बस चालक को आया माँ शारदा का सपना: नौकरी छोड़ बनवाया बरेला के पहाड़ों में मंदिर , अब दूर-दूर से आते हैं भक्त

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जबलपुर14 मिनट पहले

मध्यप्रदेश के मैहर में माँ शारदा का ऊंचे पहाड़ों पर मंदिर हैं जो कि पूरे भारत में प्रसिद्ध है। वही एक मंदिर माँ शारदा का संस्कारधानी जबलपुर में भी जो कि ऊँचे पहाड़ों पर बना हुआ हैं,मैहर की तरह यँहा भी दूर-दूर से माँ शारदा के दर्शन करने भक्त आते हैं। नवरात्रि में माता का मंदिर और भी मन मोहक तब हो जाता हैं जब चारों तरफ प्रगति की हरी चादर माता के चरणों में फैल जाती हैं। जबलपुर-रायपुर रोड पर स्थित माता के इस मंदिर को एक बस चालक ने बनवाया था।

जबलपुर से करीब 17 किलोमीटर दूर पहाड़ों पर स्थित माता शारदा के इस मंदिर का इतिहास ज्यादा पुराना तो नहीं है, पर बताया जाता हैं कि एक बस चालक ने बरेला के पहाड़ों पर माँ शारदा का मंदिर बनवाया था। जानकार बताते हैं कि कई साल पहले इस पहाड़ पर एक मढिय़ा थी, जिसमें माता की प्रतिमा स्थापित थी। उस समय स्व. श्रवण कुमार शुक्ला जो कि राज्य सड़क परिवहन में बस चालक थे, वो जबलपुर-मंडला रोड पर बस चलाते थे उनका रोज यँहा से बस लेकर गुजरना भी होता था, वो जब भी बस लेकर गुजरते तो रुककर माता को जरूर प्रणाम किया करते थे। उसके बाद ही बस आगे लेकर जाते थे।

जानकार बताते हैं कि एक बार माँ शारदा बस चालक श्रवण शुक्ला के स्वप्न में आई। माता पहाड़ के ऊपर बने मढिय़ा के अंदर लेटी हुई मुद्रा में थी। कुछ दिन बाद बस चालक श्रवण शुक्ला को दुबारा माँ शारदा का स्वप्न आया तो उन्होंने फिर उन्होंने फिर मंदिर बनाने का प्रण किया, लेकिन उनके पास इतने रुपए नहीं थे इसलिए उन्होंने राज्य सड़क परिवहन निगम की नौकरी छोड़ दी और जो पी.एफ से जो 70 हजार रुपए उन्हें मिले तो उससे ही उन्होंने यह भव्य मंदिर बनवाया। मंदिर का निर्माण 15 जून 1975 को हुआ था। स्थानीय लोगों का कहना हैं कि जबलपुर से मंडला जाते समय रास्ते में गहरी घाटियां पड़ती हैं, आए दिन वाहन दुर्घटना भी होती हैं इसलिए भी इस मंदिर का और भी महत्व हैं। वाहन चालक थोड़ी देर के लिए यँहा जरूर रुकते हैं। माता के सामने माथा टेकते हैं और फिर आगे बढ़ते हैं।

मध्य प्रदेश में शारदा माता का एक मंदिर सतना जिले के मैहर में है जबकि दूसरा जबलपुर के बरेला में, दोनों ही मंदिरों का बराबर महत्व हैं ,यही वजह हैं कि नवरात्रि में माता के मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती हैं।

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