Chhattisgarh

धान से भरे सपनों का मौसम…धमतरी में उपार्जन केंद्र बने खुशियों के आंगन

रायपुर, 27 नवंबर 2025/ खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 में धमतरी जिले के उपार्जन केंद्र इस बार किसी उत्सव स्थल की तरह रौनक बिखेर रहे हैं। सुबह होते ही जब धान से लदी गाड़ियाँ केंद्र की ओर बढ़ती हैं, तो मिट्टी की सोंधी खुशबू और किसानों के चेहरों पर झलकता भरोसा—दोनों मिलकर उम्मीदों का एक सुंदर दृश्य रच देते हैं। राज्य में 15 नवंबर से शुरू हुई धान खरीदी ने जिले में नई ऊर्जा और उत्साह का माहौल बना दिया है। सुव्यवस्थित प्रबंधन, मोबाइल ऐप के जरिए टोकन सुविधा और समर्थन मूल्य पर खरीदी—इन सबने किसानों की बड़ी चिंता दूर कर दी है।

कृषक उन्नति योजना के तहत 3100 रुपये प्रति क्विंटल का मूल्य मिलने से किसानों की खुशी इस बार दोगुनी है। पूरे साल की मेहनत जब उचित दाम में बदलती है, तो किसान का मन भी फसल की तरह ही भरपूर हो उठता है। ग्राम अछोटा के किसान लेखराम देवांगन की मुस्कान भी आज इसी खुशी का प्रमाण थी। 80.40 क्विंटल धान लेकर केंद्र पहुँचे लेखराम बताते हैं कि किसानी कभी आसान नहीं होती, लेकिन जब व्यवस्था साथ दे, तो कठिन रास्ते भी सरल होने लगते हैं।

पिछले वर्ष धान बिक्री से हुई आय और कुछ बचत से उन्होंने नया ट्रैक्टर खरीदा। इससे खेती का काम तेज हुआ, कृषि ऋण चुकता हो सका और सिंचाई भी बोरवेल के भरोसे सुचारू हो रही है। सहकारी समिति से खाद-बीज की समय पर उपलब्धता ने भी उन्हें खेती पर पूरा ध्यान देने का मौका दिया है। वे मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय और प्रशासन के प्रति आभार व्यक्त करते हैं कि खरीदी प्रक्रिया को इस बार इतना सरल और प्रभावी बनाया गया है कि किसान बिना किसी परेशानी के अपना धान बेच पा रहे हैं।

इस वर्ष उपार्जन केंद्रों में कई नई और बेहतर व्यवस्थाएँ देखने को मिल रही हैं। सटीक तौल के लिए इलेक्ट्रॉनिक मशीनें, पर्याप्त बारदाना,पीने के पानी की सुविधा, प्रतीक्षारत किसानों के लिए छाँव, बायोमैट्रिक सत्यापन और ‘टोकन तुंहर हाथ’ मोबाइल ऐप, जिसने लंबी कतारों से राहत दिला दी है

जिले के सभी केंद्रों में मोटा, पतला और सरना किस्म का धान सुचारू रूप से खरीदा जा रहा है। समर्थन मूल्य संबंधी दर सूची भी केंद्रों में प्रदर्शित है ताकि प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी बनी रहे।

धान से भरे बोरों की कतारें, किसानों का उत्साह और प्रशासन की मुस्तैदी—इन सबके बीच इस बार की खरीदी सिर्फ एक आर्थिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि मेहनत, आशा और संतोष से बुनी किसानों की एक सुंदर कहानी बन गई है।

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