नर्मदापुरम ! तेजश्वनी अस्पताल पर FIR: बिना पंजीयन संचालित हो रहा था अस्पताल, स्वास्थ्य विभाग रहा बेखबर, संचालक , डाक्टर समेत 4 आरोपी

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नर्मदापुरम7 मिनट पहले

बिना पंजीयन के तेजश्वनी अस्पताल मरीजों का इलाज हुआ।

नर्मदापुरम के शोभापुर में बिना पंजीयन के निजी अस्पताल संचालित करने का मामला सामने आया है। मामला उजागर होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने एकाएक जांच की और तेजश्वनी अस्पताल के संचालक नीरज गुप्ता, डॉक्टर समेत 4 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया। मंगलवार रात को अस्पताल के खिलाफ धारा 420 के तहत उपचार्यग्रह, अजोपचार संबंधी स्थापना अधिनियम 1973 धारा 24 म.प्र. राज्य आयुर्विज्ञान परिषद एक्ट के तहत मामला दर्ज हुआ।

अस्पताल के संचालक, डाक्टर और स्टॉफ पर आरोप है कि अस्पताल बिना पंजीयन संचालित कर रहे थे। पंजीयन न होने के बावजूद केंद्र सरकार की जन हितेषी योजना आयुष्मान भारत योजना का लाभ दिलाया गया। साथ ही विशेषज्ञ डाक्टर न होने के बावजूद लोगों को लुभाने के लिए विशेषज्ञ डाक्टरों की सूची लगाकर रखी थी। पिछले शिकायत के दौरान स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल सील किया था। जांच के बाद मंगलवार रात को सोहागपुर BMO डॉ. रेखा गौर ने अस्पताल संचालक के खिलाफ केस दर्ज कराया।

अस्पताल के संचालक समेत 4 आरोपी

तेजस्विनी हॉस्पिटल के संचालक नीरज गुप्ता, प्रवीण कनोजे ,आरती गुप्ता, डॉक्टर नीरज सेठी एवं रोशन। खिलाफ धारा 420 के तहत उपचार्यग्रह, अजोपचार संबंधी स्थापना अधिनियम 1973 धारा 24 म.प्र. राज्य आयुर्विज्ञान परिषद एक्ट के तहत मामला दर्ज हुआ।

ये कमियां मिली

  • – पंजीयन समाप्त होने के बावजूद अस्पताल का संचालन।
  • -अस्पताल में MBBS डाक्टर का नहीं होना पाया गया।
  • – अस्पताल पंजीयन न होने के बावजूद आयुष्मान भारत योजना का लाभ प्रदर्शित करना।
  • -मरीजों को भर्ती कर इलाज करना।
  • -विशेषज्ञ डाक्टरों की अस्पताल में सूची लगाया, जबकि विशेषज्ञ डाक्टर उपस्थित ही नहीं।
  • – पैथोलॉजी और मेडिकल स्टोर संचालन के दस्तावेज प्रस्तुत न करना।
  • – बायोमेडिकल वेस्ट के प्रोटोकॉल का पालन न करना।

स्वास्थ्य विभाग की कार्य प्रणाली पर उठे सवाल ?

यहां मामला उजागर होने के बाद अब जिले के स्वास्थ्य विभाग के कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। जिले में ऐसे कितने निजी अस्पताल और क्लिनिक संचालित होंगे। जो बिना पंजीयन और विशेषज्ञ डॉक्टर की कमी के चल रहे। जिलेभर में संचालित निजी अस्पतालों के प्रति स्वास्थ्य विभाग कितना गंभीर है। इसका उदाहरण आप शोभापुर में संचालित तेजश्वनी अस्पताल से लगा सकते है। जहां पंजीयन खत्म होने के बावजूद 5 माह तक अस्पताल संचालित होते रहा।

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