पर्यावरण संरक्षण के लिए साइकिल यात्रा: द्वारकाधीश से सिंगापुर जा रहा युवक शिवपुरी पहुंचा, बोला- प्रदूषण मानवता सबसे बड़ा दुश्मन

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शिवपुरी5 घंटे पहले

राजस्थान के झुंझुनू जिले के बुडानिया के रहने वाले 25 वर्षीय आशीष जैरी चौधरी ने पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने साइकिल यात्रा पर हैं। आशीष साइकिल पर सवार होकर सोमवार को शिवपुरी पहुंचे।

वह 8 हजार किलोमीटर की साइकिल यात्रा पर हैं। यह साइकिल यात्रा उसने अरब सागर के किनारे स्थित द्वारकाधीश से 16 अक्टूबर को शुरू की थी। इस यात्रा का समापन 26 जनवरी को सिंगापुर में पहुंचकर किया जाएगा। जैरी चौधरी ने बताया कि यह साइकिल यात्रा साइकिल चलाओ पर्यावरण बचाओ एवं प्लास्टिक फ्री इंडिया के तहत निकाली जा रही है। देश में सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल को खत्म करने के लिए भी निकाली जा रही है।

वह गुजरात, राजस्थान, मप्र, उप्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, नागालैंड, मणिपुर, राज्यों का साइकिल से भ्रमण करते हुए साइकिल से म्यांमार में प्रवेश करेंगे। म्यांमार के बाद वह थाईलैंड, मलेशिया होते हुए सिंगापुर पहुंचेंगे। जहां इस यात्रा का समापन किया जाएगा। उन्हाेंने कहा कि प्रदूषण मानवता के लिए दुश्मन है।

जैरी कर चुके हैं कई यात्राएं

शिवपुरी पहुंचे जैरी चौधरी ने बताया कि वह दो यात्रा पहले भी कर चुके हैं। पहली यात्रा दिल्ली से जैसलमेर के बीच वर्ष 2020-21 की थी। उसे 18 दिन में पूरा कर लिया था। दूसरी यात्रा कश्मीर से कन्याकुमारी के बीच की थी। इसमें चार हजार किमी की दूरी 36 दिन में पूरी की थी। अब वह इंडिया से सिंगापुर के बीच 8 हजार किलोमीटर की साइकिल यात्रा पर निकले हैं। यह यात्रा 3 महीने के भीतर पूरी कर लेंगे। अपनी साइकिल यात्रा के दौरान वह कई स्कूल कॉलेजों में जाते हैं, जहां पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए पेड़ पौधे लगाने के लिए अपील करते हैं। साइकिल चलाकर अपने छोटे कार्यों को पूरा करने के लिए आह्वान करते हैं। इससे पर्यावरण में प्रदूषण की बढ़ती मात्रा कम किया जा सके।

शिक्षक की सीख, आज तक याद है

जैरी चौधरी ने बताया राजस्थान के झुंझुनू जिले के बुडानिया गांव का रहने वाला है उसके दादा जी सावन राम चौधरी रिटायर्ड फौजी है। उसके पिता राजेंद्र सिंह चौधरी भी सेना में है। जो देश की सेवा में लगे हुए हैं। बचपन से ही उसे देश के लिए कुछ करने की ललक थी वह अपने स्कूल में पढ़ने जाता था इसी दौरान उसके शिक्षक जय सिंह चौधरी ने उसे एक पौधा धमा दिया था। पर्यावरण बचाने को लेकर भावना जागी थी। तभी से लेकर अब तक व पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य करते आ रखे हैं।

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