दीपका खदान प्रबंधन की लापरवाही उजागर, बाड़ा लगाने के बाद भी ग्रामीणों में रोष

कोरबा। एसईसीएल दीपका प्रबंधन की लापरवाही और सुस्त रवैया एक बार फिर सवालों के घेरे में है। वर्षों तक जनता की शिकायतों और अखबारों में उठती आवाज़ों को अनसुना करने के बाद अब जाकर प्रबंधन ने खदान क्षेत्र के किनारों पर बाड़ा लगाने का काम शुरू किया है। हालांकि, स्थानीय लोग इसे महज़ औपचारिकता बताते हुए कह रहे हैं कि यह असली समस्या का समाधान नहीं है।

दीपका खुली खदान हरदीबाजार की आबादी से महज 100 से 300 मीटर की दूरी तक पहुँच चुकी है। इसके बावजूद प्रबंधन ने अब तक न सुरक्षा दीवार खड़ी की और न ही समय रहते ठोस कदम उठाए। ग्रामीणों का कहना है कि हालात बिगड़ने के बाद अब जाकर प्रबंधन को सुरक्षा की याद आई है।
गाँववासियों ने स्पष्ट कहा कि बाड़ा लगाने से हादसे नहीं रुकने वाले। असली खतरा खदान में हो रही हैवी ब्लास्टिंग से है। ब्लास्टिंग की गूंज से रोज़ाना घरों की दीवारें दरक रही हैं, मंदिरों की छतें क्षतिग्रस्त हो रही हैं और लोगों की जान-माल पर संकट गहराता जा रहा है।
ग्रामीणों का सवाल है कि—“क्या बाड़ा लगाने से हादसे टल जाएंगे? अगर कल किसी की जान चली गई तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?”
लोगों का आरोप है कि दीपका प्रबंधन जनता की सुरक्षा से अधिक कागज़ी खानापूर्ति और भ्रष्टाचार पर ध्यान दे रहा है। उनका कहना है कि अगर वास्तव में सुरक्षा की चिंता होती तो सबसे पहले हैवी ब्लास्टिंग पर रोक लगाई जाती। खासकर तब, जब हरदीबाजार का अधिग्रहण होना तय है।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही ब्लास्टिंग बंद कर ठोस सुरक्षा उपाय नहीं किए गए, तो वे आंदोलन की राह अपनाने को मजबूर होंगे।