निरस्त पंजीयन पर बेचा 55 लाख का उर्वरक: जांच टीम को नहीं मिला लेखा जोखा, ECH एक्ट में हुई व्यापारी पर FIR

[ad_1]
राजगढ़ (भोपाल)3 घंटे पहले
- कॉपी लिंक

राजगढ़ के खिलचीपुर में डीबीटी योजना में पंजीकृत उर्वरक के थोक विक्रेता व्यापारी ने पंजीयन निरस्त होने के बावजूद 55 लाख से अधिक का उर्वरक बेच दिया। बेचे गए उर्वरक का लेखा जोखा तक व्यापारी के पास जांच टीम को नहीं मिला। प्राथमिक जांच के बाद जीएसटी चोरी सहित किसानों के लिए आए उर्वरक की कालाबाजारी का मामला सामने आने के बाद कृषि विकास अधिकारियों की शिकायत पर खिलचीपुर थाना पुलिस ने व्यापारी के खिलाफ ECH एक्ट में मामला दर्ज किया है।
थानाप्रभारी रविन्द्र चावरिया ने बताया कि आवेदक एमएल बिजावर अनुविभागीय कृषि अधिकारी खिलचीपुर और एसएम मिजवानी प्रभारी वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी खिलचीपुर शिकायत पर धारा 420 भादवि 7.8,35 उर्वरक गुण नियंत्रण आदेश 1985 और ईसीएच 3/7 का पाया जाने पर आरोपी व्यापारी हरीश खंडेलवाल निवासी खिलचीपुर के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया है।
स्टॉक मेंटेन के साथ विक्रय रजिस्टर भी नही मिला
कृषि अधिकारी के अनुसार व्यापारी हरीश खंडेलवाल पिता ओमप्रकाश खंडेलवाल के थोक उर्वरक विक्रय केंद्र श्रीजी फर्टिलाईजर खिलचीपुर की जांच और अभिलेखों के निरीक्षण के दौरान क्रय-विक्रय किए जा रहे उर्वरक का लेखा-जोखा हेतु स्टॉक/वितरण पंजी लिखी जानी चाहिए जो नही पाई गई। फर्म ने कितना उर्वरक कहां से कितनी मात्रा में क्रय किया और किसको कितनी मात्रा में विक्रय किया गया इसका कोई प्रमाण मोके पर नही मिला।
अधिकारी ने बताया कि भंडारण स्थल के भौतिक सत्यापन एवं पोर्टल से प्राप्त रिपोर्ट में भी स्टॉक में बड़ा अंतर पाया गया , व्यापारी हरीश खंडेलवाल ने उर्वरक वितरण प्रणाली को भी प्रभावित किया है। जांच में पाया गया कि जिन कंपनियों के उर्वरकों का थोक विक्रय / भंडारण किया जा रहा है उनकी स्वीकृति जो फार्म पर जिला कार्यालय से प्राप्त नहीं किए है। विभाग से अपने उर्वरक पंजीयन में किसान कृषि केंद्र ब्यावरा का औ फार्म स्वीकृत नहीं कराया गया।
साथ ही उवर्रक विक्रय फर्म हेतु वाणिज्य कर विभाग जी.एस.टी. प्रमाण पत्र जारी किया गया लेकिन थोक विक्रय काउन्टर पर ही संजीव धाकड होकमचंद का रिटेल काउन्टर संचालित पाया गया। एवं ख़बड़ेलवाल के थोक काउंटर पर भी रिटेल में विक्रय पाए जाने पर एवं दोनो फर्म पर प्रोपाइटर के नाम का बोर्ड एवं स्टॉक की मात्रा दर्ज नहीं पाए जाने से भ्रम की स्थिति निर्मित की जा रही प्रतीत होने से भादसं की धारा 420 के अंतर्गत होकर उर्वरक (नियंत्रण) आदेश 1965 की धारा-7 TC-4 of Form B का स्पष्ट उल्लंघन है।
कर्मचारी के नाम पर बेच रहे थे रिटेल में उर्वरक
जांच दल ने पाया कि मेसर्स हरीश खंडेलवाल द्वारा अपनी थोक उर्वरक फर्म से निरस्त हो चुकी फुटकर उर्वरक विक्रय फर्म को POS मशीन से फर्जी तरीके से उर्वरक प्रदाय किया गया है। लगातार 6 महीने तक मनमाने रूप से उर्वरक को ट्रांसफर किया गया है। फर्जी तरीके से स्वार्थसिद्धि के लिये अपनी फर्म में कार्यरत (11-12 वर्षों से कार्यरत कर्मचारी सजीव धाकड/ होकमचंद धाकड़ को मोहरा बनाकर उसके नाम पर उर्वरक पंजीयन प्राप्त किया जिसमे हरीश खंडेलवाल के पेन कार्ड कमांक-ASYPK5684J और मोबाईल न. 9981832833 से इसकी पुष्टि होना कथन में खंडेलवाल द्वारा स्वीकार भी किया गया है।
Source link