नगर निगम परिषद का सम्मेलन: एजेंडे पर बात नहीं, सीवर-स्ट्रीट लाइट की समस्या पर बिफरे पार्षदाें ने किया हंगामा, विपक्ष ने सभापति की आसंदी घेरी

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- There Was No Talk On The Agenda, The Councilors Created A Ruckus Over The Problem Of Sewer street Light, The Opposition Surrounded The Chairman’s Seat
ग्वालियरएक घंटा पहले
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सम्मेलन में हंगामा करते पार्षद सभापति की आसंदी घेरे हुए। दूसरे चित्र में बिजली गुल होने से अंधेरे में बैठे पार्षद एवं अफसर। अंतिम चित्र में भोजन करते पार्षदगण।
- 4 घंटे चले सम्मेलन में हंगामे के बीच बिजली गुल होने से भी आया अवरोध
जलविहार स्थित नगर निगम परिषद सभागार में गुरुवार को 4 घंटे चला परिषद का दूसरा सम्मेलन हंगामाखेज रहा। इसमें लाए गए सात बिंदुओं वाले एजेंडे पर चर्चा ही नहीं हो सकी। सत्ता और विपक्ष के पार्षदों ने रणनीति के तहत 35 स्थगन प्रस्ताव लगा दिए और सभी एजेंडे से पहले इन प्रस्तावाें पर चर्चा कराने पर अड़ गए।
विपक्ष के पार्षदाें ने हंगामा करते हुए सभापति मनोज तोमर की आसंदी काे घेर लिया। आखिर में सभापति ने सत्ता और विपक्ष की सहमति से स्थगन पर चर्चा कराना शुरू की। सीवर समस्या के स्थगन पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने बार-बार सत्ता पक्ष पर आरोप लगाए।
अंत में महापौर डाॅ.शोभा सिकरवार ने पार्षदों की पीड़ा को सुनकर कहा कि अधिकारी निरकुंश हो गए हैं। इनको जगाना जरूरी है। वहीं आयुक्त किशोर कन्याल ने सबसे पहले मातहताें का पक्ष लेते हुए कहा कि अधिकारी किसी पार्षद के दुश्मन नहीं है। वे भी नगर निगम परिषद का हिस्सा हैं।
मैंने पूरा मामला शांति से सुना, पार्षदों ने अधिकारियों के लिए क्या नहीं कहा। परिषद का सम्मेलन दाेपहर 12 बजे शुरू हुआ। सबसे पहले सूचना दी गई कि विधायकों ने अपने प्रतिनिधि सदन में पहुंचाए हैं। विधायक डाॅ. सतीश सिकरवार की तरफ से पूर्व नेता प्रतिपक्ष कृष्णराव दीक्षित और विधायक प्रवीण पाठक ने मुन्नेश जादौन को प्रतिनिधि बनाकर भेजा है। इस सूचना के बाद सभा को स्थगित कर स्वागत किया गया। परिषद के दौरान बिजली गुल होने पर हंगामा होने लगा।
3 नवंबर तक सम्मेलन स्थगित
सभापति मनोज तोमर ने स्थगन के दो बिंदुओं पर चर्चा पूरी होने के बाद सदन को 3 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया। यह सुनकर आयुक्त किशोर कन्याल ने माइक लेकर कहा कि सदन से गुजारिश है कि सीएम के आदेश पर एक से सात नवंबर तक मप्र स्थापना दिवस का कार्यक्रम होना है।
इस व्यस्तता के चलते सदन में खुद और अधिकारी नहीं आ सकेंगे। इसलिए अभी बैठक में एजेंडे पर चर्चा करा ली जाए। चूंकि सभापति ने एक बार फैसला लेकर सदन स्थगित कर दिया था, इसलिए फिर से सदन चलाना मुश्किल रहा। आखिर में सदन 3 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
पार्षदाें का दर्द… स्ट्रीट लाइट के लिए इंजीनियराें काे फूफा-जीजा की तरह मनाना पड़ता है
- मनोज राजपूत: मुक्तिधाम जाने वाला मार्ग बंद पड़ा है। उसे चालू कराएं। वार्ड-8 नरसिंह नगर में दो साल से सीवर का पानी बह रहा है। उसका वीडियो दिखाया। स्ट्रीट लाइट के लिए इंजीनियरों को फूफा और जीजा की तरह मनाना पड़ता है।
- अवधेश कौरव: सड़क पर गंदगी बहती है। इसका समाधान कराया जाए।
- देवेंद्र राठौर: मुक्तिधाम की राेड बंद है। सत्ता पक्ष की बात नहीं मानी जा रही है तो विपक्ष की कैसे अधिकारी बात मानेंगे।
- बृजेश श्रीवास: सीवर गली में फैल रहा है। अधिकारी-कर्मचारी सोए हुए हैं। 50% सीवर के चेंबर टूटे पड़े हैं।
- अपर्णा पाटिल: हमारे वार्ड से सौतेला व्यवहार हो रहा है। वार्ड-57 में जेसीबी और डंपर भेज देते हैं। हमारे यहां नहीं आते हैं। सीवर की समस्या के निराकरण के लिए सीएम हेल्पलाइन का सहारा लिया, तब सीवर साफ नहीं हुआ।
- अनिल सांखला: सीवर के चेंबर बदलवाना एक चुनौती बन गया है। सत्ता पक्ष की सुनवाई नहीं हो रही है तो हमारी तरफ क्या ध्यान दिया जाएगा। अधिकारियों को बंधक बनाया जा रहा है।
- संध्या कुशवाह: वार्ड में 70 प्रतिशत सीवर लाइनें खुली पड़ी हैं। क्षेत्र के लोग बीमार हो रहे हैंं।
- नागेंद्र राणा: गोल और चाेकोर चेंबर के बारे में सफाई करने वाले पहले पूछते हैं। मेरे वार्ड में सब इंजीनियर राजेश शर्मा हैं। उनकी सूरत आज तक मैंने नहीं देखी। नगर निगम में महापौर की भी कोई नहीं सुन रहा है।
- गिर्राज कंषाना: 57 साल में पहली बार अंधेरे में दीपावली मनी है। स्ट्रीट लाइट पर इंजीनियर कहते हैं कि ननि मुख्यालय की छत से कूद जाऊंगा। अब ऐसे हालात हो गए हैं।
- अवधेश कौरव: एक ही पीड़ा से सब रो रहे हैं। एक-दूसरे पर आरोप लगाने से कुछ नहीं होगा। अधिकारी मजे लेंगे। हमारे भाई कह रहे हैं कि 57 साल में अंधेरे में दीपावली मनी है। मैं बताना चाहता हूं कि स्ट्रीट लाइट का काम स्मार्ट सिटी ने किया है। स्मार्ट सिटी शासन और कलेक्टर के अधीन है।
- विवेक त्रिपाठी: डफरन सहाय में खुले में सीवर बह रहा है। इंजीनियर लल्लन सेंगर को बता दिया था, लेकिन समस्या से अभी निजात नहीं मिल सकी है।
- गायत्री मंडेलिया: मेरे वार्ड में तीन महीने से स्ट्रीट लाइट बंद पड़ी हैं।
- जितेंद्र मुदगल: वार्ड में स्ट्रीट लाइट जलती तो हैं, लेकिन दिन में, रात में बंद हो जाती हैं।
- मनोज यादव: वार्ड-64 में सोडियम लाइट खराब हैं। इंजीनियर सही जवाब नहीं देती हैं। उन्हें हटाएं, तभी मैं बैठूंगा। आखिर में इंजीनियर अभिलाषा को ग्रामीण वार्डों से मुक्त कर दिया गया।
- हरीपाल: पहले निगम कर्मचारी सीवर को साफ करते थे। ठेका प्रथा-अलीबाबा चालीस चोर की तरफ हो गई है। मैं झोली फैलाकर कह रहा हूं कि निगम को अलीबाबा चालीस चोर प्रथा से मुक्त किया जाए।
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