दवा और दुआ: 10 दिन में 9 पोषण पुनर्वास केंद्रों में 45 बच्चे भर्ती, धर्म स्थलों पर 104 पहुंचे

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खरगोन22 मिनट पहले
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जिले में कुपोषण दूर करने के लिए 9 पोषण पुनर्वास केंद्रों की जगह बच्चे धार्मिक स्थल पहुंच रहे हैं। पिछले 10 दिन में 104 से ज्यादा बच्चे पहुंचे हैं। बच्चों में कुपोषण व खून की कमी मिली है। उन्हें पोषण पुनर्वास केंद्र रैफर किया है। जबकि जिले के 9 पोषण पुनर्वास केंद्रों के 90 बेड पर कुल 45 बच्चे भर्ती हैं। इससे खुलासा होता है कि स्वास्थ्य व महिला एवं बाल विकास विभाग की योजनाओं व उनके कर्मचारी सही तरीके से काम नहीं कर रहे हैं। कुपोषण को दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग व महिला एवं बाल विकास विभाग पर धार्मिक स्थल भारी पड़ रहे हैं।
हालत है यह कि पिछले 10 दिन में रविवार व मंगलवार को 104 बच्चे पहुंचे हैं। इन बच्चों की जांच के बाद रैफर किया है। मंगलवार को शहर की छठी माता मंदिर प्रागंण के पास एनीमिक व कुपोषित बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण व इलाज के लिए शिविर लगाया गया। शिविर में डॉ. प्रकाश सोनी ने 35 बच्चों की जांच की। वहीं पोषक प्रशिक्षक चन्द्रकांता कोठे और टीम ने बच्चों का वजन व ऊंचाई की जांच की गई। जबकि पूर्व में भी बच्चे कुपोषित व एनीमिक मिले थे। यहां प्रत्येक मंगलवार को भी शिविर लगेगा।
दो विभागों की गंभीर लापरवाही : जिलेभर में 2200 आंगनवाड़ियों में कार्यकर्ता, 100 से ज्यादा अस्पतालों में स्वास्थ्य कार्यकर्ता व 2 हजार से ज्यादा आशा कार्यकर्ता बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र नहीं पहुंचा पा रही हैं। केंद्र लगातार खाली है। जिला अस्पताल स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र में अगस्त मंे 23, सितंबर मंे 32, अक्टूबर में 15 व नवंबर में 12 बच्चे ही भर्ती हुए हैं। फिलहाल जिले में 2 हजार अतिकुपोषित व 5 हजार से ज्यादा कुपोषित बच्चे हैं। जिला मुख्यालय पर छठी माता मंदिर के अलावा जिले के सगुर भगूर व बालसमुद के पास साता माता में भी बड़ी संख्या में कुपोषित बच्चे हर मंगलवार पहुंचते हैं।
केंद्रों में इतने बच्चे भर्ती
जिला अस्पताल के पोषण पुनर्वास केंद्र के 20 बेड में से केवल 3 डोलारफाटा की लक्ष्मी, बगवां का नैतिक व सोमाखेड़ी की छवि भर्ती है। जबकि 17 पलंग खाली हैं। इसी तरह भगवानपुरा में 2 बच्चे, गोगावां मंे 3, झिरन्या मंे 4, सनावद में 4, भीकनगांव में 6, महेश्वर में 8, कसरावद में 11 व झिरन्या में 4 बच्चे भर्ती हैं।
“जिलेभर में स्वास्थ्य कार्यकर्ता व आशा कार्यकर्ताओं को कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चों का सर्वे करेंगे। उन्हें केंद्रों में भर्ती करेंगे।”
-डीएस चौहान, सीएमएचओ
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