Chhattisgarh

बाल संप्रेक्षण गृह कोरबा में फिर मचा बवाल: शराब की बोतलें और आपत्तिजनक सामान मिले, अफसरों ने साधी चुप्पी

कोरबा। प्रदेशभर में पहले से बदनाम हो चुके कोरबा के बाल संप्रेक्षण गृह में अव्यवस्था लगातार बढ़ती जा रही है। कभी बच्चों के भागने तो कभी अंदर से वीडियो वायरल होने की घटनाओं के बाद अब संस्था में शराब की खाली बोतलें और आपत्तिजनक सामग्रियां मिलने का मामला सामने आया है। हैरानी की बात यह है कि रिपोर्ट सौंपे जाने के 15 दिन बाद भी विभागीय अफसरों ने कोई कार्रवाई नहीं की है।

जानकारी के अनुसार, महिला एवं बाल विकास विभाग की तत्कालीन कार्यक्रम अधिकारी रेणु प्रकाश ने गत माह जिला बाल संरक्षण इकाई के कर्मियों को रात के समय बाल संप्रेक्षण गृह की निगरानी करने का आदेश जारी किया था। इसी के तहत राजीव राज, अशोक राजवाड़े और गणेश जायसवाल नामक तीन कर्मी हाल ही में कोहड़िया स्थित नए बाल संप्रेक्षण गृह पहुंचे थे।

इन कर्मियों ने अगले ही दिन एक विस्तृत रिपोर्ट अधीक्षिका दुर्गेश्वरी, कार्यक्रम अधिकारी रेणु प्रकाश और जिला बाल संरक्षण अधिकारी दया दास को सौंपी। रिपोर्ट में बताया गया कि रात के दौरान तलाशी में बालकों के पास से बेल्ट, रस्सी, हाथ का कड़ा, नट–बोल्ट और कील जैसी वस्तुएं मिलीं। वहीं, रसोई कक्ष में शराब की तीन खाली बोतलें, गुटखा के रेपर और एक बोतल में बची हुई शराब भी पाई गई।

सूत्रों के मुताबिक, जब कर्मचारियों से पूछताछ की गई तो उन्होंने खुद ही स्वीकार किया कि शराब उन्होंने लाई और पी थी। बावजूद इसके अधिकारियों ने अब तक कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की है।

गौरतलब है कि इससे पहले भी बाल संप्रेक्षण गृह से कई बार बालकों के फरार होने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। हाल ही में वायरल हुए एक वीडियो मामले में भी केवल एक महिला कर्मचारी (हाउस फादर) को कार्यालय में संलग्न कर दिया गया, परंतु न तो उनसे कोई कार्य लिया जा रहा है और न ही किसी प्रकार की सजा दी गई है। बताया जाता है कि वही महिला कर्मी अपने मोबाइल से वीडियो बनाने में शामिल थी।

जानकारों का कहना है कि कोरबा के बाल संप्रेक्षण गृह में चल रही अव्यवस्था, लापरवाही और अनुशासनहीनता ने विभाग की छवि को बुरी तरह प्रभावित किया है। अब शराब और आपत्तिजनक वस्तुएं मिलने से संस्था की बदनामी और बढ़ने की आशंका है।

विभागीय सूत्रों के अनुसार, वरिष्ठ अधिकारी फिलहाल मामले को दबाने की कोशिश में हैं, ताकि यह उच्च स्तर या मीडिया तक न पहुंचे। अब देखना यह होगा कि नए जिम्मेदार अधिकारी इस गंभीर प्रकरण पर कार्रवाई करते हैं या फिर पुरानी ढर्रे वाली चुप्पी बरकरार रहती है।

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