पानी की गुणवत्ता पर सवाल: नगरपालिका की जल सप्लाई में मटमैला पानी, शिकायतें मिलने पर अधिकारियों ने सैंपल लिए

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दमोहएक घंटा पहले

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बिलवारी मोहल्ला में इस तरह मटमैला पानी सप्लाई में निकल रहा है। - Dainik Bhaskar

बिलवारी मोहल्ला में इस तरह मटमैला पानी सप्लाई में निकल रहा है।

शहर के कई वार्डों में पिछले एक माह से मटमैला पानी घरों में पहुंच रहा है। जैसे ही लोग यह पानी बर्तनों में भरते हैं, बर्तन की सतह में मिट्टी की काली-काली परत सी दिखाई देने लगती है। मागंज वार्ड नंबर एक व दाे, सिविल वार्ड नंबर 9 और बिलवारी मोहल्ला इलाके में सबसे ज्यादा इस तरह की समस्या आ रही है। इसमें परेशान वे लोग हो रहे हैं, जो पूरी तरह से नगरपालिका की पाइप लाइन से होने वाली पानी की सप्लाई पर निर्भर हैं।

कई रहवासियों ने तो मटमैले पानी के सैंपल तक पात्रों में भरकर रखे हैं, ताकि चेक करने के लिए आने वाले अधिकारियों को यह नमूने दिखा सकें। इधर नलों में निरंतर मटमैला पानी आने से और उसका सेवन करने से लोगों में बीमारियां फैलने का डर बना हुआ है। शिकवा-शिकायतों के बीच नगरपालिका ने मंगलवार को पानी के सैंपल लेकर जांच कराने भेजे हैं।

राजनगर से पानी की सप्लाई चालू होते ही लोगों मिलेगा स्वच्छ पानी
इस संबंध में सीएमओ भैयालाल सिंह का कहना है कि बीच में बारिश होने से पानी की सप्लाई राजनगर से बंद करके जुझारघाट से चालू कर दी गई थी। जिससे कुछ मटमैला पानी आ रहा था, लेकिन अब व्यवस्था ठीक हो रही है। राजनगर से पानी की सप्लाई चालू होते ही लोगों को साफ पानी मिलना चालू हो जाएगा।

लोगों ने पानी के सैंपल घर में रखे, ताकि अधिकारियों को दिखा सकें
पानी की सप्लाई के लिए नगरपालिका के पास भले नया और पुराना फिल्टर प्लांट हैं, लेकिन इनसे सप्लाई होने वाला पानी मटमैला ही निकल रहा है। जबकि अब पानी की सप्लाई 27 करोड़ रुपए से तैयार हुई नल जल योजना से की जा रही है। मगर फिर भी पानी की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं है। नूरी नगर, गढ़ी मोहल्ला, बिलवारी मोहल्ला और उसके आसपास के 25 हजार से अधिक लोगों में घरों में जो पानी पहुंच रहा है। वह मटमैला है। लोगों को यह पानी पीने योग्य बनाने के लिए उसमें ब्लीचिंग पाउडर और फिटकरी हर दिन नगरपालिका डालती है, लेकिन पानी की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं होता है।

बिलवारी मुहल्ला निवासी हरीश, गोविंद और शारदा ने बताया कि कई बार तो जब पानी की सप्लाई चालू होती है तो उसमें आधा-आधा घंटे तक दूषित पानी आता है और फिर साफ हो जाता है। कई बार तो पानी में दुर्गंध आती है। उसमें अलग से ब्लीचिंग और फिटकारी डालनी पड़ती है। डॉ. दुआ के पीछे रहने वाले हर्ष मिश्रा का कहना है कि जब भी नल चालू होते हैं, उनमें मटमैला पानी निकलना चालू हो जाता है। कई बर्तनों में अब भी पानी भरा रखा है, अधिकारी चाहें तो आकर देख लें, लेकिन पानी की गुणवत्ता ठीक करने के लिए कुछ न कुछ अधिकारियों को करना चाहिए।

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