मदरसे में हिंदू बच्चे पढ़ने का मामला: डेढ़ फीट संकरी गली से तोपपुरा के मदरसे तक पहुंची बाल आयोग की टीम

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विदिशा44 मिनट पहले
विदिशा के मदरसे में हिंदू बच्चों के पढ़ने का मामला तुल पकड़ता जा रहा है। कुछ दिन पहले मदरसे में हिंदू बच्चे पढ़ने की शिकायत पर राष्ट्रीय बाल संरक्षण के आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने संज्ञान में लिया था। जिस पर प्रशासन ने जांच के बाद रिपोर्ट पेश की थी। उसी मामले में तहकीकात करने के लिए बाल संरक्षण के आयोग के टीम ने विदिशा में दौरा करके मामले की हकीकत जानी जो जानकारी सामने आई उसे देखकर वह भी चौंक गए जो प्रशासन की जांच रिपोर्ट पर सवालिया निशान लगाती है।
साल 2003 से चल रहा मदरसा
गुरुवार को बाल संरक्षण के आयोग के सदस्य ओंकार सिंह और डॉ. निवेदिता मौके पर पहुंचे, और मदरसे और स्कूल का निरीक्षण किया। आयोग के सदस्य जब मदरसे की जांच करने पहुंचे तो हैरान हो गए। तोपपुरा की तंग गलियों में मदरसा मरियम साल 2003 से चल रहा है। मदरसे तक जाने के लिए सिर्फ डेढ़ फीट की संकरी गली है। जहां एक बार में सिर्फ एक ही व्यक्ति प्रवेश कर सकता है।

किचन के बाजू में शौचालय
मदरसे में घुसते ही जहां 5 बाय 5 वर्ग फीट का किचन है और बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन बनता है। उसी के बाजू में शौचालय है। किचन में से ही शौचालय जाना पड़ता है। इससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि यहां कैसे भोजन बनता होगा। अंदर 8 बाय 10 वर्ग फीट के 3 छोटे कमरों में कक्षा पहली से लेकर आठवीं तक के 14 बच्चे पढ़ते हुए मिले।

मदरसे में कुल 37 बच्चे दर्ज
मदरसे में कुल 37 बच्चे दर्ज हैं। इनमें से 21 हिंदू और आदिवासी भी हैं। हिंदू बच्चों के नाम के आगे सरनेम नहीं लिखा हुआ था। आयोग के सदस्यों ने मदरसे का बारीकी से निरीक्षण किया। जब आयोग के सदस्य ऊपर रूम में पहुंचे तो देखा, वहां कोई शिक्षक नहीं है। एक लड़की बच्चों के साथ बैठी थी। वह 8वीं पास छात्रा है, और उसके पास तालीमुल इस्लाम किताब थी। वहीं बच्चों से चर्चा में पाया कि बच्चे की पढ़ाई का स्तर शून्य है।




11वीं और 12वीं तक पढ़ने वाले बन गए टीचर
जब आयोग के सदस्य डाॅ. निवेदिता शर्मा ने सबसे पहले यहां पदस्थ शिक्षकों की जानकारी ली, और डिग्री के बारे में पूछा तो हैरत में पड़ गई। मदरसे में 5 टीचर पढ़ाते हैं लेकिन किसी के पास यूजी-पीजी और बीएड की डिग्री तक नहीं है। मदरसे की एक शिक्षिका अकीला बानो ने बताया कि वह 11वीं कक्षा तक पढ़ी है, और बच्चों को उर्दू पढ़ाती है। एक अन्य शिक्षिका वर्षा कीर का कहना था कि वह 12वीं पास, शिक्षक सुरेश कुमार आर्य ने एमए पास होना बताया। इसके अलावा शिक्षक आदिल और शिक्षिका रिजवाना यहां पदस्थ तो हैं लेकिन लंबे समय से अवकाश पर हैं। इसमें आदिल अंग्रेजी पढ़ता है और रिजवना आल सब्जेक्ट पढ़ाती है। मदरसे की संचालक मरियम कुरैशी का 15 सितंबर को इंतकाल हो गया था। इसके बाद कोई नई कमेटी भी नहीं बनी है। बिना संचालक के ही मदरसा चल रहा है। 3 मार्च 2018 के बाद से इस मदरसे का कोई फिजिकल निरीक्षण भी नहीं हुआ है।

कई खामियां मिली, बच्चों का भविष्य बर्बाद
बाल संरक्षण आयोग सदस्य ओमकार सिंह ने कहा कि मदरसे और स्कूल की शिकायत मिली थी। मदरसा तंग गलियों में लग रहा है। बहुत सारी खामियां मिली है। बच्चों के लिए कोई पढ़ाई की व्यवस्था नहीं है। यहां बच्चों का भविष्य बर्बाद हो रहा है। ऐसी संस्थान को बंद कर देना चाहिए। वहीं, सदस्य डॉ. निवेदिता ने कहा कि मदरसे के रजिस्टर में दर्ज 37 में से 21 हिंदू और आदिवासी बच्चों के नाम सामने आए हैं। किसी टीचर के पास पढ़ाने की पर्याप्त योग्यता नहीं है। कोई शिक्षक अपनी डिग्री नहीं दिखा सका। किसी ट्यूशन क्लास की तरह यह संस्था चल रही है। मदरसे का पूरा रिकार्ड और दस्तावेज जब्त कर लिए गए हैं। इनकी पूरी जांच पड़ताल के बाद रिपोर्ट शासन को सौंपी जाएगी।
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