नहाय खाय के तहत महिलाओं ने दिया अर्घ्य: निर्जला व्रत के बाद निभाए सभी रीति-रिवाज, डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर की पूजा-अर्चना

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नीमच4 घंटे पहले

नहाय खाय आस्था के महापर्व छठ पूजा का पहला पड़ाव पूरा हो चुका है। इसी के चलते जिले की महिलाओं ने छठ पूजा धूमधाम से मनाई और दिनभर निर्जला रहकर शाम को पूजा अर्चना कर डूबते सूरज को अर्घ्य दिया। वहीं 31 अक्टूबर सोमवार सुबह उगते सूरज को अर्घ्य देकर छठ माता की पूजा अर्चना कर कथा सुनने के बाद व्रत खोला जाएगा।

शहर के भूतेश्वर महादेव मंदिर, सीआरपीएफ स्थित नाग बावड़ी, ग्वालटोली सहित अन्य क्षेत्रों में महिलाओं ने श्रद्धा भाव के साथ पूजा अर्चना की। सूर्यदेव की उपासना का पर्व छठ पूजा के दिन शाम होते ही महिलाएं तालाब और मंदिर के नजदीक पहुंची। जहां पूजा अर्चना कर शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया गया।

भैया सेवा समिति ने किया आयोजन

इस अवसर पर काफी संख्या में एकत्रित महिलाओं ने पूजा अर्चना की। छठ पूजा का त्योहार खासकर यूपी-बिहार के लोग मानते हैं। शहर में ग्वालटोली तालाब पर भैया सेवा समिति हर साल इस साल की तरह इस पूजा का तैयारियां की। इसी प्रकार नारकोटिक्स विभाग, राजस्व कॉलोनी, सीआरपीएफ और अन्य क्षेत्रों के लोगों ने विशेष रूप से छट पर्व मनाया। जिसके तहत महिलाओं ने पहले दिन व्रत रखा एवं शाम को केवल लोकी चावल खाकर व्रत खोला। अगले दिन व्रत करने के बाद शाम को पूजा अर्चना कर गुड़ की खीर से व्रत खोला जाता है।

छठ पर्व मनाती महिलाएं

छठ पर्व मनाती महिलाएं

छठ पूजा को सूर्य षष्ठी भी कहा जाता है
हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का दिन नहाय-खाय का होता है। छठ पूजा में षष्ठी मैया और सूर्यदेव की पूजा होती है, इसलिए इसे ‘सूर्य षष्ठी’ के नाम से भी जाना जाना जाता है। कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि को पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते सूर्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ दिया जाता है। इसके बाद व्रत का पारण यानि समापन किया जाता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छठ पर्व में सूर्योपासना करने से छठ माता प्रसन्न होती हैं और घर परिवार में सुख शांति व धन-धान्य से पूर्ण करती है। इस व्रत को करने के लिए कई महिलाएं विभिन्न कामनाएं भी करती है। यह सबसे कठीन व्रत है। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व को ही छठ पूजा कहते हैं। मुख्य रूप से छठ पूजा सूर्य देव की उपासना कर उनकी कृपा पाने के लिए की जाती है। मान्यता है कि छठ माई संतान प्रदान करती हैं। इसलिए भी कई महिलाएं इस व्रत को विशेष रूप से करती हैं।

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