बिनु छल विश्वनाथ पद नेहू, राम भगत कर लच्छन एहू- राजेश्री महन्त

- श्रावण मास के प्रथम सोमवार को पंचकोशी धाम की यात्रा पूर्ण की राजेश्री महन्त ने
जांजगीर, 15 जुलाई । श्रावण मास के प्रथम सोमवार को महामंडलेश्वर राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास ने पंचकोशी धाम की यात्रा पूर्ण किया। प्राप्त जानकारी के अनुसार राजेश्री महन्त रामसुंदर दास सुबह 8:30 बजे श्री दूधाधारी मठ से रवाना होकर सबसे पहले राजिम पहुंचकर भगवान राजीव लोचन का दर्शन पूजन करने के उपरांत राजिम क्षेत्र से लगे हुए पांच महादेव जिसमें चार गरियाबंद जिले में तथा एक महासमुंद जिले में स्थित है इन्हें पंचकोशी धाम के नाम से जाना जाता है। इनका दर्शन पूजन राजेश्री महन्त रामसुंदर दास ने किया । वे गरियाबंद जिले के अंतर्गत स्थित पटेवा में पटेश्वर नाथ, चंपारण में चंपेश्वर नाथ, फिंगेश्वर में फणेश्वर नाथ, कोपरा में कोपेश्वर नाथ तथा जिला महासमुंद के बम्हनी में बाबा बम्हनेश्वर नाथ जी का दर्शन पूजन किये। उन्होंने भगवान शिव जी का जलाभिषेक तथा दुग्धाभिषेक एवं गंगाजल से अभिषेक कर संपूर्ण विश्व के कल्याण की कामनाएं की। राजिम स्थित बाबा कुलेश्वर नाथ के दर्शन पूजन के लिए भी उपस्थित हुए।

उन्होंने अपने संदेश में कहा है कि- प्रत्येक मनुष्य को भगवान शिव की आराधना, दर्शन, पूजन अवश्य करनी चाहिए। विशेष कर श्रावण मास के सोमवार को भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व है। श्री रामचरितमानस का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि – बिनु छल विश्वनाथ पद नेहू। राम भगत कर लच्छन एहू।। अर्थात बिना छल, कपट के पूरी ईमानदारी एवं निष्ठा के साथ भगवान शंकर जी के चरणों में प्रेम का होना भगवान राम की भक्ति का लक्षण है। उल्लेखनीय है कि श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को राजेश्री महन्त रामसुंदर दास ने प्रदेश के अनेक शिवालयों में जाकर भगवान शिव जी का दर्शन पूजन किया करते हैं। उनके साथ दर्शन पूजन के कार्यक्रम में पुरुषोत्तम मिश्रा, ठाकुर चंद्रभान सिंह, हर्ष दुबे, जनक राम साहू, एवं सुरक्षा अधिकारी विशेष रूप से उपस्थित थे।