Chhattisgarh

नागलोक में रेंगती मौत का तांडव,साइलेंट किलर कहे जन्स वाले कॉमन करैत के काटने से अलग अलग स्थानों में हुई 2 की मौत

कोतबा:- नागलोक के नाम से मशहूर छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में इन दिनो चलती-फिरती रेंगती मौत का तांडव देखने मिल रहा है,कॉमन करैत के डसने से कोतबा में एक शिक्षक व ग्राम बुलडेगा में एक महिला की दर्दनाक मौत हो गई। कॉमन करैत सांप को साइलेंट किलर कहा जाता है। इसके दसने पर कोई दर्द नही होता न डसने की आवाज-ना काटने का निशान, 90 मिनट में खत्म हो जाता खेल 2 दोनों में कोतबा चौकी क्षेत्र में 2 अलग घटनाओं में करैत सांप ने दो की जिंदगी छीन ली है हाईस्कूल में हुई घटना से छात्रों व शिक्षकों व पलकों में भय व्याप्त है।

केस नंबर 1
कोतबा नगर के हाईस्कूल शिक्षक कालोनी में रहने वाले शिक्षक को पवन उर्फ अनुपम खलखो पिता सिमोन खलखो उम्र 38 अपनी पत्नी संगीता खलखो लिपिक शासकीय कन्या शाला कोतबा के साथ रहता था काज सुबह 7 बजे अपने बाथरूम में नहाने गया था जहाँ गेट खोलते ही अचानक कॉमन करैत ने काट लिया जिसे देखते पहचान भी गया और अपनी पत्नी संगीता में साथ कोतबा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र लाया गया जहाँ एंटीस्नैकवैनम सहित अन्य दवाओं के साथ प्राथमिक उपचार कर हालात असामान्य प्रतीत होने पर हायर ट्रीटमेंट के लिए पत्थलगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र रेफर किया गया था। जहाँ ईलाज के दौरान मौत हो गई जिस संबंध में डॉक्टर अजीत कुमार बन्दे ने बताया कि प्राथमिक उपचार देने के बाद उन्हें वेंटिलेटर के साथ उच्च स्तरीय ईलाज की आवश्यकता थी उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी लिहाजा हमने 108 एम्बुलेंस में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र रेफर किया था।

केस नंबर 2
ग्राम पंचायत बुलडेगा के डोमपारा में बीते शनिवार की रात 12 बजे घर पर जमीन में सो रही महिला पूनम डोम उम्र 45 पति गोवर्शन डोम को बदन में ठंडा चीज पैर में रेंगने महसूस हुवा उठ कर देखे तो हड़बड़ाने में कॉमन करैत ने दंस किया जिसे तत्काल ग्रामीणों की सहायता से लालूँगा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ले जाया गया जहाँ भी इलाज के बाद स्वास्थ स्तर गिरता गया जहाँ से रायगढ़ मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया गया मरीज को लेजाने के दौरान रास्ते मे झगरपुर के समीप एम्बुलेंस में ही मौत हो गई। जिसे वापस लैलूंगा ला कर शव का पोस्टमार्टम कर पंचनामा बना कर लैलूंगा पुलिस ने परिजनों को शव सुपुर्द कर दिया जिसे आज बुलडेगा ग्राम ला कर दाह संस्कार किया गया।

  1. हाईस्कूल की पुराने जर्जर मकानों व मैदानों में रेंग रही मौत

कोतबा नगर के सबसे पुराने स्कूलों में कोतबा हाई स्कूल आता है जहाँ शिक्षक कालोनी,स्कूल भवन,सहित अन्य भवन भी पुराने व जर्जर हो चुके है। वही आस पास मैदान व बाउन्ड्री में घास फूस झाड़ियों की सफाई कभी नही होती जो जहरीले सांप के लिए अनुकूल वातावरण बन जाता है। यहाँ रोजाना हजारो छात्र छात्राएं अध्ययन के लिए जाते है इधर उधर रिसेश सहित खेल कूद के लिए घूमते है। जिन्हें रेंगती मौत का अनुमान भी नही है।सावधानी न रखी जाए तो स्कूल परिसर बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं है। शिक्षक के साथ हुई घटना से पालकों व शिक्षकों को चिंता में डाल दिया है।

0.कॉमन करैत सांप को ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है.
डसने पर कोई दर्द नहीं होता, 90 मिनट में हो जाती है मौत

इन दिनों बारिश की शुरुआत के साथ ही जशपुर जिले के नागलोक में कॉमन करैत का डर लोगों को सताने लगा है. यह सांप कोबरा से भी ज्यादा खतरनाक होता है. न डसने की आवाज करता है, न कोई दर्द देता है, न ही शरीर पर काटने का निशान छोड़ता है. इसकी एक हल्की सी छुअन भी इंसान की जान ले सकती है. यही वजह है कि इस सांप को ‘साइलेंट किलर’ भी कहा जाता है. आमतौर पर यह सांप खेतों, बस्तियों और घरों में देखा जाता है.

  1. करैत के जहर का असर
    करैत सांप का जहर अत्यंत घातक होता है। यह तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है और प्रारंभ में लक्षण हल्के लगते हैं, लेकिन कुछ घंटों में श्वसन प्रणाली और मांसपेशियां काम करना बंद कर सकती हैं। ऐसे में समय पर इलाज ही एकमात्र जीवन रक्षक उपाय होता है।
  2. कॉमन करैत के काटने के लक्षण
    कई केसों में तो लोग सुबह उठते ही सुन्न अंगों की शिकायत करते हैं, बोलने में दिक्कत होती है, सांस रुकने लगती है और शरीर धीरे-धीरे काम करना बंद कर देता है. अगर वक्त पर इलाज न मिले तो मौत हो जाती है. महादेव पटेल कहते हैं कि कॉमन करैत के डसने के बाद सिर्फ 90 मिनट का समय होता है जिसमें इलाज जरूरी है. इस दौरान दौड़ना या ज्यादा चलना जहर को और तेजी से शरीर में फैलाता है.
  3. बचाव के लिए क्या करना चाहिए
    एक्सपर्ट की मानें तो ये सांप बारिश में घरों के अंदर घुस आते हैं. कपड़ों, रजाई, गद्दों और अंधेरे कोनों में भी छिप जाते हैं. इसलिए किसी भी कपड़े या बिस्तर को इस्तेमाल करने से पहले ध्यान से देख लेना चाहिए. बरसात में जमीन पर नहीं सोएं, मच्छरदानी जरूर लगाएं और रात में बिना लाइट के बाहर न निकलें. क्योंकि यह सांप डसने के बाद भाग जाता है और कोई सबूत तक नहीं छोड़ता है. इसलिए कई बार तो परिवार को पता भी नहीं चलता कि मौत का कारण सांप का डंक था.

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