केसों पर निर्णय लिया: बीयू में नकल के 783 केसों पर फैसला, ऐसे 227 स्टूडेंट की पूरी परीक्षा रद्द, 540 का एक पेपर कैंसिल; सिर्फ 31 को मिली माफी

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भोपाल17 मिनट पहलेलेखक: भीम सिंह मीणा

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बीयू में इस साल अब तक 1000 से ज्यादा नकल के केस बने, दो बार सुनवाई के बाद आया फैसला - Dainik Bhaskar

बीयू में इस साल अब तक 1000 से ज्यादा नकल के केस बने, दो बार सुनवाई के बाद आया फैसला

बरकतउल्ला विवि ने इस साल जनवरी से जुलाई में आयोजित हुई परीक्षाओं में करीब 1000 से अधिक नकल के केस बनाए थे। विश्वविद्यालय प्रशासन ने हाल ही में इनमें से 783 केस पर निर्णय लिया है। विवि ने सिर्फ 31 स्टूडेंट्स को माफी दी, जबकि 540 के विषय या पेपर कैंसिल कर दिए गए हैं। वहीं 227 स्टूडेंट्स के एग्जाम ही निरस्त कर दिए हैं। इसके पहले वर्ष 2020 में कोविड के कारण जनरल प्रमोशन दिया गया था और वर्ष 2021 में घर में बैठकर परीक्षा देने का अवसर दिया।

वर्ष 2019 के आंकड़ों से जब इस साल के प्रकरणों का आकलन किया तो पता चला कि इस साल नकल कम हुई है। मामलों में तेजी से निर्णय लिए गए। वर्ष 2019 में करीब 800 नकल केस बने थे। इनमें से तब लगभग 55 लोगों को माफी दी गई थी और 600 से अधिक लोगों के विषय या पेपर निरस्त कर दिए गए थे। वर्ष 2019 में कुल मामलों में से 80 फीसदी स्टूडेंट को सजा दी गई। इन स्टूडेंट को 1 से 3 साल तक के लिए पेपर देने से बैन कर दिया है। इस साल कमेटी ने दो बार की सुनवाई के बाद सिर्फ 31 बच्चों को माफी दी और 28 मामले अभी पेंडिंग हैं।

सरकारी कॉलेजों में ज्यादा बने नकल के केस

लगातार सरकारी कॉलेजों में ही नकल प्रकरण अधिक बनाए गए हैं। इसका कारण बताया गया कि प्रत्येक सरकारी कॉलेज में एक स्थानीय उड़नदस्ता है, जो मौके पर प्रकरण बनाता है। निजी कॉलेज पूरी तरह सरकारी उड़नदस्ते पर निर्भर रहे। इस साल जिन मामलों की सुनवाई हुई, उनमें से 576 सरकारी कॉलेज और निजी कॉलेजों की संख्या महज 216 रही।

नकल रोकने थ्री लेयर सिस्टम बनाया था

बीयू ने नकलचियों पर कसावट के लिए थ्री लेयर सिस्टम तैयार किया था। उड़नदस्ता टीम के कॉर्डिनेटर डॉ. पवन मिश्रा ने बताया कि विवि ने 20 से अधिक टीमों का गठन किया। वहीं हरेक कॉलेज में एक टीम अलग से बनाई गई और एग्जाम हॉल को सीसीटीवी कैमरों से कनेक्ट किया गया।

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