Chhattisgarh

बस्तर दशहरा काछिन गादी पूजा विधान 25 को

जगदलपुर, 24 सितम्बर। बस्तर दशहरा में इस वर्ष काछनगादी पूजा विधान 25 सितंबर को संपन्न होगा। परंपरानुसार पनका जाति की कुंवारी कन्या बेल के कांटे पर काछनदेवी के रूप में झूलती हुई राजपरिवार के सदस्यों को बस्तर दशहरा के निर्विघ्न संपन्न होने की आशीर्वाद एवंअनुमति प्रदान करेगी। पिछले वर्ष तक इस विधान को अनुराधा ने पूरा किया था, अनुराधा ने 6 वर्ष तक लगातार इस रस्म को पूरा किया था। लेकिन इस साल इसी गांव की नंदिनी निवासी बड़े मारेंगा उम्र ,8 वर्ष को इस विधान को पूरा करने के लिए चुना गया है।

रियासत कालीन एतिहासिक बस्तर दशहरा हरियाली अमावस्या तिथि पर पाट जात्रा पूजा विधान के साथ इसकी शुरूआत हो जाती है। पाटजात्रा के बाद डेरी गड़ाई पुजा विधान एक प्रमुख रस्म है, जिसके बाद दुमंजिला विशाल काष्ठ रथों का निर्माण कार्य प्रारंभ हो जाता है, वर्तमान में रथ निर्माण जारी है। डेरी गड़ाई के बाद नवरात्रि से पहले आश्विन मास की अमावस्या के दिन काछिनगादी पूजा विधान में बस्तर दशहरा के निविघ्र संपन्नता की अनुमति बस्तर राजपरिवार को मिलने के बाद नवरात्र के कलश स्थापना, जोगी बिठाई रस्म एवं बस्तर दशहरा का मुख्य आकर्षण रथ परिचालन प्ररंभ हो जायेगा। इस वर्ष नंदिनी कश्यप और उसका परिवार जगदलपुर के काछनगुड़ी में पहुंच गया है। कक्षा तीसरी में अध्ययनरत नंदिनी काछिनगादी पूजा विधान को पूरा करेंगी। इसके लिए काछनगुड़ी में एक सप्ताह पहले से इसकी प्रक्रिया पूरा किया जा रहा है। काछिनदेवी से स्वीकृति मिलने पर ही बस्तर दशहरा का धूमधाम के साथ आरंभ हो जायेगा है।

उल्लेखनीय है कि काछिनगादी का अर्थ है काछिन देवी को गद्दी देना। काछिन देवी की गद्दी कांटेदार होती है। कांटेदार झुले की गद्दी पर काछिनदेवी विराजित होती है। काछिनदेवी को रण देवी भी कहते है। काछिनदेवी बस्तर अंचल के मिरगानों (हरिजन)की देवी है। बस्तर महाराजा के द्वारा बस्तर दशहरा से पहले आश्विन अमावस्या को काछिन देवी की अनुमति से ही दशहरा प्रारंभ करने की प्रथा चली आ रही है।

काछनगुड़ी के पुजारी गणेश ने बताया कि इस रस्म की कन्या नंदिनी बेल के कांटों के झूले पर लेट कर बस्तर दशहरा के निविघ्र संपन्नता की अनुमति प्रदान करेगी। काछनगुड़ी में पूजा पाठ कर नंदिनी को तैयार किया जा रहा है। पुजारी ने बताया कि पितृपक्ष आमावस्या तिथि को काछनगुड़ी में काछनगादी पूजा विधान होगा। पुजारी गणेश ने बताया कि इससे पूर्व कांडा बारा की रस्म में काछन देवी की पूजा संपन्न की गई है। नंदिनी काछनगादी पूजा विधान को पूरा करे इसके लिए ही पूजा पाठ किया गया। पुजारी ने बताया कि 17 सितंबर से लेकर 25 सितंबर तक नंदिनी केवल फलाहार में रहकर इससे पूर्व की प्रक्रिया को पूरा कर रही है।नंदिनी के पिता राजमिस्त्री दयादास कश्यप ने बताया कि कि उसके दो बेटियां और एक बेटा है। इस वर्ष उनकी बेटी नंदिनी काछनगादी पूजा विधान को पूरा करेगी।

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