देवउठनी ग्यारस पर तुलसी विवाह: कदम की पूजा के साथ तीन दिवसीय मेला शुरू, देर शाम तक चलती रही पूजा

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छतरपुर (मध्य प्रदेश)एक घंटा पहले

भारतीय संस्कृति के अनुसार, देवउठनी ग्यारस में नगर और ग्रामीण क्षेत्रों में देवउठनी ग्यारस के दिन धूम के साथ माता तुलसी भगवान विष्णु स्वरूप सालिगराम के साथ विवाह किया गया। इसमें महिलाओं और युवतियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। सभी ने माता तुलसी के पेड़ पौधे और सालिगराम भगवान के साथ गांठ जोड़ी उसके बाद कदम के पेड़ को जल चढ़ाकर पूजा अर्चना की।

यह है महत्व

पंडित मदन रावत ने बताया कि देवउठनी ग्यारस के दिन कदम के पेड़ पर जल चढ़ाने और दीपदान करने का विशेष महत्व है। इसलिए शुद्ध घी के दीपक जला कर तुलसी और कदम के पेड़ के नीचे रखे गए हैं। उसके बाद भगवान को भोग लगाया गया, आरती की गई। हिंदुओं के प्रसिद्ध त्योहारों में से एक दीपावली के बाद देवउठनी ग्यारस के दिन रौनक देखने को मिली।

हालांकि, इस देवउठनी एकादशी को विवाह मुहूर्त नहीं था। लेकिन मान्यता के अनुसार, यह दिन स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है। जिसके चलते अनेकों परिवार में देवउठनी ग्यारस के दिन विवाह में संपन्न हुए देवउठनी को देव प्रबोधिनी एकादशी कहा गया है।

कदम के नाम से लगता है मेला

नगर के कदम मैदान में नगर परिषद हर वर्ष इस तीन दिवसीय मेले का आयोजन करता है। नगर में देव प्रबोधिनी एकादशी पर तीन दिवसीय कदम के नाम से मेला लगता है। जो कई वर्षों से चला आ रहा है। मेले का आनंद लेने के लिए नगर के साथ-साथ आसपास के गांव से अधिक मात्रा में लोग पहुंचते हैं।

मेले में दुकानों के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के झूले, जिनमें से कुछ झूले इस परंपरागत मेले में पहली बार देखने को मिले। जो आकर्षण का केंद्र रहे। कुछ वर्षों की अपेक्षा अधिक टोलियां कतकारियां, दिवारी नित्य टोलियों का विशेष महत्व है। मेले में सुबह से ही कतकारियों व नगर की महिलाओं द्वारा कदम की पूजा का सिलसिला जारी हो गया था जो देर शाम तक चलता रहा।

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