धान की फसल पर कीट का प्रकोप: अफसर बोले- तनाछेदक व ब्लास्ट रोग से बचाने के लिए ब्रम्हास्त्र काढ़ा व नीम के तेल का छिड़काव करें किसान

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बालाघाट8 घंटे पहले
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धान फसल में तनाछेदक व ब्लास्ट रोग से किसान चिंतित हैं। इस संंबंध में कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि फसलों को बचाने के लिए ब्रम्हास्त्र काढ़ा व नीम के तेल का छिड़काव करें। बालाघाट, परसवाड़ा क्षेत्र में धान की फसल में तनाछेदक रोग का प्रकोप देखा जा रहा है। तनाछेदक रोग में कीट पौधे की पत्तियों काे खा रहे हैं। इसके साथ ही कुछ जगह ब्लास्ट रोग से पत्तियां झुलसने लगी हैं।
जिले में इस खरीफ सीजन में करीब 2 लाख 70 हजार हेक्टेयर में धान की फसल लगाई गई है। महीने भर में धान में बाली आनी शुरू हो जाएगी, लेकिन फसल में कीट व्याधि के प्रकोप को देखते हुए किसान चिन्तित हैं। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि बादल छाए रहने से धान में कीट व्याधियों का प्रकोप आया है। उप संचालक किसान कल्याण एवं कृषि विकास राजेश खोब्रागड़े ने बताया कि धान में कीट व बीमारियों की पहचान कर उनका समय पर उचित निदान करें। तनाछेदक व गंगई पोंगा कीट का असर है। कहीं-कहीं ब्लास्ट, तना गलन व बैक्ट्रिरियल लीफ ब्लास्ट बीमारी का असर है। इस समय तना छेदक कीट का प्रकोप होने पर धान के पौध की बीच वाला कंसे की पत्ती गोल हो जाती है। दो-तीन दिन के बाद पीली पड़ने लगती है।
यह उपाय करें किसान
कीट बीमारियों की रोकथाम के लिए किसान गोमूत्र, नीम, करंज, जंगली तुलसी, गराड़ी, सीताफल, बेल, बेसरम, धतूरा, अकोना इत्यादि की पत्तियों से निर्मित काढ़ा ब्रम्हास्त्र का छिडकाव करें। जैविक दवा में नीम का तेल 1500 पीपीएम वाला 1 लीटर प्रति एकड़ या बेसिलस थुरेन्जेसिस 400 एमएल प्रति एकड़ डालें। अगर रासायनिक दवा का प्रयोग करना हो तो क्लोरोपायरीफास 10 प्रतिशत वाला दानेदार चार किलो या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल चार किलो प्रति एकड़ को 25 किलो रेत में मिलाकर डालें। गंगई जिसे पोंगा भी बोलते हैं। कीट के लिए देशी व जैविक तनाछेदक समान परंतु रासायनिक में 10 किलो काबोफुरान प्रति एकड़ डालें।
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