नेशनल पिस्टल शूटिंग चैम्पियशिप में पहला गोल्ड आज: भोपाल में कल से स्वर्ण के लिए ओलंपियन निशाना साधेंगे

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भोपालएक घंटा पहले

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित नेशनल पिस्टल शूटिंग चैंपियनिशप का पहला गोल्ड मंगलवार को आएगा। सोमवार से शुरू हुई प्रतियोगिता के दूसरे दिन 25 मीटर स्पोर्ट्स पिस्टल जूनियर मेंस में दो गोल्ड आएंगे। इसके लिए देश भर के 280 खिलाड़ी अपनी किस्मत अजमा रहे हैं। इसके साथ ही 10 मीटर एयर पिस्टल मेंस के मुकाबले जारी रहेंगे। इसमें हर रोज 350 से 375 खिलाड़ी निशाने साध रहे हैं। प्रतियोगिता में बुधवार से ओलंपियन के प्रतियोगिता में शामिल होने की संभावना है। इसमें मुख्य रूप से अर्जुन अवॉर्डी जीतू राय, टोक्यो ओलिंपिक में भागीदारी करने वाले सौरभ चौधरी, मनु भाकर, अभिषेक वर्मा समेत अन्य बड़े नाम निशाने साधते नजर आएंगे।

22 दिन तक चलने वाले इस टूर्नामेंट में देशभर के साढ़े 5 हजार टॉप शूटर्स निशाना साध रहे हैं। यह टूर्नामेंट मप्र राज्य शूटिंग अकादमी की गोरा गांव स्थित वर्ल्ड क्लास शूटिंग रेंज में आयोजित किया जा रहा है। 12 दिसंबर तक तक सभी कैटीगरी में मुकाबले खेले जाएंगी। 10 मीटर एयर पिस्टल मेंस के इवेंट में 1 दिसंबर तक चलेंगे, जबकि 25 मीटर स्पोर्ट्स पिस्टल का फाइनल मंगलवार को संपन्न होंगे। इन दोनों इवेंट में कुल 21 मेडल दांव पर होंगे, जिसमें 7 गोल्ड, इतने ही सिल्वर और इतने ही ब्रॉन्ज शामिल है।

25 मीटर में 280 शूटर किस्मत अजमा रहे

पहले दौर के 25 मीटर स्पोर्ट्स पिस्टल में पार्ट वन सोमवार को हुआ। इसमें 280 खिलाड़ियों ने 30-30 राउंड के निशाने साधे। सभी खिलाड़ी मंगलवार को अपने शेष 30-30 निशाने साधेंगे। कुल 600 नंबर में से खिलाड़ियों को अधिकतम नंबरों पर निशाना सांधना होगा। मंगलवार को इस कैटेगरी में 2 गोल्ड दिए जाएंगे। यानी कुल 6 मैडल का फैसला होगा। इसमें दो कैटेगरी में मैच होते हैं।

इन दो कैटेगरी में मेडल मिलेंगे

ओपन – इसमें सभी तरह के खिलाड़ी निशाना साधते हैं। इसमें ऑर्मी और पुलिस के खिलाड़ी भी शामिल होते हैं। इसमें मंगलवार को स्वर्णिम निशाना लगाने वाले को गोल्ड दिया जाएगा।

सिविलियन – इसमें सेना और पुलिस के खिलाड़ी शामिल नहीं होते हैं। सामान्य खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं। सबसे सटीक निशाना लगाकर सबसे ज्यादा अंक लेने वाला खिलाड़ी गोल्ड हासिल करेगा।

10 मीटर एयर में 1 दिसंबर तक मुकाबले

10 मीटर एयर पिस्टल मेंस के इवेंट के मुकाबले 1 दिसंबर तक चलेगा। इसमें सबसे ज्यादा संख्या में खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं। हर दिन साढ़े 3 सौ से लेकर पौने 4 सौ खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं। इस कारण इसमें 1 दिसंबर तक राउंड चलते रहेंगे। दो राउंड में हर एक खिलाड़ी को 60-60 निशाने साधने होंगे। कुल 600 पाइंट रहेंगे। 10 मीटर एयर पिस्टल में जूनियर, यूथ और सीनियर के मुकाबले हो रहे हैं।

ओलंपियन के नाम पर शूटिंग रेंज

मध्यप्रदेश शूटिंग अकादमी में 10 मीटर शूटिंग रेंज ओलंपियन अभिनव बिंद्रा का नाम दिया गया है। बिंद्रा ने साल 2008 में 10 मीटर रायफल में बीजिंग में गोल्ड जीता था। शूटिंग के लिए गोल्ड जीतने वाले वे एकलौते खिलाड़ी हैं। इसी तरह 25 मीटर शूटिंग रेंज को ओलंपियन विजय कुमार दिया गया है। विजय ने साल साल 2012 में लंदन ओलिंपिग में 25 मीटर रैपिड फायर में सिल्वर जीता था।

शूटिंग सबसे महंगा खेल

10 मीटर इवेंट की ट्रेनिंग के लिए शूटरों को हर महीने 10 हजार रुपए, जबकि 25 मीटर इवेंट के लिए 40 हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं। 10 मीटर एयर पिस्टल की गोली का डिब्बा 500 रुपए का मिलता है। एक शूटर महीने में 7 डिब्बे तक खर्च कर देता है। वहीं, टारगेट पर भी 1000 रुपए तक खर्च हो जाते हैं। खुद की पिस्टल और राइफल नहीं होने पर किराए और कोचिंग पर 5 से 6 हजार अलग से खर्च करना पड़ता है।

25 और 50 मीटर इवेंट की ट्रेनिंग भी काफी महंगी होती है। इस इवेंट की ट्रेनिंग में इस्तेमाल होने वाली एक गोली 10 रुपए में मिलती है। एक शूटर कम से कम एक दिन में 100 गोली फायर कर देते हैं। इस लिहाज से केवल गोली पर हर महीने 30 हजार का खर्च होता है। टारगेट पर 5 हजार के अलावा कोचिंग और पिस्टल (राइफल) के किराए पर कम से कम 5 हजार और खर्च करना पड़ता है। इस तरह खिलाड़ियों को 25 और 50 मीटर इवेंट की ट्रेनिंग के लिए हर महीने करीब 40 हजार रुपए तक खर्च करना होता है।

पहला निशाना साधने के लिए 3 से 5 लाख का खर्च

अगर कोई शूटिंग की ट्रेनिंग शुरू करता है और अपना पिस्टल खरीदता है, तो उसे 1.5 से 2 लाख रुपए तक खर्च करने पड़ते हैं। इसी तरह राइफल पर 3 से 4 लाख का खर्च आता है। इनके अलावा जूते पर 20 से 25 हजार और चश्मे पर 25 से 30 हजार रुपए खर्च करना पड़ता है।

रैपिड फायर में महीने में 1 लाख की सिर्फ गोलियां खर्च

शूटर आदर्श सिंह ने भास्कर को बताया कि उन्होंने शूटिंग की एबीसीडी स्कूल के शूटिंग रेंज से सीखी। अभी ट्रेनिंग पर हर महीने 2 लाख रुपए से ज्यादा खर्च करना पड़ता है। हालांकि, अब उन्हें स्पॉन्सर मिल गए हैं। रैपिड फायर की ट्रेनिंग पर सबसे ज्यादा खर्च आता है, क्योंकि इसमें गोलियां ज्यादा लगती हैं। गोलियों पर ही केवल एक लाख से ज्यादा खर्च हो जाता है।

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