शहडोल के लालपुर हवाई पट्टी से भास्कर ग्राउंड रिपोर्ट: डेढ़ घंटे के आयोजन में राष्ट्रपति ने दिया 16 मिनट के भाषण, कहा- MP की संस्कृति को संभालना, जनजातियों की बिरासत है

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शहडोल5 घंटे पहले
- जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनी बिरसा मुंडा की जयंती
राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार मध्यप्रदेश के दौरे पर आई द्रौपदी मुर्मू ने शहडोल के लालपुर हवाई पट्टी में जनजाति सम्मेलन को संबोधित की। डेढ़ घंटे के आयोजन में राष्ट्रपति महोदया ने 16 मिनट का भाषण दी। जनजातियों को संबोधित करते हुए कहा कि MP की संस्कृति को संभालना, जनजातियों की बिरासत है। कार्यक्रम में 11 जिलों से आए भाई बहनों में ज्यादातर संख्या जन जाति भाईयों की है। आज गोंड, बैगा, भील, भिलाला, पल्लू, कोल, भरिया, सहरिया के बीच में होना गौरव की बात है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि पंचायत चुनाव में जनजातियों को आरक्षण देना अच्छी बात है। आज देश में 10 फीसदी आबादी जनजातियों की है। जिसमें अकेले 1.50 करोड़ लोग मध्यप्रदेश में निवास करते है। जिसमे चंबल, बघेलखंड, बुंदेलखंड, निमाड, मालवा सहित महाकौशल में निवास करते है। भारत देश की आजादी से लेकर विकास कार्यों में जनजातियों का योगदान है। आज अगर जंगलों की वन संपदा सुरक्षित है तो उसकी रक्षा में आदिवासियों का ही श्रेय है।
बता दें कि 15 नवंबर को शहडोल में भगवान बिरसा मुंडा की जयंती जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाई गई। कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री जनजाति कार्य मंत्रालय अर्जुन मुंडा, केंद्रीय राज्यमंत्री इस्पात एवं ग्रामीण विकास फग्गन सिंह कुलस्ते, मंत्री मीना सिंह मंडावे जनजाति कार्य एवं अनुसूचित जाति कल्याण, वन मंत्री कुंवर विजय शाह, बिसाहूलाल सिंह मंत्री खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, मंत्री प्रेमसिंह पटेल पशुपालन तथा सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन, शहडोल सांसद हिमाद्रि सिंह मौजूद रही।
जल, जंगल व जमीन पर सबका अधिकार
जनजातीय गौरव दिवस को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक दिन है। भगवान बिरसा मुंडा धरती के भगवान है। अंग्रेज उनके नाम से कांपते थे। ऐसे अमर क्रांतिकारी भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर उनके चरणों में प्रणाम करता हूं। हम गौरवान्वित हैं कि जनजातीय समाज से हमारी तपस्वी बहन द्रौपदी मुर्मू भारत की राष्ट्रपति हैं। मध्यप्रदेश की धरती पर हम उनका हृदय से स्वागत और अभिनंदन करते हैं। सामाजिक समरसता के साथ हम पेसा कानून के नियम लागू कर रहे हैं। जल, जंगल व जमीन पर सबका अधिकार है। यह पेसा कानून जल, जंगल व जमीन का अधिकार जनजातीय भाइयों-बहनों को देने वाला है।
जंगली उपज पर लागू होगा पेसा के नियम
मुख्यमंत्री ने कहा कि महुआ का फूल, महुए की गुल्ली, अचार की चिरौंजी, हर्रा, बहेड़ा, आंवला ये वनोपज होती है। ये पेसा के नियम तय करते हैं कि ग्राम सभा अब वनोपज का संग्रहण करेगी और इसका मूल्य भी तय कर सकेगी। अब हर साल गांव की जमीन का उसका नक्शा, वन क्षेत्र का नक्शा, खसरा की नकल, B1 की नकल पटवारी या फॉरेस्ट बीट गार्ड को गांव में लाकर ग्रामसभा को दिखाना पड़ेगा, ताकि जमीनों में कोई हेरफेर ना हो। गांव में मनरेगा और अन्य कामों के लिए धन आता है, इससे कौन सा काम किया जायेगा, इसे भी ग्राम सभा तय करेगी।
जमीन हड़पने वाले धरती पर नहीं रहेंगे
छल-कपट कर बेटी से शादी कर जमीन हड़पने का काम मध्यप्रदेश की धरती पर हम नहीं होंगे देंगे। यदि यह पता चलता है कि किसी ने छल से जमीन नाम करवा ली है तो ग्रामसभा उस जमीन को वापिस करवाएगी। जो नियम विरुद्ध काम करेगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी। निर्धारित दरों से अधिक ब्याज दर पर कोई ऋण देगा, तो उसे भी किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ा जायेगा। गांवों में एक शांति और विवाद निवारण की समिति बनेगी। छोटे-मोटे विवादों का निवारण गांव में ही हो जाएगा, पुलिस की रिपोर्ट नहीं होगी। आप शांति और प्रेम से रहेंगे, छोटे-मोटे विवादों का फैसला बुजुर्ग ही कर देंगे।
एक लाख से ज्यादा आई भीड़
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के कार्यक्रम के लिए सरकार ने 11 जिलों से एक लाख आदिवासी भाई बहनों को बुलाने का लक्ष्य रखा था। हालांकि जिला प्रशासन का अनुमान है कि डेढ़ लाख के आसपास भीड़ आई थी। प्रशासन द्वारा 2500 बसों का अधिग्रहण किया गया था। जिसमे शहडोल, उमरिया, अनूपपुर, मंडला, डिंडोरी, रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली, कटनी और जबलपुर से जनजातियों को बुलाया गया था।
हेलीकाप्टर को देखने उमड़ी भीड़
मंगलवार की दोपहर 3.16 बजे राष्ट्रपति के मंच से जाते ही भगदड़ की स्थितियां बन गई। बाहर जाने पर पता चला कि हेलीकाप्टर देखने वालों की भीड़ है। दावा है कि जनजातीय गौरव दिवस में शामिल होने आए आदिवासियों ने इससे पहले चार हेलीकाप्टर नहीं देखे थे। हेलीकाप्टर ने जैसे ही लालपुर हवाई पट्टी से उठान भरी। वैसे ही धूल ही धूल छा गई।
मंच में लगे जिला प्रशासन मुर्दा बाद के नारे
दूर दराज से आए आदिवासी भाईयों सहित पत्रकारों ने मंच से जिला प्रशासन मुर्दाबाद के नारे लगाए है। हालांकि जिला प्रशासन के आला अधिकारी तुरंत सक्रिय हुए। जब व्यवस्था बनी तो लोग शांत हुए। बाकी डोम के अंदर आदिवासी भाईयों के लिए अच्छी व्यवस्थाएं व खाने पीने का इंतजाम किया गया था। लोग प्रोजेक्टर के माध्यम से राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री का भाषण सुनकर आने आपको गौरांवित महसूस किए।
सेल्फी लेने वालों की लगी रही भीड़, पुलिस जनता से पहले भागी
कार्यक्रम के बाद बड़े जनप्रतिनिधियों से लेकर दूर दाराज से आए आदिवासियों ने मंच के सामने खड़े होकर सेल्फी लेते नजर आए है। वहीं दूसरी तरफ अन्य जिलों से आए पुलिस के जवान आम जनता को भेजने से पहले अपने अपने वाहन चालू कर ग्रह क्षेत्र के लिए रवाना हो गए। जिससे बस चालक और चार पहिया वाहन रेंगते नजर आए है।
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