भूख हड़ताल की दी चेतावनी: नहाल व निहाल के फेर में कर रहे आरक्षण से वंचित

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खरगोन19 मिनट पहले

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प्रदेश में निहाल समाज को नहाल समाज मानकर जारी हो रहे पिछड़ा वर्ग के प्रमाण-पत्रों से समाज में नाराजगी बढ़ती जा रही है। समाजजनों का कहना है कि वे नहाल नहीं बल्कि निहाल समाज के होकर जनजाति समाज से आते हैं, बावजूद इसके प्रदेश में उन्हें अजजा का लाभ नहीं मिल रहा। शासन से लंबे समय से मांग करने के बाद भी उचित मांग पर ध्यान नहीं देने से अब समाज को आंदोलन की राह अख्तियार करना पड़ रही है।

गुरुवार से समाजजनों ने समाज को अजजा की सूची क्रमांक 27 में जोड़ने की मांग को लेकर तांगा स्टैंड के समीप टेंट लगाकर धरना दिया। समाज के जयराम निहाले, कालू, सुनील, सियाराम आदि ने बताया कि निमाड़ी बोली में समाज को नहाल कहा जाता है जबकि वे निहाल समाज से ताल्लूक रखते हैं। यही कारण है कि प्रदेश में उन्हें अजजा का प्रमाण-पत्र नहीं मिल रहा, जबकि भारतीय संविधान में 1950 के तहत संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा नहाल को निहाल जाति के नाम से 18 सितंबर 1976 अनुसूचित जनजाति की सूची क्रमांक 27 पर दर्ज है, जबकि मप्र में वर्ष 1980 से हमें मौखिक रूप से पिछड़ा वर्ग का माना जाने लगा। 1984 में गलत तरीके से सरकार ने पिछड़ा वर्ग में शामिल कर लिया।

मप्र राज्य पिछड़ा वर्ग की सूची क्रमांक 56 पर मानकर जाति के साथ नहाल जाति को भी जोड़ लिया। इससे हमारा जाति प्रमाण-पत्र नहाल समाज का दिया जाता है। समाजजनों ने आगामी दिनों में भूख-हड़ताल की चेतावनी दी है।

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