धनवाही थाना क्षेत्र का मामला: आबकारी अमले के साथ घर में घुसे ठेकेदार के गुर्गे, धनवाही कला में शराब बेचने के संदेह पर मारपीट

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सतना5 घंटे पहले

जिले के धनवाही थाना क्षेत्र में शराब ठेकेदार के गुर्गों ने घर में घुसकर मारपीट और महिलाओं से अभद्रता की। इस मामले में ठेकेदार के गुर्गों का साथ देने का आरोप आबकारी अमले पर भी हैं। मामला थाना पहुंचा है। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।

हासिल जानकारी के मुताबिक नादन देहात थाना क्षेत्र के गांव धनवाही कला में शराब ठेकेदार के आधा दर्जन गुर्गों ने रविवार की दोपहर रामनिवास रावत के घर में घुसकर मारपीट की। जिस वक्त ठेकेदार के लोग घर में घुसे, रामनिवास घर पर नहीं था लिहाजा वहां उन्होंने घर का सामान बिखेर दिया और महिलाओं के साथ अभद्रता करने लगे। इसी बीच रामनिवास घर पहुंचा तो न केवल उसे जमीन पर पटक दिया बल्कि डंडे से उसकी पिटाई भी कर दी। इस घटना के वक्त शराब ठेकेदार के गुर्गों के साथ आबकारी विभाग के 2 कर्मचारी भी वहां मौजूद थे। उन्हीं की मौजूदगी में न ठेकेदार के लोगों ने घर में घुसकर तांडव और महिलाओं को अपमानित किया।

आबकारी अमले के साथ पहुंचा शराब ठेकेदार
बताया जाता है कि मैहर क्षेत्र के शराब ठेकेदार को संदेह था कि रामनिवास के घर पर शराब बनाई और बेची जाती है। इसी संदेह पर विजय सिंह और उसके आधा दर्जन साथी आबकारी अमले के साथ रामनिवास के घर दबिश देने पहुंच गए। उन्होंने घर का सारा सामान बिखेर दिया फिर भी उनके हाथ शराब नहीं लगी तो बौखलाहट में वे गाली गलौज, मारपीट और महिलाओं के साथ अभद्रता करने लगे।

दो वर्दीधारी भी घुसे घर के अंदर
मारपीट में घायल राम निवास रावत ने बताया कि जब वह घर पहुंचा तो वहां कई लोग घर के अंदर घुसे हुए थे। उसने आपत्ति जताई तो मारपीट करने लगे। चोट लगने पर इलाज के लिए उन्होंने 5 सौ रुपए देने की भी कोशिश की और दबाव बनाया कि वह रिपोर्ट करने न जाए। उनके साथ दो लोग वर्दीधारी भी थे। छोटी कोल ने बताया कि शराब की तलाश करने पहुंचे लोगों ने उसके साथ अभद्रता की। उसे अनाप शनाप बातें कहीं।

दोनों पक्षों ने दर्ज की शिकायत
मामला अब नादन थाने पहुंचा है। थाना प्रभारी पीसी कोल ने बताया कि मारपीट हुई है। आबकारी अमले ने भी शासकीय कार्य में बाधा की शिकायत की है। ग्रामीणों को चोट भी आई है। दोनों पक्षों की तरफ से शिकायत लेकर जांच की जा रही है।

उठ रहे हैं सवाल
उधर सवाल यह उठ रहा है कि अगर वहां आबकारी अमला सरकारी काम और जांच करने गया था तो शराब ठेकेदार के गुर्गों का क्या काम था? क्या आबकारी के शासकीय कार्य में ठेकेदार के गुर्गों को साथ ले जाने की संवैधानिक व्यवस्था है? अगर नहीं तो फिर इसे शासकीय कार्य में बाधा कैसे माना जा सकता है। यही नहीं प्रश्न यह भी उठ रहा है कि अगर ठेकेदार के लोग अमले के साथ नहीं थे तो क्या मारपीट आबकारी के अमले ने ही की?

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