इस मासूम की जान बचाने के लिए चाहिए 5 करोड़: डॉक्टर बोले- जल्द इलाज नहीं मिला तो 1 साल ही जी पाएगी

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राजेश चौरसिया । छतरपुरएक घंटा पहले
छतरपुर की रहने वाली ढाई साल की मधिहा दुर्लभ बीमारी SMA-2 (Spinal Muscular Atrophy Type-2) से जूझ रही है। इसके इलाज के लिए कम से कम 5 करोड़ रुपए की जरूरत है। महीनेभर पिलाने वाली एक शीशी (ओरल सस्पेंशन) की कीमत ही 6 लाख रुपए है। यह इलाज लंबा चलता है।
हर साल इस मासूम के इलाज पर करीब 36 लाख रुपए का खर्च आएगा है। बच्ची की मांसपेशियां इतनी कमजोर हो चुकी हैं कि वह चलना-फिरना तो दूर करवट तक नहीं बदल सकती है। उसके पैर भी मुड़ते जा रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि उसे जल्द इलाज नहीं मिला तो ज्यादा से ज्यादा एक साल तक सर्वाइव कर पाएगी।
बच्ची को इन्फेक्शन वाली जगह से भी दूर रखने की हिदायत दी गई है। अगर इसमें लापरवाही बरती गई तो ज्यादा से ज्यादा उसकी उम्र 6 महीने और रहेगी। मधिहा के माता-पिता मदद के लिए हर जगह गुहार लगा रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पेज भी बनाया है। इसके जरिए 1 लाख रुपए की मदद मिली है। (मदद के लिए आप मधिहा के पिता शेख जाकिर से इन नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं- 8989601794, 7000359994)

पिता जाकिर का कहना है कि इतने रुपए की व्यवस्था कैसे करूं। सरकार मदद कर दे तो बेटी को नया जीवन मिल सकता है।
6 महीने बाद ही चेहरे से खुशी हुई गायब
छतरपुर शहर के नारायण बाग वार्ड नंबर- 28 में रहने वाले शेख जाकिर की शादी 4 साल पहले शायना खातून से हुई। शादी के डेढ़ साल बाद उनके घर एक बेटी का जन्म हुआ। उन्होंने बेटी का नाम मधिहा रखा। जाकिर और शायना की खुशी 6 महीने बाद ही काफूर हो गई। बेटी अन्य बच्चों की तरह न तो करवट बदलती थी, ना ही हाथ उठाती थी। बस रोकर ही अपनी परेशानी बता पाती थी। पहले बड़े-बुजुर्गों से इस बारे में बात की, फिर डॉक्टरों का रुख किया।
6 महीने छतरपुर में करवाया इलाज
जाकिर ने बताया कि बेटी 6 महीने की हो चुकी थी, लेकिन आम बच्चों की तरह व्यवहार नहीं कर रही थी। हम छतरपुर अस्पताल लेकर पहुंचे और डॉक्टर को दिखाया। उन्होंने 6 महीने तक इलाज किया। आराम नहीं हुआ, तो डॉक्टर ने कहा- किसी बड़े शहर में जाकर एक बार डॉक्टर को दिखवा लो। इसके बाद हम बच्ची को लेकर जबलपुर पहुंचे। यहां डॉक्टर ने दो जांचें कीं। यहां पता चला कि बेटी SMA-2 बीमारी से पीड़ित है। उन्होंने एम्स जाने की सलाह दी और बोले- इसे 16 करोड़ रुपए का एक इंजेक्शन लगेगा।

मधिहा चल फिर नहीं सकती। उसे करवट बदलने के लिए भी मां का सहारा लेना पड़ता है। मधिहा का इलाज लंबा चलेगा। डॉक्टरों का कहना है कि समय पर इलाज नहीं हुआ, तो वह एक साल से ज्यादा सर्वाइव नहीं कर पाएगी।
PGI चंडीगढ़ में डॉक्टर बोले- इलाज में 5 करोड़ का खर्च
जाकिर ने कहा- हम घबरा गए और जबलपुर से सीधे PGI चंडीगढ़ पहुंचे। जांच के बाद डॉक्टरों ने बताया कि इस बीमारी में 16 करोड़ का इंजेक्शन लगता है, लेकिन उसकी एक कंडीशन होती है। बच्ची यदि 2 साल के अंदर की होती तो इंजेक्शन जरूरी होता है। अभी मधिहा की उम्र 2 साल से ऊपर है। ऐसे में ओरल सस्पेंशन यानी पिलाने वाली दवा भी आती है।
डॉक्टर ने इलाज के लिए साल का खर्च 36 लाख रुपए बताया है। पूरी तरह से ठीक होने में कुल खर्च 5 करोड़ रुपए आएगा। हर दिन एक दवा पिलानी है। एक शीशी की कीमत 6 लाख रुपए से ज्यादा है। वजन के हिसाब से इसका डोज तय होगा। बाहर से दवा लेने पर सालभर में 72 लाख रुपए का खर्च आएगा, लेकिन अस्पताल 50 फीसदी की सब्सिडी देगी।

मधिहा के इलाज के लिए 5 करोड़ रुपए चाहिए। माता-पिता रुपयों की व्यवस्था में लगे हैं, लेकिन यह रकम बहुत बड़ी है। वैसे उसके इलाज पर 72 लाख रुपए खर्च होंगे, लेकिन अस्पताल 50 फीसदी सब्सिडी देगी तो यह आधा रह जाएगा।
15 हजार महीना कमाता हूं, बेटी को कैसे बचाऊं
जाकिर का कहना है कि वे एक शोरूम में फोर व्हीलर गाड़ियों की डेंटिंग का काम करते हैं। मंथली 15 हजार रुपए मिलते हैं। पूरी सैलरी बेटी के इलाज में चली जाती है। पिता की कमाई से गुजर-बसर हो रहा है। दोस्तों-रिश्तेदारों से भी काफी रुपए ले रखे हैं। उन सभी ने मदद की है।
जाकिर ने कहा- डॉक्टरों ने बताया कि इस बीमारी में बच्चे ज्यादा समय तक सर्वाइव नहीं कर पाते। बेटी के हाथ-पैर टेढ़े हो गए हैं। रीढ़ की हड्डी भी टेढ़ी हो रही है। शरीर दुबला होता जा रहा है। पसलियां तक दिखने लगी हैं। अब तो उसे सांस लेने में भी दिक्कत आने लगी है। दिनोंदिन उसकी हालत बिगड़ती जा रही है। इलाज नहीं मिलने पर बच्चों की जान तक चली जाती है। इतने रुपए कहां से लाऊं कि बेटी को नया जीवन दे सकूं।

मां शायना का कहना है कि बेटी के पैर टेढ़े हो चुके हैं। पैर में बेल्ट बांधना पड़ता है। वह दुबली हो चुकी है, जिससे पसलियां उभरकर दिखने लगी हैं।
मां बोली- बेटी की सेवा में ही दिन-रात गुजर रहे हैं
मधिहा की मां शायना ने बताया कि बेटी को बहुत परेशानी है। बेटी की सेवा में ही मेरे दिन-रात गुजर जाते हैं। इतने रुपए नहीं हैं कि बेटी का सही इलाज करवा पाएं। जो कमाई होती है, वह इलाज में खर्च हो जाती है। कई लोगों को उधारी देनी है। लाखों रुपए महीना खर्च हो रहा है, पर बेटी को आराम नहीं है।
विधायक बोले- 10 हजार का चेक ले लो
छतरपुर विधायक के यहां भी मदद मांगने गए थे। उन्हें पूरी बात बताई। उन्हें बताया साल के 36 लाख रुपए लगेंगे। यह सुन वे बोले- हम इतनी बड़ी रकम तो नहीं दे पाएंगे। आप मेरे पीए को कागज और आवेदन दे दो, 10 हजार रुपए का चेक आपको देते हैं। यह सुनकर मैं बेटी को लेकर घर लौट आया। उनके 10 हजार रुपए देने से मेरी कोई बड़ी मदद तो होनी नहीं थी। एस्टीमेट बनवाने में ही मेरे 20 हजार रुपए खर्च हुए और वे 10 हजार की मदद कर रहे थे। वे बोले- चंड़ीगढ़ में इस बीमारी से पीड़ित दो-तीन बच्चों का इलाज चल रहा है। उनका खर्च सरकार उठा रही है। मैं भी यहां प्रार्थना करता हूं कि बेटी का इलाज करवा दें।

छतरपुर जिला अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर और सीनियर सर्जन डॉ. मनोज चौधरी ने बताया कि मधिहा को जल्द इलाज की जरूरत है।
इलाज जल्द शुरू कर देना चाहिए- डॉक्टर
छतरपुर जिला अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर और सीनियर सर्जन डॉ. मनोज चौधरी ने बताया कि मधिहा को बहुत ही रेयर किस्म की बीमारी है। यह जेनेटिक होती है। खासकर क्लोज ब्लड रिलेशन में शादी होने पर इस बीमारी के होने के चांस बढ़ जाते हैं। जीन माता-पिता के शरीर में सुप्त अवस्था में रहते हैं, बच्चों के शरीर में जीन पहुंचने पर कई बार वो एक्टिव हो जाते हैं। इस बीमारी का इलाज बहुत ही महंगा है। जो इंजेक्शन लगाए जाते हैं, वो जीन को मोडिफाइड करते हैं या वो जीन के सब्स्टिट्यूट हैं।
इंजेक्शन की कीमत 16 से 18 करोड़ रुपए है। इसके अलावा जिसके कारण मांसपेशियां कमजोर हुई हैं, उन जीन को बनाने वाले इंजेक्शन भी बहुत महंगे हैं। इनकी कीमत भी 8 से 9 लाख रुपए है। ये इंजेक्शन विदेशों से ही मंगवाए जाते हैं। समय पर इलाज मिलने से युवा अवस्था तक बच्चों के जीवित रहने के चांस बढ़ जाते हैं। मांसपेशियों के काम नहीं करने से उनमें इन्फेक्शन बहुत जल्दी फैलता है।
ऐसे बच्चों को फ्रैक्चर भी ज्यादा होते हैं। इलाज के बाद भी बच्चों को समस्याएं आती हैं, क्योंकि इंजेक्शन से नेचुरल प्रोटीन नहीं बन पाता है। मधिहा के बारे में कहना चाहूंगा कि उसे जल्द से जल्द इलाज मिले। इलाज नहीं मिलने की कंडीशन में वह ज्यादा से ज्यादा एक साल तक सर्वाइव कर पाएगी। यदि इन्फेक्शन की शिकार हुई तो 6 महीने ज्यादा से ज्यादा।

मधिहा की मदद के लिए सोशल मीडिया पर एक पेज भी बनाया गया है। इसके जरिए अब तक 1 लाख रुपए की मदद मिली है।
सोशल मीडिया की मदद से मांग रहे मदद
मधिहा के पिता लगातार सोशल मीडिया के जरिए बेटी के इलाज के लिए मदद मांग रहे हैं। लोगों ने अब तक करीब एक लाख रुपए की मदद दी है। उन्होंने सरकार के साथ ही एक्टर सोनू सूद समेत कुछ अन्य सेलिब्रिटी को भी इस संबंध में जानकारी पोस्ट करते हुए उन्हें मदद के लिए टैग किया है। हालांकि, अब तक कहीं से कोई मदद की उम्मीद नहीं आई है।
क्या है SMA बीमारी?
स्पाइनल मस्क्यूलर अट्रॉफी (SMA) बीमारी वाले बच्चों के शरीर में प्रोटीन बनाने वाला जीन नहीं होता। इससे मांसपेशियां और तंत्रिकाएं (Nerves) खत्म होने लगती हैं। दिमाग की मांसपेशियों की एक्टिविटी भी कम होने लगती है। ब्रेन से सभी मांसपेशियां संचालित होती हैं, इसलिए सांस लेने और खाना चबाने तक में दिक्कत होने लगती है। SMA कई तरह की होती है। Type-1 सबसे गंभीर बीमारी होती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में अभी तक 5 लोगों और दुनिया में करीब 600 लोगों को SMA बीमारी के इलाज के लिए जोलगेन्स्मा का इंजेक्शन लगा है। जिन्हें लगा है, उन्हें भी 60% ही फायदा मिला।
SMA-2 से पीड़ित है मधिहा
SMA-2 से पीड़ित बच्चे आमतौर पर सहारे के बिना बैठना सीख लेते हैं, पर वे सहायता के बिना खड़े होना या चलना नहीं सीख पाते हैं। मांसपेशियां कमजोर होने पर वे ऐसा नहीं कर पाते हैं। बच्चे का जीवित रहना मुख्य रूप से इस बात पर निर्भर करता है कि उसे सांस लेने और निगलने में किस स्तर की कठिनाई होती है। SMA-3 इस बीमारी का एक अपेक्षाकृत हल्का रूप है।
क्या है इंजेक्शन की खासियत
इस बीमारी के इलाज के लिए जरूरी अमेरिकी कंपनी के इंजेक्शन की कीमत करीब 16 करोड़ रुपए है। इसकी खासियत यह है कि यह उन जीन को निष्क्रिय कर देता है, जो मांसपेशियों को कमजोर कर उन्हें हिलने-डुलने और सांस लेने में समस्या पैदा करते हैं। साथ ही बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास सामान्य रूप से हो सके, इसके लिए वो जरूरी प्रोटीन का उत्पादन भी करता है।
कितनी खतरनाक है यह बीमारी
यह मांसपेशियों को खराब कर देने वाली दुर्लभ बीमारी है। यह तंत्रिका तंत्र को सुचारू रूप से कार्य करने के लिए आवश्यक प्रोटीन के निर्माण को बाधित करती है। ऐसे में तंत्रिका तंत्र नष्ट होने से बच्चे की मौत भी हो सकती है।
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उज्जैन के बच्चे की जान बचाने चाहिए 16 करोड़ का इंजेक्शन

उज्जैन में रहने वाला 20 महीने का अथर्व ऐसी दुर्लभ बीमारी से जूझ रहा है, जिसका इलाज सिर्फ 16 करोड़ के इंजेक्शन से ही संभव है। बच्चे की मांसपेशियों में इतनी ताकत नहीं है कि वह चल सके या फिर खड़ा हो सके। उसके पास सिर्फ चार महीने का समय बचा है। अथर्व के मध्यमवर्गीय माता-पिता ने अपने मासूम बच्चे की जान बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुहार लगाई है। साथ ही बेटे के लिए जरूरी अमेरिकी कंपनी के इंजेक्शन का हवाला देकर आम लोगों से भी मदद की अपील की है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…
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