बर्थडे पर मां ने धुलाए साध्वी बेटी के पैर: प्रवचन सुनने भिंड-अहमदाबाद से खंडवा पहुंचा परिवार, बताई वैराग्य लेने की कहानी…

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सावन राजपूत। खंडवा2 घंटे पहले
चार साल पहले सांसारिक जीवन से वैराग्य ले चुकीं भिंड शहर की पूजा जैन अब विगम्याश्री माताजी कहलाती हैं। वे इस बार पांचवें चातुर्मास पर खंडवा में हैं और समाज को धार्मिक प्रवचन दे रही हैं। मंगलवार को उनके 31वें जन्मदिन पर पूरा परिवार उनसे मिलने खंडवा पहुंचा। इस अवसर पर मां ने जैन साध्वी बन चुकी बेटी के पैर पखारे (धुलवाए)। भाई, दो बहनों और जीजा ने भी पाद प्रक्षालन का लाभ लिया।
दैनिक भास्कर से बातचीत में साध्वी के सांसारिक जीवन में मां रहीं उषा जैन ने बताया, मेरी तीन बेटियां हैं। 2011 में हमने बड़ी बेटी अमृता की शादी कर दी। अब अगले साल दूसरे नंबर की बेटी पूजा की शादी करना थी, वह उस समय बीएससी (माइक्रोबॉयलोजी) से सेकंड ईयर की पढ़ाई कर रही थी। बचपन से उसका मन पूजा-पाठ और प्रवचन सुनने में लगता था।
उसी साल अजमेर में गणाचार्य विरागसागर महाराज के दर्शन करने गई। वहां आत्मचिंतन कर लिया कि इस सांसारिक जीवन से संन्यास लेना है। तब से घर पर बिस्तर त्याग कर जमीन पर ही सोने लगी। घर आए जैन संतों को आहारचर्या कराती थी।
तीन साल बाद 2014 में बेटी पूजा ने गृह त्याग दिया और ब्रह्मचर्य का व्रत रख लिया। परिवार से परामर्श लिया कि वह सांसारिक जीवन को छोड़कर संन्यास लेना चाहती है। हमारा पूरा परिवार धार्मिक प्रवृत्ति का है। पिता किशोरचंद्र जैन ने अपनी सहमति दे दी। जिसके बाद वह 3 साल तक जैन साध्वियों के सानिध्य में रही, उनकी सेवा की। 2017 में दिल्ली के लाल किले पर 25 साध्वियों के साथ संन्यास ग्रहण किया। अपने गुरु गणाचार्य विरागसागर महाराज की उपस्थिति में क्षुल्लिका दीक्षा ली।
पांचवें चातुर्मास पर खंडवा में हैं विगम्याश्री माताजी
वैराग्य लेने के बाद साध्वी विगम्याश्री माताजी का ये पांचवां चातुर्मास है, जो खंडवा में हो रहा है। पहला चातुर्मास सम्मेद शिखरजी (झारखंड) में हुआ, दूसरा इलाहाबाद, तीसरा देवेंद्रनगर (पन्ना जिला), चौथा चार्तुमास राणापुर (जिला झाबुआ) में कर चुकी हैं।

खंडवा में चातुर्मास के दौरान हो रहे साध्वियों के प्रवचन।
चार भाई-बहन हैं, पिता किराना व्यवसायी
साध्वी विगम्याश्री माताजी के गृहस्थ जीवन में चार भाई-बहन हैं। पिता किशोरचंद्र जैन किराना व्यवसायी हैं। खंडवा में मंगलवार को जन्मदिन के अवसर पर अहमदाबाद से बड़ी बहन अमृता और छोटी बहन नम्रता अपने पति के साथ पहुंचीं। भिंड से मां उषा जैन, भाई धनंजय अपनी पत्नी और बच्चों के साथ आए। बहन नम्रता ने बताया, माताजी के जन्मदिन के अवसर पर हम लोग हर साल मिलने जाते हैं। ताकि उन्हें लगे कि वैराग्य लेने के बाद भी हमारा रिश्ता उनसे कायम है, और हम उनके निर्णय के साथ हैं।

साध्वी विगम्याश्री माताजी का जीवन परिचय।
अब जानिए उन जैन संतों के बारे में जिन्होंने सांसारिक सुख त्याग कर दीक्षा ली।
व्यापारी के इकलौते बेटे ने चुनी त्याग-संयम की राह

धार जिले के नागदा गांव में हार्डवेयर और ऑटो पार्ट्स कारोबारी मुकेश श्रीमाल के 16 साल के बेटे अचल करोड़ों की प्रॉपर्टी छोड़कर जैन मुनि बनने का फैसला किया। खेलने-कूदने, घूमने-फिरने और मोबाइल के शौकीन अचल ने संयम और त्याग की राह पर चलने का प्रण लिया है। डेढ़ साल से वह AC तो क्या पंखे तक में नहीं सो रहे हैं। 4 दिसंबर को उनका दीक्षा समारोह होगा। जैन संत जिनेंद्रमुनि अचल को गांव में ही दीक्षा देंगे। यहां क्लिक करें।
भाई-बहनों ने किया सांसारिक सुख का त्याग

25 मई 2022 को रतलाम में 14 साल की पलक, उनकी जुड़वा बहन तनिष्का और 9 साल के ईशान कोठारी सांसारिक जीवन छोड़कर संयम पथ अपनाया था। 14 साल की पलक और 9 साल 6 महीने का ईशान अपने चेहरे पर ओजस्वी मुस्कान लेकर दीक्षा ग्रहण करने गुरुदेव के पास पहुंचे। गुरुदेव मुनि श्री बंधु बेड़ली म.सा. ने जैसे ही दोनों दीक्षार्थीयों को दीक्षा दी, दोनों नूतन बाल मुनि जैन भजनों पर झूमने लगे और संयम अपनाकर वैराग्य धारण कर लिया।यहां क्लिक करें।
MP के ज्वेलर का परिवार बना जैन मुनि

22 मई 2022 को बालाघाट के राकेश सुराणा ने सपरिवार रविवार को जैन भगवती दीक्षा को अंगीकार कर लिया। जयपुर में जैन संत श्री महेंद्र सागर जी महाराज साहब समेत कई अन्य संतों की निश्रा में दीक्षा समारोह हुआ। यह पहला मौका था, जब महाकौशल क्षेत्र से पूरे परिवार ने एक साथ सांसारिक जीवन को त्याग कर दीक्षा ली। यहां क्लिक करें।
इंदौर में 10 साल का मासूम बनेगा संत

10 साल का सिद्धम कहता है, मैंने पांच साल से टीवी नहीं देखा, मोबाइल नहीं चलाता, पांच साल से जैन संतों के साथ ही हूं। 500 से ज्यादा श्लोक कंठस्थ याद हैं। पांच सालों में गुजरात व मप्र के कई शहरों के जैन उपाश्रयों में तप कर चुका है। इसके बाद से ही 15 किमी का पैदल विहार भी किया है। वह बिना पंखे, फ्रिज, मोबाइल, टीवी के रहने आदी हो चुका है। उसने पांच साल की उम्र से ही रात के भोजन का त्याग कर दिया है।यहां क्लिक करें।
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