन्य दर्शनीय स्थल हैं।

भगवान कामतानाथ की परिक्रमा लगाने के लिए हजारों श्रद्धालु चित्रकूट पहुंचे। यहां देशभर से लाखों श्रद्धालु आते हैं।

मंदाकनी नदी के तट पर भक्त दीपदान के लिए पहुंच रहे हैं। आस्था की डुबकी लगाकर श्रद्धालु सुख-समृद्धि की कामना से दीपदान कर रहे हैं।
राम नवमी पर मनाया था गौरव दिवस

इस साल अप्रैल में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव पर उनकी तपोभूमि चित्रकूट में प्राकट्य पर्व मनाया गया। जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में चित्रकूट गौरव दिवस मनाया था। इसमें चित्रकूट साढ़े 5 लाख दीपकों के प्रकाश से आलोकित हुआ। समूचे चित्रकूट नगर एवं मंदाकिनी तट पर आस्थावान लोगों ने दीप प्रज्वलित कर जयकार लगाई। यह ऐसा पहला मौका है जब चित्रकूट में रामनवमी पर ऐसा आयोजन किया गया है। पढ़ें पूरी खबर

भगवान श्रीराम की तपस्थली चित्रकूट में दीपों की रोशनी से जगमग पावन सलिला मंदाकिनी का तट। मान्यता है कि कार्तिक अमावस्या पर यहां दीपदान करने से प्रभु कृपा प्राप्त होती है।
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