बिना कमेटी की मीटिंग किए किराया बढ़ाया: रेलवे इंस्टीट्यूट्स खस्ताहाल क्योंकि साढ़े तीन साल से नहीं हो रहे चुनाव, 2020 में खत्म हो चुका कार्यकाल

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रतलाम29 मिनट पहले

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नवीनीकृत की गई जूनियर इंस्टीट्यूट की जिम के उपकरण धूल खा रहे हैं। - Dainik Bhaskar

नवीनीकृत की गई जूनियर इंस्टीट्यूट की जिम के उपकरण धूल खा रहे हैं।

पदाधिकारियों के चुनाव नहीं होने से रेलवे कर्मचारियों की संस्था सीनियर और जूनियर रेलवे इंस्टीट्यूट लावारिस हालत में हैं। अंतिम बार फरवरी 2019 में चुनाव हुए थे, जिसमें चुने गए सचिव और कोषाध्यक्ष का कार्यकाल 2020 में खत्म हो चुका है। इसके बाद कार्मिक विभाग द्वारा इंस्टीट्यूट कमेटियों को भंग भी नहीं किया। इसके बाद आई महामारी के कारण दो साल चुनाव टल गए। पिछले डेढ़ साल से सब कुछ सामान्य होने पर भी अध्यक्ष का दायित्व निभा रहे रेलवे अफसर चुनाव नहीं करवा रहे। वह भी तब जबकि वेस्टर्न रेलवे एम्पलाइज यूनियन समेत अन्य ट्रेड यूनियन तीन से चार बार चुनाव कराने का लिखित मेमोरेंडम दे चुकी है।

बिना कमेटी की मीटिंग किए बढ़ा दिया किराया
रेलकर्मियों में इंस्टीट्यूट को लेकर इसलिए भी नाराजगी है कि क्योंकि इनके पदाधिकारियों ने बिना कमेटी की मीटिंग किए किराया बढ़ा दिया है। सीनियर इंस्टीट्यूट का किराया 1200 रुपए से बढ़ाकर 3500 रुपए तथा जूनियर का 1500 रुपए से बढ़ाकर 6500 रुपए कर दिया गया है। सिर्फ यही नहीं 2019 के बाद से इंस्टीट्यूट कमेटियों की एक बार भी मीटिंग नहीं हुई है। वर्तमान में एसआरआई के सचिव वापी चौधरी और कोषाध्यक्ष प्रेमसिंह राठौर तथा जेआरआई के सचिव गौरव ठाकुर और कोषाध्यक्ष अरविंद शर्मा ही इंस्टीट्यूट का संचालन कर रहे हैं।

कार्मिक विभाग को तीन से चार बार लिखित में दे चुके हैं, फिर भी अधिकारी चुनाव नहीं करवा रहे हैं। देखरेख नहीं होने से इंस्टीट्यूट्स की हालत खराब हो रही है। –मनोहर सिंह बारोठ, मंडल मंत्री

चुनाव होना चाहिए, वैसे भी दोनों इंस्टीट्यूट पर फिलहाल मजदूर संघ का कब्जा है। चुनाव होने पर भी मजदूर संघ की जीत होगी। –गौरव दुबे, मंडल प्रवक्ता-वेरे मजदूर संघ

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