प्रधानपाठ बैराज का जायजा लेकर तकनीकी टीम से की चर्चा, छह साल से टूटे पड़े गेट की अब होगी मरम्मत

स्टीमेट बनाने निर्देश, किसानों को राहत देने की दिशा में काम करने के निर्देश दिए गए
खैरागढ़। मुढ़ीपार स्थित प्रधानपाठ बैराज के टूटे गेट की आखिरकार कलेक्टर इंदजीत चंद्रवाल ने सुध ली। जिला निर्माण के बाद टूटे गेट की मरम्मत के लिए प्रशासनिक तौर कोई कार्यवाही नहीं हो पाई थी।ईटार के समाधार शिविर में पहुंचने के दौरान कलेक्टर चंद्रवाल को इसकी जानकारी होने पर उन्होंने अधिकारियो के साथ प्रधानपाठ बैराज का दौरा कर वहां बैराज की स्थिति, टूटे गेट, रखरखाव सहित अन्य व्यवस्था की जानकारी ली। चंद्रवाल पहले कलेक्टर हैं जो बैराज की स्थिति जानने पहुंचे। प्रधानपाठ जैसे महत्वाकाक्षी परियोजना की दुर्दशा की जानकारी लेते मौके पर ही जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों की क्लास ली।
लछना स्थित आमनेर नदी पर बनाए गए प्रधानपाठ बैराज का निरीक्षण करते कलेक्टरचंद्रवाल ने बैराज की वर्तमान स्थिति, जल संग्रहण क्षमता, मरम्मत, आवश्यकताओं की मौके पर ही समीक्षा करते अधिकारियों से निर्माण कार्य की प्रगति एवं तकनीकी पहलुओं की जानकारी ली। निरीक्षण के दौरान कलेक्टरचंद्रवाल ने बैराज के नक्शे के माध्यम से जल प्रवाह के स्रोत क्षेत्रों का अवलोकन और जल संचयन में आ रही समस्याओं पर चर्चा की।
जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता वीरेंद्र कुमार मरकाम ने बताया कि बैराज का निर्माण 2017 में हुआ था, लेकिन 2019 में आई बाढ़ के कारण बैराज का मुख्य एक गेट क्षतिग्रस्त हो गया। गेटों के सुधार के लिए 711.74 लाख रुपए का प्राकलन तैयार कर शासन को भेजा गया है।
कलेक्टर ने वैकल्पिक उपाय के रूप में बल्क गेट की मरम्मत विद्युत एवं यांत्रिकी विभाग से शीघ्र कराने के निर्देश देते दूरभाष पर संबंधित विभाग से बातचीत की। कलेक्टर ने बैराज से अधिक से अधिक ग्रामीणों को लाभ पहुंचाने, जल का उपयोग सिंचाई व निस्तारी के लिए सुनिश्चित करने कहा।
कलेक्टर ने कहा कि बैराज के प्रभाव क्षेत्र में आने वाले किसान एवं ग्रामीणों को इससे खेती और जल आपूर्ति में बड़ा लाभ मिलेगा, जिससे स्थानीय कृषि उत्पादन और जीवन स्तर में सुधार संभव हो सकेगा। इस दौरान जिला पंचायत सीईओ प्रेम कुमार पटेल, एसडीएम टंकेश्वर साहू सहित जलसंसाधन विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे। जल्द रिपोर्ट देने निर्देश दिए।
नहीं मिल रहा बैराज का लाभ
छह साल से गेट की मरम्मत नहीं होने से प्रधानपाठ बैराज का लाभकिसानों, खेतों और गर्मी के दौरान नहीं मिल रहा है। बैराज की स्टोरेज क्षमता खत्म हो गई है। खैरागढ़ इलाके में आने वाले बाढ़ को रोकने में भी बैराज की भूमिका नगन्य हो गई है। बैराज से आमनेर नदी को गर्मी में भी पानी आपूर्ति की जा सकती है। लेकिन गेट टूटने से बैराज की उपयोगिता खत्म हो गई है। बैराज से क्षेत्र के 50 से अधिक गांवो में सिंचाई क्षमता का विस्तार होना था। लेकिन स्टोरेज नहीं होने से व्यवस्था ठप्प पड़ी हैं। कलेक्टर के औचक निरीक्षण और बैराज के गेट के मरम्मत और सुधार के निर्देश के बाद पहली बार बैराज के कार्य होने की उम्मीद जगी है।