फिर परीक्षा की तैयारी: बीयू के पास 242 स्टूडेंट्स बैकलॉग, ऐसे भी जो 14 साल में पूरा नहीं कर सके एमबीबीएस; एक छात्र 10 साल से फर्स्ट ईयर में

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भोपाल36 मिनट पहलेलेखक: गिरीश उपाध्याय
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मेडिकल यूनिवर्सिटी बनने के बाद बीयू के एमबीबीएस, बीडीएस, डेंटल कॉलेज भी हो गए शिफ्ट
मेडिकल यूनिवर्सिटी बनने के बाद बरकतउल्ला विश्वविद्यालय (बीयू) से संबद्ध मेडिकल कॉलेज, डेंटल कॉलेज, आयुष और नर्सिंग कॉलेज मेडिकल यूनिवर्सिटी में शिफ्ट हो गए। लेकिन, एमबीबीएस, बीडीएस समेत सभी कोर्सेस के 242 छात्रों का बैकलॉग बीयू के पास है। इनमें एमबीबीएस के ही 58 स्टूडेंट्स हैं। एमबीबीएस फर्स्ट प्रोफ यानी फर्स्ट ईयर में एक ऐसा छात्र भी है, जिसने सत्र 2011-12 में एडमिशन लिया और 10 साल से फर्स्ट ईयर में ही अटका हुआ है। 17 बार परीक्षा दे चुका है, लेकिन अगली क्लास में प्रमोशन नहीं ले पाया।
यह फीजियोलॉजी पेपर में फेल है। इसी तरह एमबीबीएस फाइनल पार्ट-2 में 42 स्टूडेंट्स हैं, जिनकी परीक्षा कराने के लिए बीयू फिर से तैयारी कर रहा है। इनमें 2007-08 और 2008-09 में एडमिशन लेने वाले छात्र भी शामिल हैं, जो अलग-अलग विषयों में फेल हैं। यह 14 साल से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी नहीं कर सके हैं। फाइनल पार्ट-2 के बाद इन्हें इंटर्नशिप करनी होगी। इसके बाद यह डॉक्टर बन जाएंगे। यह विद्यार्थी जब तक चाहें परीक्षा देकर एमबीबीएस सहित अन्य मेडिकल कोर्स कर सकते हैं, क्योंकि इनमें समय सीमा की कोई बाध्यता नहीं है। वहीं, कुलपति प्रो. एसके जैन का कहना है कि इन छात्रों को मेडिकल यूनिवर्सिटी में कैसे शिफ्ट किया जा सकता है, वे इस संबंध में प्रयास करेंगे।
एमबीबीएस के दो वर्ष के रिजल्ट आना बाकी
एमबीबीएस सेकंड प्रोफ (सेकंड ईयर) में 4 और एमबीबीएस फाइनल पार्ट-1 (थर्ड ईयर) में 11 स्टूडेंट अटके हुए हैं। इनकी परीक्षा जून 2022 में हुई। रिजल्ट आना है। इनमें भी ज्यादातर 2007-08, 2008-09, 2010-11, 2012-13 आदि सत्रों में प्रवेशित स्टूडेंट हैं।
बीडीएस में 24 स्टूडेंट्स का बैकलाॅग
बीयू के पास बीडीएस में 24 स्टूडेंट का बैकलाॅग है। इनमें थर्ड ईयर के 6 और फाेर्थ ईयर के 18 स्टूडेंट शामिल हैं। इसमें 2009-10, 2010-11, 2011-12 में प्रवेशित छात्र शामिल हैं।
बीएएमएस में 56 छात्रों की परीक्षा करा रहे
बीएएमएस कोर्स के 56 छात्र ऐसे हैं जिनकी परीक्षा बीयू करा रहा है। इनमें सेकंड ईयर के 8, थर्ड ईयर के 20 और फाेर्थ ईयर के 28 छात्र शामिल हैं। फाइनल ईयर में 2009-10 में प्रवेश लेने वाले छात्र भी शामिल हैं।
इन कोर्स के लिए एक निर्धारित टाइम लाइन होनी चाहिए
इन छात्रों ने जब एडमिशन लिया था, तब मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की ऐसी कोई गाइडलाइन नहीं थी, जिसमें कोर्स पूरा करने की टाइम लाइन दी गई हो, इसलिए बीयू में यह स्थिति बनी है। विद्यार्थी कितनी भी बार परीक्षा में शामिल हो सकता है। स्टूडेंट्स के सालों तक पढ़ाई कम्प्लीट नहीं कर पाने के पीछे कई कारण होते हैं। इसमें मेडिकल प्रॉब्लम भी शामिल हैं। शुरुआत में 3 से 4 बार फेल होने से भी स्टूडेंट्स का कॉन्फिडेंस कम हो जाता है। इन कोर्स के लिए एक निर्धारित टाइम लाइन होनी चाहिए।
-डॉ. राकेश मालवीय, प्रेसिडेंट, मेडिकल टीचर एसोसिएशन भोपाल
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