पायलट प्रोजेक्ट: ICMR की रिसर्च- सहरिया जनजाति में टीबी राेगी अधिक, श्योपुर में 5000 की जांच; 507 पाॅजिटिव

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श्याेपुर8 मिनट पहलेलेखक: अनिल शर्मा

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सहरिया जनजाति में टीबी होने का प्रमुख कारण पाेषण के अभाव में वजन और इम्युनिटी कम हाेना - Dainik Bhaskar

सहरिया जनजाति में टीबी होने का प्रमुख कारण पाेषण के अभाव में वजन और इम्युनिटी कम हाेना

मध्य प्रदेश के सात जिलों श्योपुर, शिवपुरी, अशोकनगर, गुना, ग्वालियर, भिंड और मुरैना में सहरिया जनजाति के लोग टीबी (तपेदिक) राेग से अधिक पीड़ित हो रहे हैं। यह खुलासा आईसीएमआर (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) की नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ रिसर्च इन ट्रायबल हेल्थ (एनआईआरटीएच) द्वारा सहरिया जनजाति बाहुल्य जिलाें में 10 साल तक की गई स्टडी में हुआ। इसके तहत एनआईआरटीएच को श्योपुर जिले में पांच हजार बीमारी संदिग्ध लोगों की स्कैनिंग की तो 507 लोग टीबी से पीड़ित मिले।

आईसीएमआर द्वारा टीबी रोग को खत्म करने के लिए श्योपुर जिले में इस साल की शुरुआत से ही पायलट प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है। इसके तहत डॉट्स सहित जरूरी दवाएं देकर मरीजों का इलाज किया जा रहा है। आईसीएमआर ने श्याेपुर जिले काे साल 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य तय किया है। पायलट प्राेजेक्ट के तहत जिले के तीन ब्लाॅक श्योपुर, कराहल और विजयपुर के लिए तीन टीम गठित की हैं। इनमें छह एक्स-रे टेक्नीशियन, तीन लैब टेक्नीशियन, तीन हेल्थ असिस्टेंट, तीन एसआरएफ और दो डॉक्टर शामिल हैं। यह टीम गांव-गांव जाकर मरीजों की स्क्रीनिंग कर रही हैं और दवाएं उपलब्ध करवा रही हैं। खास बात यह है कि आईसीएमआर की टीम टीबी के अलावा दूसरी बीमारियों की भी दवाइयां मरीजों को उपलब्ध करवा रही हैं।

सहरिया जनजाति में टीबी हाेने के ये हैं 3 मुख्य कारण

  • पर्याप्त पाेषण आहार नहीं मिलने से इम्युनिटी सिस्टम कमजाेर हाे जाता है, इसलिए टीबी का बैक्टीरिया जल्दी संक्रमित करता है।
  • ज्यादातर आदिवासी परिवार एक कमरे के घर में रहते हैं, जिनमें वेंटिलेशन भी नहीं हाेता। इसलिए एक से दूसरे में यह राेग जल्दी फैलता है।
  • सहरिया स्माेकिंग, एल्काेहल का सेवन भी बहुत करते हैं। यह भी कई बार टीबी रोग जल्द होने का कारण बनता है।

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