पासरखेत में दिखा 13 फीट लंबा किंग कोबरा, वन विभाग और नोवा नेचर टीम ने किया सफल रेस्क्यू

कोरबा (छत्तीसगढ़)।
कोरबा जिले की समृद्ध जैव-विविधता एक बार फिर चर्चा में आ गई, जब पासरखेत गांव में करीब 13 फीट लंबे विशालकाय किंग कोबरा के दिखाई देने से ग्रामीणों में हड़कंप मच गया। शुक्रवार शाम करीब 4 बजे ग्रामीणों ने जब इस विषधर को देखा, तो क्षेत्र में दहशत फैल गई और बड़ी संख्या में लोग मौके पर जुट गए।

सूचना मिलते ही वन विभाग और नोवा नेचर वेलफेयर सोसायटी की टीम सक्रिय हो गई। रेस्क्यूअर जितेंद्र सारथी ने तत्काल मामले की जानकारी डीएफओ श्रीमती प्रेमलता यादव को दी। उनके निर्देश और एसडीओ आशीष खेलवार एवं एसडीओ सूर्यकांत सोनी के मार्गदर्शन में जितेंद्र सारथी अपनी टीम के सदस्यों एम. सूरज, सिद्धांत जैन और बबलू मारवा के साथ मौके के लिए रवाना हुए।
गांव पहुंचने के बाद ग्रामीणों को सुरक्षित दूरी पर रखते हुए तय प्रोटोकॉल के तहत रेस्क्यू अभियान शुरू किया गया। करीब डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद टीम ने धैर्य और कौशल से किंग कोबरा को सुरक्षित रूप से थैले में कैद कर लिया। इस दौरान सांप बार-बार फुफकारता रहा और अपना फन फैलाकर रौद्र रूप दिखाता रहा, जिससे ग्रामीणों की सांसें थम सी गईं।
वन परिक्षेत्र अधिकारी देवदत्त खांडे के नेतृत्व में पूरी प्रक्रिया का पंचनामा तैयार किया गया, जिसके बाद सांप को उसके प्राकृतिक आवास के घने जंगलों में छोड़ा गया। इस दौरान ग्रामीणों ने राहत की सांस लेते हुए कहा कि किंग कोबरा, जिसे स्थानीय लोग “पहाड़ चित्ती” के नाम से जानते हैं, क्षेत्र की धरोहर और देवता समान माने जाते हैं, इसलिए उसका संरक्षण आवश्यक है।
डीएफओ श्रीमती प्रेमलता यादव ने आम नागरिकों से अपील की है कि किंग कोबरा वन्यप्राणी (संरक्षण) अधिनियम-1972 की अनुसूची-1 में शामिल प्रजाति है। इसे मारना या नुकसान पहुंचाना दंडनीय अपराध है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि सांप दिखने पर वन विभाग को तुरंत सूचना दें या टोल फ्री नंबर 8817534455 पर संपर्क करें।
विशेषज्ञों के अनुसार, किंग कोबरा दुनिया का सबसे लंबा विषधर सांप है, जिसकी लंबाई 20 फीट तक हो सकती है। यह अन्य सांपों को खाकर पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखता है। इसकी मादा विशेष रूप से पत्तों का घोंसला बनाकर अपने अंडों की तीन माह तक रक्षा करती है — जो इसके अनोखे मातृत्व व्यवहार का प्रतीक है।
नोवा नेचर वेलफेयर सोसायटी और वन विभाग के संयुक्त प्रयास से कोरबा में ऐसे रेस्क्यू अभियान लगातार चलाए जा रहे हैं। इनका उद्देश्य लोगों में यह संदेश फैलाना है कि इंसान और वन्यजीवों का सह-अस्तित्व ही प्रकृति संरक्षण की दिशा में सबसे महत्वपूर्ण कदम है।
 
				


