प्रवीण पाण्डेय: ये है सरकारी ढर्रा- पीआईयू के पास भारी-भरकम अमला फिर भी नहीं दिए 288 करोड़

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सागर11 मिनट पहले

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सरकारी ढर्रे का सबसे अच्छा उदाहरण सागर में दिखाई दिया। - Dainik Bhaskar

सरकारी ढर्रे का सबसे अच्छा उदाहरण सागर में दिखाई दिया।

सरकारी ढर्रे का सबसे अच्छा उदाहरण सागर में दिखाई दिया। यहां 288 करोड़ रुपए की लागत से 7 सीएम राइज स्कूल भवन का निर्माण होना है। अभी तक भवन निर्माण का काम पीआईयू करता आया है लेकिन अब पीआईयू को काम न देकर भवन विकास निगम बना दिया है, जिसे ये काम सौंप दिया है। हकीकत यह है कि निगम के पास न तो दफ्तर है और न ही स्टॉफ।

हालत ये हैं कि निगम के एकमात्र पदस्थ अफसर अजय ठाकुर दौरे कर और अन्य दफ्तरों में बैठ रहे हैं। इधर, पीआईयू के पास डिवीजनल प्रोजेक्ट इंजीनियर सहित 15 लोगों का स्टॉफ है। इनके पास एक साल से कोई बड़ा और महत्वपूर्ण काम तक नहीं है, फिर भी इसे नया काम नहीं दिया जा रहा है।

डीईओ कार्यालय में बैठे डीजीएम ठाकुर

ये भवन विकास निगम के डीजीएम अजय ठाकुर हैं जाे अभी अपना ऑफिस ढूंढ रहे हैं। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय नए प्रोजेक्ट के संबंध में चर्चा करने के लिए पहुंचे थे।

11 सीएम राइज स्कूल भवन निगम बनवाएगा, 7 के टेंडर

निगम की ओर से 7 स्कूल भवन बनाने के लिए टेंडर जारी कर स्वीकृत भी कर दिए गए हैं। इसमें सागर सीएम राइज भवन 49.1 करोड़, देवरी 42.5 करोड़, जैसीनगर 42.5 करोड़, बंडा 42.5 करोड़, राहतगढ़ 38 करोड़, रहली 38 करोड़ एवं नरयावली सीएम राइज भवन 35.6 करोड़ की लागत से निर्मित होना है।

पीआईयू के पास 1 करोड़ लागत का कोई काम नहीं

पीआईयू के पास अमला है लेकिन पिछले एक साल से इसके पास 1 करोड़ से बड़ी लागत का कोई काम नहीं है। पीआईयू में एक डिवीजनल प्रोजक्ट इंजीनियर, तीन असिस्टेंट इंजीनियर, दो सिविल एवं एक इलेक्ट्रीकल, तीन सब इंजीनियर सिविल एवं एक सब इंजीनियर इलेक्ट्रीकल, एक मानचित्रकार, दो लिपिक व पूरा अमला है।

मैंने काम शुरू कर दिया है
“शासन ने किराए के भवन में ऑफिस की स्वीकृति दी है, जिसे जल्द ही फाइनल कर दिया जाएगा। शासन बाकी पदों पर भी तेजी से नियुक्तियां कर रहा है।”
– अजय ठाकुर, डिवीजनल जनरल मैनेजर, भवन विकास निगम, सागर

मुख्यमंत्री हैं इसके चेयरमैन

“भवन विकास निगम के चेयरमैन सीएम हैं। सीएम राइज के काम बेहतर हों इसलिए निगम को दिए हैं। सभी एजेंसियों के पास पर्याप्त काम हैं। चूंकि काम बहुत बढ़ गए हैं इसलिए आरडीसी की तर्ज पर निगम का गठन कर काम बांटा है।”

– गोपाल भार्गव, लोनिवि मंत्री

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