नगर सरकार के 100 दिन: किसी भी वार्ड में नए निर्माण शुरू नहीं टाटा के कामों पर नहीं हो पाई कसावट

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उज्जैन39 मिनट पहले

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सीवेज लाइन के लिए सड़क के बीच गड्ढे खोदे गए। उन्हें भरा भी गया, लेकिन उबड़-खाबड़ तरीके से। - Dainik Bhaskar

सीवेज लाइन के लिए सड़क के बीच गड्ढे खोदे गए। उन्हें भरा भी गया, लेकिन उबड़-खाबड़ तरीके से।

नई सरकार से कई उम्मीदें। 100 दिन में कितनी खरी उतर पाई। बड़ा सवाल है… जिसका जवाब तलाशने की कोशिश भास्कर ने पार्षदों के साथ शहर की जनता से की तो नतीजा 15 फीसदी के आसपास ही रहा। कारण कई हैं, बजट की कमी, सड़कों के मरम्मत का अभाव और टाटा के ढुलमुल रवैये से शहरवासियों को परेशानी। जनता पार्षदों से सवाल करने लगी हैं लेकिन उनके पास जवाब नहीं है।

100 दिन में ही पार्षद मुखर होकर बोलने लगे हैं कि जनता ने हमें वोट दिया है, उन्हीं से मुंह छिपाना पड़ रहा है, क्योंकि वार्डों में कोई काम शुरू नहीं करा पाए। पुरानी समस्याओं के समाधान के दावे पर हम चुनाव जीतकर आए, उन्हें भी पूरा नहीं कर पा रहे हैं। वार्डों में बेसिक साफ-सफाई को छोड़ दिया जाए तो बड़े नालों की सफाई नहीं हो पाई।

सड़कें उखड़ी पड़ी हैं तो ऐसा कोई प्रोजेक्ट भी नई सरकार के खाते में नहीं है, जिसे दिखाकर यह दावा किया जा सके कि हमने जीतने के बाद यह कर दिखाया। इसकी तस्वीर महापौर के वार्ड में देखने को मिली। वार्ड में सफाई नहीं होने पर एक युवक ने सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल किया, तब महापौर अमले के साथ निरीक्षण को पहुंचे। यहां विवाद की स्थिति तक बन गई।

यहां ध्यान देना होगा : अफसरों से पार्षदों की तकरार के ये 3 कारण
खजाना खाली : नई सरकार आई तो अतिरिक्त बजट का प्रावधान नहीं रखा। निगम का खजाना खाली हो गया। प्रति माह 16 करोड़ रुपए शासन से मिलते है। इनमें से 10 करोड़ वेतन पर तो 4 करोड़ अन्य कामों पर खर्च होते हैं। दो करोड़ बचते हैं, जिनसे पुराना कर्जा चुका जा रहा है। यह करीब 120 करोड़ रुपए का है। कारण, पिछली परिषद में बजट नहीं होने के बाद भी कई कामों को स्वीकृति दे दी गई।
नए प्रोजेक्ट नहीं- नई सरकार को 3 माह से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन शहर के लिए कोई बड़े प्रोजेक्ट पर ध्यान नहीं दिया गया। शहर की सड़कों को कैसे सुधारा जाए, ट्रैफिक की समस्या से कैसे निजात दिलाई जाए।
पार्षद को मद नहीं- पिछली परिषद में पार्षद के लिए 35 लाख का मद एक साल के लिए स्वीकृत किया था, लेकिन इस परिषद में कोई मद नहीं। पार्षदों से कहा गया कि वार्ड में क्या काम करने हैं। इसका प्रस्ताव बनाकर जोन कार्यालय में जमा कर दें। पार्षदों ने वैसा भी किया लेकिन काम शुरू नहीं हाे पाए।

सड़कें खराब होने का कारण टाटा के काम
शहर की 540 किमी की छोटी-बड़ी सड़कों से नई सरकार के काम का अंदाजा लगाया जा सकता है। सीवेज लाइन के लिए सड़क के बीच गड्ढे खोदे गए। उन्हें भरा भी गया, लेकिन उबड़-खाबड़ तरीके से। यही स्थिति सड़कों के बीच बनाए चैंबर की भी है, जो एक-एक इंच ऊपर तक हैं। यह स्थिति शहर की हर सड़क की है। कॉलोनियों और गलियों में तो हालात और बुरे हैं। पार्षद प्रकाश शर्मा ने बताया इन्हें सुधारने की जिम्मेदारी टाटा नहीं ले रही। निगम को सड़क बनवाना है लेकिन उसके लिए बजट चाहिए, वह है नहीं। नाली पर जाली लगाने तक के पैसे नहीं है।

अफसर जवाब दें, बजट की कमी क्यों
तीन वर्षों से कोई निर्माण नहीं हुए। फिर बजट का रोना क्यों रोया जा रहा है। अफसरों को सार्वजनिक रूप से जवाब देना चाहिए। कांग्रेस के वार्डों को छोड़िये, भाजपा पार्षदों के वार्डों में ही काम नहीं हो रहे। महापौर और भाजपा 100 दिन के कामों का जश्न मना रही है। यह शर्मनाक है। -रवि राय, नेता प्रतिपक्ष

मैं अपने वार्ड में बड़े काम नहीं कर पा रहा
पानी, सफाई और प्रकाश व्यवस्था पर काम हो पाया। बड़े काम नहीं कर पाया हूं। इससे दु:खी हूं। टाटा के कामों के आगे अफसर पंगु बने हुए हैं। नोटिस-नोटिस खेल रहे हैं। जनता की समस्या से उन्हें कोई सरोकार नहीं। जनता ने हमें चुना है, काम नहीं हो पाने से तकलीफ होती है। -शिवेंद्र तिवारी, एमआईसी सदस्य

काम पूछे तो महापौर मुकेश टटवाल बोले- लोगों से जुड़ने का काम किया

100 दिन में क्या उपलब्धि है?
जवाब-
लोगों की भावनाओं से जुड़ने के काम ज्यादा किए। महापौर पंचायत में छोटे रोजगार करने वालों को ऋण बांटा। महाकाल प्रसादी को आश्रय स्थल तक पहुंचाया।

पार्षदों के पास बजट नहीं हैं, कैसे काम होंगे?
जवाब-
हमने समाधान ढूंढा है। प्रति पार्षद 15-15 लाख रुपए का प्रस्ताव बनाया है। दो से तीन दिन में काम शुरू होंगे।

नए प्रोजेक्ट पर अब तक क्या काम हुआ?
जवाब-
पुराने शहर की सड़कों के चौड़ीकरण के टेंडर हो गए हैं। धार्मिक स्थलों पर पार्किंग और एक हजार कमरों की धर्मशाला बनाने की योजना है।

टाटा को लेकर समस्या है। सड़कें खराब हैं?
जवाब-
कामों में सुधार नहीं हुआ तो कंपनी को एमआईसी में ब्लैक लिस्टेड किया जाएगा। उन्हें मनमानी नहीं करने दी जाएगी।

चुनाव में प्राथमिकता के काम नहीं हो पाए?
जवाब-
ऐसा नहीं है, 17 वार्डों में बर्तन बैंक शुरू हुए। 5 में जनसुविधा केंद्र शुरू किए। संजीवनी अस्पताल बना रहे हैं। सभी काम समयबद्ध समय में हो, इसके लिए अफसरों की टीम बनाई है।

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