बायसन बदल रहे टैरेटरी: बायसन ने एसटीआर छोड़ा, बैतूल को बनाया नया घर; सबसे ज्यादा मूवमेंट सतपुड़ा-मेलघाट टाइगर कॉरिडोर में हो रहा

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- Bison Left STR, Made Betul A New Home; Most Of The Movement Is Happening In The Satpura Melghat Tiger Corridor.
बैतूल7 मिनट पहलेलेखक: अंशुल शुक्ला
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बैतूल के जंगल में बायसन।
बायसन अब सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के बाहर अपनी टैरेटरी बना रहे हैं। पसंदीदा बांस की पत्तियों और पहाड़ी घास की तलाश में बायसन बैतूल के जंगल में पहुंच गए हैं। यहां लगातार इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में 2011 तक 100 बायसन थे, जो अब बढ़ कर 969 हो गए हैं। एक बायसन की टैरेटरी 5 वर्गकिमी होती है।
बायसन की संख्या बढ़ने से ये नए इलाकों में अपनी टैरेटरी बना रहे हैं। रानीपुर रेंज और बैतूल रेंज में बायसन के झुंड पहुंच रहे हैं। सबसे ज्यादा मूवमेंट सतपुड़ा-मेलघाट टाइगर कॉरिडोर में हो रहा है। वन विभाग के एक्सपर्ट्स की मानें तो सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और बोरी अभयारण्य में बायसन की संख्या बढ़ गई है। बैतूल में काली मिट्टी में हाेने वाली कैल घास, गाेंदड़ घास और पहाड़ाें पर हाेने वाली सुकली घास की भरमार इसके पीछे बड़ा कारण है। बैतूल रेंजर राहुल शर्मा बताते हैं इन दिनों बायसन की संख्या बढ़ रही है।
247 किमी लंबा है सतपुड़ा मेलघाट टाइगर कॉरिडोर
सतपुड़ा मेलघाट टाइगर कॉरिडोर 247 किलोमीटर लंबा है। यह कॉरिडोर एसटीआर और मेलघाट टाइगर रिजर्व महाराष्ट्र को जोड़ता है। यह सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से बैतूल के जंगलों से होता हुआ कुकरू खामला होते हुए चिकलदरा के जंगलों के आगे मेलघाट तक जाता है।
बायसन एक जगह रहते हैं। उनकी संख्या बढ़ जाए तो वे दूसरी जगह चले जाते हैं। इसलिए बायसन बैतूल के जंगल आ गए हों।
-सुरेन्द्र तिवारी, डीएफओ, उत्तर वनमंडल
बायसन हरी घास, बांस की पत्ती और खाद्य पदार्थ की भरमार होती है, उसी ओर पलायन करते हैं। बायसन बैतूल की ओर कॉरिडोर के रास्ते आ रहे हैं।’
-एके चौधरी, रिटायर्ड सीसीएफ
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